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अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'

अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'
#रवीन्द्र भवन में आयोजित हुए अन्वेषण थियेटर ग्रुप केशो
सागर । सागर नगर के नाट्य कला प्रेमी दर्शकों को महान नाट्य लेखक विजय तेंदुलकर के नाटक कुत्ते का प्रदर्शन देखने को मिला । स्थानीय रविंद्र भवन में जगदीश शर्मा के निर्देशन में उक्त नाटक प्रस्तुत किया गया । नाटक की कथा को देखें तो किसी कंपनी का एक सेल्समैन एक पिछड़े गांव में नियुक्त होता है। वहां वह अपने सहायक कर्मी घोड़के के माध्यम से एक असामान्य मनोवृत्ति की स्त्री के संपर्क में आता है । पहले वह उससे बहुत प्रभावित होता है और उसके साथ उसकी आध्यात्मिक वृत्ति से जुड़कर बीमार सा हो जाता है । दरअसल वह महिला विधवा है और उसका मानना है कि उसके पति ने पुनर्जन्म लिया है तथा वर्तमान में एक काले कुत्ते के रूप में धरती पर है । अपनी इसी सोच के चलते वह काफी संख्या में काले कुत्ते पालती और उनकी देखरेख करती है।  मंच पर कुत्तों की उपस्थिति ध्वनि के माध्यम से दिखाई गई है। आगे बढ़ते हुए कथाक्रम में जीवन की अनेक विडंबनाओं को दिखाया गया है। अंत में सेल्समैन की मानसिकता में विकृति आती है, घोड़के उसे हवा देता है और सेल्समैन महिला के साथ बलात्कार हेतु चला जाता है । लेकिन वह गलती से महिला की विक्षिप्त बेटी के कमरे में पहुंचता है और उसी को अपनी हवस का शिकार बना डालता है ।
क्या दिशा देता है नाटक -
एकदम सामान्य तरीके से समझें तो नाटक यही संदेश देता है कि जब भी हमारी इंसानियत पर विकृत मानसिकता हावी होती है, तो उसका नतीजा हमेशा बुरा होता है, और लोग बलात्कार जैसे पाप कर डालते हैं। कैसे? शायद इसी का मनोविज्ञान इस नाटक में दिखाया गया है। वर्तमान समय में हो रही नित नई रेप की घटनाओं को देखते हुए निश्चित ही यह नाटक हमें बहुत कुछ संदेश देता है, जिसे आत्मसात कर हम अपने समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में बढ़ सकते हैं।
 क्या कहते हैं निर्देशक जगदीश शर्मा -
आपराधिक प्रवृत्ति हमारे समाज में दिनों दिन बढ़ती जा रही है तो इस नाटक के माध्यम से समाज में अपराध रोकने खासतौर से बलात्कार की घटनाओं के विरोध में संदेश प्रस्तुत किया जा सकता है ।अन्वेषण की युवा इकाई द्वारा इस नाटक के प्रस्ताव पर इसीलिए मैंने सहमति दी । उक्त चर्चा करते हुए नाटक के निर्देशक जगदीश शर्मा कहते हैं कि यदि दो लोगों तक भी इस नाटक का सार्थक संदेश पहुंचता है तो अन्वेषण की यह प्रस्तुति सफल होगी।
 नाटक के कलाकारों के कथन
दीपगंगा साहू - नाटक में मुख्य भूमिका निभा रही दीपगंगा का कहना है कि इस नाटक का अनुभव अलग ही रहा है क्योंकि इसकी कथावस्तु रेप जैसे अपराधों पर रोक लगाने का संदेश देती है डीप गंगा का कहना है कि मेरा खुद का अनुभव है कि लोग महिलाओं लड़कियों को गंदी नजर से देखते हैं यह सब बंद होना चाहिए।
