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10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव। 14 से 21 अक्टूबर तक मध्यप्रदेश में सागर में 16 और 17 अक्टूबर को

10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव। 14 से 21 अक्टूबर तक मध्यप्रदेश में सागर में 16 और 17 अक्टूबर को
जबलपुर। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित"राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव' अर्थात भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत के उत्सव का 10वां चरण मध्य प्रदेश की धरती पर आयोजित हो रहा है। महोत्सव एमपी में 14 से 21 अक्टूबर तक होगा। यह14 से 15अक्टूबर कोसंस्कारधानी जबलपुर के महाकौशल शहीद स्मारक, गोल बाजार, जबलपुर, सागर में  16 से 17अक्टूबर को पीटीसी मैदान, पीली कोठी रोड, सिविल लाइन्स, सागर और 20 से 21
अक्टूबर को शासकीय ठाकुर रणमंत सिंह कॉलेज ग्राउंड, सिविल लाइन्स, रीवा में होगा।
  
         केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बताया कि अभी तक महानगरों में ये आयोजन होते थे । अब दूसरे क्रम के शहरों में इसके आयोजन होंगे। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में प्रख्यात कलाकार जैसे सुरेश वाडकर, विश्व मोहन भट्ट,रोन मजमदार. प्रीती पटेल मालिनी अवस्थी और अनराधा पौडवाल आदि अपनी कला
प्रस्तुत करेंगे तथा "माटी के लाल' अंतर्गत प्रतिभावान स्थानीय कलाकारों को भी अपनी
कला पेश करने का सुअवसर मिलेगा।

संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख फेस्टीवल के रूप में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की शुरूआत2015 में की गई थी। नवंबर 2015 में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की शानदार सफलता के
बाद देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के इरादे से इसे विविध आयाम जैसे
हस्तशिल्प, भोजन, चित्रकारी, मूर्तिकला, प्रदर्शन कला, लोक जनजातीय, शास्त्रीय व
समकालीन विधाओं को एक स्थान पर दिखाने का निर्णय लिया गया।
                 अभी तक संस्कतिमंत्रालय द्वारा 9 राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आयोजित किये जा चुके हैं। जिसमें से 2 दिल्लीव 2 कर्नाटक और एक एक उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड व नार्थ ईस्ट मेंआयोजित हुये हैं। आगामी 14 से 21 अक्टूबर को होने वाले 10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सवकार्यक्रम में मध्यप्रदेश के लोग साक्षी बनेगें।राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में 21 राज्यों की कला संस्कृतियां सम्मिलित होगी। जिससेविशेषकर युवाओं में अपने देश की ऐतिहासिक संपन्न स्वदेशी संस्कृति की भव्यता से जुड़ावपैदा होगा और जनमानस को भारतीय संस्कृति की विविधता व समृद्व ऐतिहासिक विरासतके दर्शन होगें। साथ ही इस महोत्सव में कलाकारों को अपनी कला, कलाकौशल और
शिल्प को प्रदर्शित करने तथा कलाकृतियों और अन्य पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री के माध्यम
से अपनी आजीविका अर्जित करने का भी अवसर प्रदान होगा।
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