करिश्मा गुप्ता - इस नाटक के दो में दो में से एक शो में करिश्मा गुप्ता औरत का किरदार निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि मैं यह नाटक पहले भी कर चुकी हूं लेकिन अब और विस्तृत तरीके से स्क्रिप्ट को समझते हुए करने का अवसर मिला है तो बहुत कुछ नया सीखने भी मिल रहा है बहुत अच्छा अनुभव है उनका कहना है कि समाज में हो रहे अपराधों में दोनों हाथ से तालियां बजने वाली बात लागू होती है यह बात भी नाटक में शामिल है इसलिए सभी पक्षों को इस नाटक से सीख लेना चाहिए। संतोष सिंह दांगी- नाटक कुत्ते में संतोष मुख्य भूमिका (सेल्समैन) में है संतोष का कहना है कि एक बार उन्होंने यह कहानी पढ़ी और इसे करने की इच्छा हुई, पहले इसे किया भी लेकिन अब इसे और बारीकियों और उत्कृष्टता के साथ करने का प्रयास है। समाज में लड़कियों के साथ हो रही घटनाओं को देखकर दुख होता है। एक अभिनेता और कला के स्तर पर इस नाटक को करने में आनंद आ रहा है लेकिन समाज की इन घटनाओं से मन का दुख स्थाई है। महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं रुकना ही चाहिए।
अतुल श्रीवास्तव- नाटक में ताड़पत्री वाले साहब की भूमिका में अतुल श्रीवास्तव हैं। उनका कहना है इसे करने में बहुत मजा आया । मेरा दृश्य हास्य भी पैदा करता है और लोगों का मनोरंजन होता है । हालांकि नाटक एकदम समसामयिक है । विकृत मानसिकता और बलात्कार जैसे मामलों पर इसकी कथावस्तु मारक है और लोग इस से सीख ले सकते हैं।
 प्रवीण कैम्या - नाटक में सेल्समैन के सहायक घोड़के की भूमिका में प्रवीण हैं । दो साल तक सीखने के बाद पहली बार मंच पर आ रहे हैं उनका कहना है कि मेरे लिए यह एक अवसर था और लोगों ने मेरे काम को पसन्द भी किया है।
मनोज सोनी - नाटक के एक शो में घोड़के का किरदार निभा रहे मनोज सोनी का कहना है कि मंचीय भाषा और साहित्य के नजरिए से विजय तेंदुलकर की स्क्रिप्ट उत्कृष्ट होने के साथ ही कठिन भी होती हैं  । इनमें काम करने की अपनी अलग गरिमा तो होती ही है उसके साथ एक चुनौती भी होती है मैं इस नाटक का हिस्सा बना यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है ।
बेक स्टेज के कलाकारों की भूमिका
नाटक में बैकस्टेज कार्यों से जुड़े कलाकारों में सतीश साहू राजीव जाट ऋषभ सैनी आकाश विश्वकर्मा छोटू कपिल नाहर राहुल सेन क्षमता जुड़े ले असरार अहमद आदि ने मंच सज्जा कॉस्टयूम लाइट साउंड प्रॉपर्टी जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों के निर्वहन निभाए दायित्व को निभाया। जबकि मंच की कलाकार प्रतिदिन लगभग 8:00 10 घंटे अपनी-अपनी भूमिकाओं के अभ्यास हेतु निर्देशक श्री शर्मा के साथ रिहर्सल में मशगूल रहे। इससे पूर्व आयोजन के आरंभ में साहित्यकार डॉ शरद से डॉक्टर वर्षा ...सहित नाट्य निर्देशक जगदीश शर्मा व सभी कलाकारों ने मां सरस्वती का पूजन किया ।तत्पश्चात नाटक की प्रस्तुति आरंभ हुई। 
नाट्य प्रस्तुति के दौरान सभागार में देश देश देश देश सहित नगर के रंग कला प्रेमी दर्शक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे । 
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Idea

चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

# ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर सने आई लापरवाहियां,उड़ान में मानकों का हुआ उल्लंघन

सागर । विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भोपाल ने ढाना स्थित शासकीय हवाई पट्टी के उपयोग चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों स्थिगित कर दिया है।  ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर यह सने आया कि उड़ान सम्बन्धी गतिविधयों में मानकों  का उल्लंघन हुआ है और ट्रेनी और ट्रेनर की मौत होना एक गंभीर लापरवाही है । तीन जनवरी को हुए इस हादसे की जांच  मंत्रालय द्वारा की जा रही है


इसमे घटना के विसुल 

और रोक सम्बन्धी पत्र की प्रति है

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चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

# ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर सने आई लापरवाहियां,उड़ान में मानकों का हुआ उल्लंघन

सागर । विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भोपाल ने ढाना स्थित शासकीय हवाई पट्टी के उपयोग चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों स्थिगित कर दिया है।  ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर यह सने आया कि उड़ान सम्बन्धी गतिविधयों में मानकों  का उल्लंघन हुआ है और ट्रेनी और ट्रेनर की मौत होना एक गंभीर लापरवाही है । तीन जनवरी को हुए इस हादसे की जांच विमानन मंत्रालय द्वारा की गई थी। इसमे स्पस्टीकरण मांगा गया था।  विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  के अनिरूद्व-मुकर्जी , आयुक्त विमानन नेे चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर, मेसर्स चाईम्स् एविएशन प्रा. लि., ढाना हवाई पट्टी, सागर मध्यप्रदेश को  यह जानकारी दी। इसके अनुसार  सागर स्थित हवाई पट्टी पर दिनांक 03/01/2020 को आपकी संस्था का सेसना विमान VT-CAF की दुर्घटना के संबंध में आपकी संस्था से इस कार्यालय द्वारा स्पष्टीकरण चाहा गया था, जिसके प्रतिउत्तर में आपके द्वारा दिनांक 05.02.2020 में उल्लेख किया गया है कि दुर्घटना की जांच भारत शासन की संस्था AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) एवं Air Safety (DGCA) के जाँच दल द्वारा की जा रही है, DGCA द्वारा फ्लाईंग ट्रेनिंग इत्यादि पर रोक न लगाते हये फ्लाईंग गतिविधियों को जारी रखा गया है |

आपकी संस्था द्वारा भारत सरकार, नागर विमानन के पत्र क्रमांक AV 22011/6/2007-FGIP) दिनांक 2/3/2012 में दी गई अनुमति के बिन्दु क्रमांक-7 के विपरीत रात्रि में ट्रेनिंग फ्लाईंग हेतनिर्धारित मानकों का उल्लंघन किया गया है जिसके अनुसार "नाईट फ्लाईट कंडीशन में विमान 2500 की AGL (Above Ground Level) उंचाई पर उडान एवं एरोड्म से 2 nm (Nautical miles) से अधिक दूरी की उडान की अनुमति नहीं होती है ।

यह मानक संभवतः रात्रि के समय दुर्घटना को दृष्टिगत रखते हये इसलिये भी रखे गये है कि ट्रेनी  विमान को रात्रि के समय विमान को अधिक उंचाई और बहुत अधिक दूरी परन जाने लिये जावें ।"

उपरोक्त दुर्घटना के संबंध में कार्यालय कलेक्टर, सागर से प्राप्त जाँच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया
गया है कि चाईम्स एविएशन के पायलेट पी.ओ.सी. केप्टन अशोक मकवाना एवं देनी पियूष चंदेल द्वारा दिनांक03.02.2020 को समय 18:50 बजे विमान से कास कंटी उडान (ढाना से महोबा) उडान की उचाई 4000 की
AGL (Above Ground Level) से अधिक एवं इस मार्ग की दूरी 106 nm (Nautical miles) थी, जो कि डीजीसीए द्वारा दी गई अनुमति का स्पष्ट उल्लधंन है । जिसकी पुष्टि संचालनालय स्तर पर गठित पायलेटों
की समिति द्वारा भी की गई है। इसी क्रम में संस्था के साथ हुये अनुबंध के बिन्दु क्रमांक 04, 16 एवं 20 में उल्लेख अनुसार हवाई पट्टी पर पार्किंग, संधारण, पायलेट प्रशिक्षण, वायुयान अनुरक्षण से संबंधित समस्त गतिविधिया, आवश्यक संचार के लिये वी.एच.एफ. उपकरण के कय तथा संधारण, विमान की सुरक्षा, पर्यावरण, आग्नचिकित्सा आदि समस्त की जिम्मेदारी भी आपकी संस्था मैसर्स चाईम्स एविएशन की है ।रात्रि में प्रशिक्षण उडान हेतु डीजीसीए के पैरा 2 में वर्णित मानको के विरूद्ध फ्लाईग के कारण उक्त घटना घटित हई जिससे एक पायलेट एवं एक ट्रेनी की मृत्यु हुई यह एक बहुत की गभीर मामला है, जो कि आपकी संस्था द्वारा बरती गई लापरवाही को दर्शाता है

अतः उपरोक्त अनुबंध की शर्तों, आपकी संस्था को जारी कारण बताओं सूचना-पत्र के प्रतिउत्तर, कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट एवं संचालनालय स्तर पर गठित समिति की रिपोर्ट अनुसार आपकी संस्था के साथ किये गये अनुबंध दिनांक 25/08/2007 के अनुक्रम में राज्य शासन आपकी संस्था द्वारा सागर स्थित हवाई पट्टी पर संचालित समस्त विमानन गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक स्थागित करने का आदेश देता है ।

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कपिल धारा का कुआँ बना कागजो में ,अदालत ने दिए कार्यवाही के निःर्देश

कपिल धारा का कुआँ बना कागजो में ,अदालत ने दिए कार्यवाही के निःर्देश
सागर । सागर जिले के रहली के ग्राम पंचायत बरोदा  में हुई बढी धाधली भ्रष्टाचार किसान का कपिल धारा योजना का कुंआ गायब हो गया। किसान ने  उच्च न्यायालय की शरण ली ।  उच्च न्यायालय ने दिये दो माह में प्रकरण के संबंध में निराकरण के निर्देश जिला कलेक्टर न्यायालय ने किये है। 
मीडिया को एडवोकेट दीपक पौराणिक और पीड़ित राजबहादुर सिंह ने आज मीडिया को पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 
न्यायालय कलेक्टर जिला सागर म0प्र0 के प्रकरण क्र. 0298/बी 121/2017-18 ग्राम बरोदा के राजबहदुर सिहं विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन के मामले में दिये आदेश के अनुपालन में आवेदन स्वीकार कर मुख्य कार्यपालन अधीकारी जिला पंचायत सागर की ग्राम पंचायत बरोद रहली के पंचायत के कौन से सदस्य/सरपंच/सचिव/ग्राम रोजगार सहायक/ उत्तरदायी है, तथा जनपद पंचायत स्तर पर कौन अधिकारी उत्तरदायी है उनके विरूद्ध वैधानीक कार्यवाही हो ।
प्रकरण इस प्रकार 

 राजबहादुर सिंह पिता श्री जगतसिंह ग्राम बरोदा रहली ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्र. 1020/2018 लगाई गई माननीय उच्च न्यायालय में 20.04.2018 को आदेश/निर्देष दिया की जिलाधीश सागर  दो माह के समय में कार्यवाही करे तथा आवेदक के द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से जिला कलेक्टर महोदय की न्यायालय में मय दस्तावेजो के लगाया गया ।उक्त प्रकरण में आवेदक राजबहादूर सिंह ने अपनी खेती सिंचित करने के लिए खसरा क्र. 61 पर कपिल धारा योजना के अंतर्गत आवेदन किया लेकिन कार्यलायों से ज्ञात हुआ की उस स्थान पर उपरोक्त योजना का कूप बना दिया गया है एवं राशि का भी भुगतान हो चुका है।  तब किसान राजबहादूर सिंह ने सूचना के अधिकार के माध्यम से जब दस्तावेज प्राप्त किये तो पाया की उसके फर्जी एवं झूठे दस्तावेज बनाकर झूठे हस्ताक्षर कर एवं झूठा मस्टर बनाकर यहां तक की मृत व्यक्तियों के खातें में मजदूरी का पैसा भेज कर उस कुऐं की राशि तक भूगतान हो चुका है। तब आवेदक ने जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई तब आवेदन ने अधिवक्ता के माध्यम से  उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की, जिसमें मान. उच्च न्याय. ने आदेशानंुसार जिला कलेक्टर सागर की कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया प्रकरण के आदेश में जिला कलेक्टर महोदया ने यह लिखा है कि खसरा क्र. 61 पर जिसका रकवा 2.50 है उस पर कोई कुआ नहीं है, तथा ग्राम पंचायत की संपूर्ण कार्यवाही संधिग्ध पाई जाती है और जिला पचायंत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निदेशित किया कि इस में कौन कौन उत्तरदायी है और संबंधितो पर वैधानिक कार्यावाही करे।
 उक्त प्रकरण में आवेदक राजबहादुर सिंह की ओर से अधिवक्ता दीपक पौराणिक ने पैरवी की।

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अंतिम संस्कार को मिले लकड़ियां,राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत ने सख्त निःर्देश

अंतिम संस्कार को मिले लकड़ियां,राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत ने सख्त निःर्देश

सागर। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नही मिलने की खबरों  ने राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत को हैरानी और चिंता में डाल दिया। दरअसल मामला उनके विधानसभा क्षेत्र सुरखी के  जैसीनगर क्षेत्र का था। मन्त्री श्री राजपूत को मीडिया के जरिये इसकी खबर लगी। उन्होंने मानवता दिखाई।  मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपने दूरभाष से डीएफओ से चर्चा कर दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की व्यवस्था के लिए सख्त निर्देश देते हुए कहा कि 3 दिवस के अंदर संपूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए और श्मशान घाट पर किसी भी प्रकार की कमी एवं अनियमितताओं को नजर अंदाज नहीं किया जाएगा ।साथ ही साथ मंत्री जी ने पंचायत द्वारा इन व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए कहा जो यह सुनिश्चित करेगा कि सभी हितग्राहियों को लकड़ियां समय पर उपलब्ध हो रही है या नहीं।
यही नही उन्होंने साफ कहा कि अपने क्षेत्र में ही नही  कही भी  इस तरह की कमी नही दिखनी चाहिए कि अंतिम संस्कार को हमेशा मानवीयता के आधार  पर  देखना चाहिए।
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शाहीनवाग हटाने को लेकर, शिवसेना के बैठक

शाहीनवाग हटाने को लेकर, शिवसेना के बैठक 
 
सागर।  देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह सी.ए.ए. एवं एन.आर.सी. को लेकर  सागर में भी  कुछ लोग शाहीनवाग बनाए है।  उसको देखते हुए सागर शिवसेना संगठन ने प्रशासन को कुछ समय पहले सागर का शाहीनबाग हटाने के लिए एक ज्ञापन सौपा था। लेकिन संगठन द्वारा दिए गए समय सीमा पर शाहीनवाग नहीं हटाया गया। जिसको लेकर आज दादा दरबार मंदिर परिसर में शिवसैनिकों की बैठक हुई। बैठक को संबोधित करते हुए शिवसेना उपराज्य प्रमुख पप्पू तिवारी ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली जिस तरह दंगों की आग में जल रही है हम नहीं चाहते कि सागर भी ऐसी किसी परिस्थतियों से गुजरे। यही वजह है कि हमने शाहीनवाग हटाने के लिए प्रशासन को चेताया था। लेकिन प्रशासन ने शाहीनवाग को नहीं हटाया। बैठक के उपरांत सभी शिवसैनिक कंट्रोल रूम पहुंचे जहां पुलिस अधीक्षक अमित सांघी के साथ शिवसैनिकों का सभागार में संवाद हुआ। बैठक में जिला कलेक्टर प्रीति मैथिल की मौजूदगी में शिवसैनिकों ने शिवाजीवाग एवं हनुमान चालीसा के लिए अनुमति पत्र सौपा।इस मौके पर  शिवसेना जिला  प्रमुख दीपक सिंह लोधी  विकास यादव, अमन ठाकुर, रवि गुप्ता, हेमराज आलू, मनीष मिश्रा, अभय लोधी, हरवंश गिरी गोस्वामी, अनिकेत तिवारी, नवीन सोनी, विकास श्रीवास, रवि गुप्ता, आयुष जैन, अमित राजपूत, अभिनाष चैधरी, मिन्टू ठाकुर, शिवेस गुप्ता, शुभम रैकवार, प्रवीण आठया, अजय बुंदेला, मयंक रजक, यश रजक, रीतेश ठाकुर, उपदेश आठया, अभिषेक नायक, सूरज सोनी, शिव्याश ठाकुर, पंकज दुबे, अजय चैबे, नवीन पटैल, अजय चैबे, ब्रजेन्द्र पहलवान, मोहित यादव सहित बडी संख्या में शिवसैनिक उपस्थित थे।

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एमपी ऑनलाईन कियोस्क के माध्यम से भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां 2 मार्च से की जाएगी प्रदाय

एमपी ऑनलाईन कियोस्क के माध्यम से भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां 2 मार्च से की जाएगी प्रदाय
सागर । आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त म.प्र. ग्वालियर द्वारा भू-अभिलेख प्रति निर्धारित दरों पर भू-स्वामी को प्रदाय करने हेतु एमपी ऑनलाईन को प्राधिकृत सेवा प्रदाता नियुक्त कर, किया गया है जिसके तहत वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से आम नागरिकों को शासन द्वारा निर्धारित दरों पर एमपीऑनलाईन कियोस्क द्वारा भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां प्रदाय करने हेतु अधिकृत किया गया है।
इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह कार्यवाही 2 मार्च को मध्यप्रदेष के समस्त जिलों में एमपी ऑनलाईन के समस्त कियोस्क पर समारोह पूर्वक प्रारंभ की जावे।
इस कार्यक्रम को जिला स्तरीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जाए, जिसमें कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहेंगे। कलेक्टर द्वारा आवष्यकतानुसार शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी एमपी ऑनलाईन कियोस्क में आयोजन दिनांक को लगाई जाए। इस हेतु एमपी ऑनलाईन के जिला कॉर्डिनेटर समस्त जिले के एमपी ऑनलाईन कियोस्क की सूची कलेक्टर को प्रदाय करेंगे।
कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, मीडिया एवं गणमान्य नागरिकों तथा आमजन को आमंत्रित किया जाए तथा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ही भू-अभिले,ा की प्रतिलिपियां का विवरण किया जाए। शासन द्वारा भू-अभिलेख की निर्धारित दरों में एकसाला, पांच साला खसरा या खाता जमाबंदी, अधिकार अभिलेख, खेवट के लिए, वाजिब-उल-अर्ज, निस्तार पत्रक के लिए, ए-4 आकार में नक्षे की प्रति के लिए प्रथम पृष्ठ के लिए 30 रूपये फीस एवं प्रत्येक अतिरिक्त पेज के लिए फीस 15 रूपये है। शासन द्वारा निर्धारित इन दरों का व्यापक प्रचार-प्रसार  किया जाए तथा नकल वितरण केन्द्रों में इन दरों का फ्लेक्स भी लगाया जाए। जिससे भू-धारकों के हित में शासन द्वारा लिए गए निण्रय का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।  
साथ ही  वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से कृषकों/भू-धारकों के हितों में चल रही योजनाओं की जानकारी भी इस कार्यक्रम आम जन को प्रदाय की जाए। खसरे में बंधक दर्ज करने हेतु वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर में लॉगिन समस्त बैंको को दिए गए है। इस हेतु भूमि-स्वामी को तहसील कार्यालय में आकर बंधक दर्ज करने हेतु आवेदन देने की आवष्यकता नहीं है। नामांतरण, बंटवारा, बंधक के आदेष को खसरे में अमल कर भूमि-स्वामी को अविलंब प्रदाय कि जा सकता है। वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से व्यपवर्तन की सूचना एवं राजस्व भुगतान। भूमि धारकों द्वारा डिजीटली पोर्टल से सीधे ली जा सकती है। यह लिंक एमपी ऑनलाईन पोर्टल पर अनिवार्य रूप से प्रदर्षित की जाना है।
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रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पर सागर में व्याख्यान एक मार्च को

रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पर सागर में  व्याख्यान  एक मार्च को 
सागर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने पर दिनांक 01 मार्च 2020 को रवीन्द्र भवन सागर में व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता दैनिक भास्कर के सेंट्रल सेटेलाइट एडिटर शिव कुमार विवेक होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ  अधिवक्ता चतुर्भुज सिंह राजपूत एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य के साथ समाजसेवी अब्दुल रफीक गनी उपस्थित रहेंगे। समारोह की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति दीपक तिवारी करेंगे। 
इस मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर केंद्रित गांधी दर्शन एवं पोस्टर प्रदर्शिनी भी लगाई जाएगी।इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन, श्यामलम कला संस्था तथा रंग के साथी संस्था इस आयोजन के सहयोगी संस्थान होंगे। कार्यक्रम स्थल  रवीन्द्र भवन सागर में इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा रतौना आंदोलन और गांधी जी पर केंद्रित पोस्टर निर्माण भी किए जाएंगे। प्रबुद्धजनों से समारोह में भागीदार होने का आग्रह है। 
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पति ही निकला पत्नी का हत्यारा, मासूम बेटे ने बोला मम्मी को पापा ने मारा

पति  ही निकला पत्नी का हत्यारा, मासूम बेटे ने बोला मम्मी को पापा ने मारा

सागर।सागर जिले के देवरी में कई हत्या का पुलिस ने खुलासा कर लिया है । इसमे पति ने ही पत्नी की हत्या  की थी। घरेलू विवादों के चलते यह घटना घटी। पुलिस अधिक्षकमित सांघी ने मीडिया के सामने वारदात का खुलासा किया। पति प्रकाश अहिरवार द्वारा अपनी पत्नी तुलसा उर्फ सवीता अहिरवार उम्र 30 साल को लोहे की राड से हत्या की थी। 

पलिस अधीक्षक अमित सांघी ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महोदय  विक्रम सिंह के मार्गदर्शन मे दिशा निर्देश देते हये पुलिस टीम का गठन किया जिसम अनुविभागीय अधिकारी  अजीत पटेल, निरीक्षक रामेश्वर ठाकुर थाना प्रभारी देवरी, उनि लखन राज, उनि टेकाम, उनिवीणा विश्वकर्मा, आरक्षक  हेमन्त रजक, आरक्षक रावत, आरक्षक राजीव तोमर, आरक्षकनरसिंह ठाकर, आरक्षक प्रेमजीत, आरक्षक निशीत मिश्रा,आरक्षक मुकेश, महिला आरक्षक बीना घोडायल को लगाया गया। जिनके अथक प्रयास से घटना का खुलासा चन्द घटों में किया गया।

ये है घटना 

राहल पिता महेश बंसल निवासी संजय नगर देवरी ने थाना पर आकर सूचना दिया किइसके पडोस मे रोने की आवाज सुनने पर यह प्रकाश अहिरवार के घर गया तो वहा पर देखा कि एक कमरे में प्रकाश अहिरवारकी पत्नि तुसला बाई उर्फ सवीता अहिरवार विस्तर में पड़ी थी उसके सिर में गंभीर चोट लगी थी सिर फटा हुआ था जो खूननिकलकर जमीन पर फैला हुआ था तो राहल द्वारा थाना पर सूचना देने पर मर्ग क्रमांक 07/20 धारा 174 जाफी कायम कर जांच की गई। दौरान जांच के शव का पंचनामा कार्यवाही के दौरान मृतिका के पिता गौतम अहिरवार ने बताया कि मुझे पुलिसद्वारा सूचना मिलने पर मैं देवरी आया तो देवरी मे मेरी बच्ची बिस्तर मे मृत अवस्था मे मिली सिर कुचला हुआ था। कमरे मेचारो तरफ खून के छीटे दीवालों पर एवं दरवाजे के पीछे तरफ खून लगा हुआ था। जब पुलिस पीएम कराने ले जा रही थी। तवदामाद प्रकाश अहिरवार ने रो कर इसे बताया कि मेरे से गलती हो गई मेरी और तलमा की रात को लडाई हो गई थी तो मैनेसोते समय तुलसा को सिर में लोहे की राड मार दी थी जिसमे बह खत्म हो गई थी। जो मौके पर प्रार्थी गौतम अहिरवार निवासीनन्दे पिपरिया की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 0/20 धारा 302 ताहि की देहाती नालमी मौके पर आरोपी मतिका के पति प्रकाशअहिरवार के विरूध कायम कर विवेचना की गई।दौरान विवेचना के प्रकाश पिता करन अहिरवार उम्र 38 माल निवासी संजय नगर देवरी को हिरासत मे लेकरपूछताछ की गई तो पहले प्रकाश अहिरवार पुलिस को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा रात मे चोरी करने के उदेश्य से घर मे घुस कर पत्नी के जाग जाने पर उसके साथ गंभीर चोट पहुचा कर उसकी हत्या कर देना बताया एवं स्वयं बड़ी बच्ची वर्षा के साथ दूसरे  कमरे मे सोते रहा बताया एवं घटना के संबंध में कोई जानकारी नहीं होना बताया इसी तरह की बातों से गुमराह करता रहा।

पत्नी से आये दिन झगड़ा होता था

 घटना के संबंध मे बताया कि मेरी पत्नी तुलसा उर्फ सवीता अहिरवार मुझसे छोटी-छोटी बातो को लेकर लड़ती रहती थी तथा मुझ पर शक करती थी और जादू टोना करती थी। गत बे रात अगरबत्ती लगा कर पूजा-पाठ करती थी। पूरी रात टी.व्ही. देखती थी। रात बे रात कही भी उठ कर चली जाती थी। बिना पूछे अपने मायके चली जाती थी। जिस कारण प्रतिका का पति बहुत अधिक परेशान हो चुका था। आरोपी की पनि प्रतिका की पत्रि 6-7 दिन पहले बिना बताये अपने मायके चली गई थी जो घटना के एक दिन पूर्व ही वापस लौटी थी जो आरोपी ने प्रतिका से मायके जाने का उचित कारण पूछा तो जिस पर से दोनो मे विवाद हो गया था उसी विवाद पर से आरोपी ने रात में ही मृतिका के साथ सोते समय लोहे की राड बजनी करीवन 5-6 किलो से सिर में मार कर हत्या कर देना बताया पुलिस से डर के कारण वहा से भाग गया। जिसे दौरान तलाशकर पूछताछ की गई।

छोटे बेटे ने बताया मम्मी को पापा ने मारा

सबसे छोटे बच्चे मंजय उम्र 4 वर्ष द्वारा पापा प्रकाश ने मम्मी को मारने की बात बताई ।एफएसएल अधिकारी टीम एवं डॉग द्वारा प्रकाश की ओर बार-बार जाना एवं इशारा करना भी आरोपी प्रकाश अहिरवार के संदेह के घेरे मे आना बाद मे आरोपी ट कर उसके मसुर को पूरी घटना बताना। थाना चलने की कहने पर वहा मेंभाग जाना। उपरोक्त सम्पूर्ण कार्यवाही मे सराहनीय कार्य करने वाले स्टाफ को श्रीमान पुलिस अधीक्षक  नगद पुरूष्कार से पुरूष्क्रत करने की घोषणा की गई है।

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आदिवासियों का परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं - प्रो. गौतम क्षत्रिय


आदिवासियों का परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं - प्रो. गौतम क्षत्रिय

#तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा पारम्परिक चिकित्सा पद्धति शिविर
सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) में स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केन्द्र एवं  मानव विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रभारी प्रो. काशी कैलाश नाथ शर्मा ने बताया कि आज चार तकनीकी सत्रों के अन्तर्गत 24 शोधपत्र पढ़े गये जिनमें प्रो. गौतम क्षत्रिय मानव विज्ञान विभाग, दिल्ली ने अपने शोध पत्र परम्परागत स्वास्थ्य प्रथाओं एवं भारतीय आदिवासियों के स्वास्थ्य में बदलाव विषय पर केन्द्रित शोधपत्र में कहा कि भारत में 703 आदिवासी समुदाय हैं जिनमें 75 अति पिछड़ी जनजातियाँ हैं। 90 हजार ग्रामों में 50 प्रतिशत आदिवासियों की आबादी है। यह मूलधारा से बिलकुल अलग हैं। प्रत्येक की परम्परागत स्वास्थ्य पद्धतियाँ हैं। इनकी एक सामाजिक संरचना है। इनका एक मुखिया होता है जिसके निर्णय को सभी मानते हैं। अंधविश्वासी हैंै। भूतप्रेतों पर विश्वास रखते हैं। ये लोग अपनी बीमारियों का उपचार मूल भावनाओं से जुड़ी जड़ी-बूटियों से करते हैं। इनमें कुपोषण, उदर रोग आज के समय में अत्यधिक हानिकारक सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति से हटकर आधुनिकता के प्रभाव में आने के कारण इन्हें हृदय रोग व मोटापा एक चिन्तीय स्थिति उत्पन्न कर रही है। आदिवासियों के परम्परागत स्वास्थ्य उपचार पद्धतियाँ इन बीमारियों को ठीक करने में सक्षम नहीं हैं। उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी नये आचरण तथा परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं। हमें जरूरत है कि इस पर चिन्तन करें एवं शोध करके उन्हें नई दिशा देंवे। 
प्रो. अभिषेक घोष, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ ने अपने शोधपत्र में कहा कि आदिवासियों का ज्ञान पौराणिक है। उसे विकसित समाज के लोग उपयोग करके अपना लेते हैं। उनकी धरोहर उपयोग करते वक्त भूल जाते हैं कि यह उनकी देन है। उनके इस ज्ञान को वैज्ञानिक रूप में शोध करके अपनी बौद्धिक सम्पदा लेते हैं जिनमें दवाई कम्पनियाँ एवं मार्केट भी सम्मिलित है। जैसे आदिवासियों की जड़ी-बूटियाँ उनमें पाये जाने वाले तत्व, जिस रोग में वे उपयोग करते हैं, उसे दवा के रूप में विकसित करके अपना टेªडमार्क लगा लेते हैं। तब मूल व्यक्ति जहाँ का तहाँ रह जाता है। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल-कपड़ा, क्रोप, कृषि से जुड़ी खाद्य सामग्रियाँ वनोपज प्रमुख हैं। उन्होंने झारखण्ड के उराॅव, मुण्डा, संथाल, चेरव, असुर, बिहोर जनजातियों के बीच शोध कार्य सम्पन्न किया है जिसमें पाया कि उनके अनाजों में कई तरह के चावल देखने में आये हैं जिनका बोउनी एवं कटनी का समय अलग-अलग है। प्रत्येक का स्वाद अलग-अलग है। जिनकी अलग-अलग खाद्य सामग्रियाँ बनाई जाती थी, आज लुप्त हो रही हैं। कुछ चावल तो बासमती चावल से ज्यादा खुशबूदार देखने को मिले हैं, परन्तु आज बाजार के दबाव में वह आधुनिक बीजों के रोपण करने के कारण विलुप्त होते चले जा रहे हैं। यह एक चिन्तन का विषय है। मानव विज्ञान विभाग के शोधार्थी हर्षदीप सिंह धंजल ने अपने शोधपत्र में बताया कि भारत का स्वदेशी ज्ञान मानव कल्याण के लिए अति महत्वपूर्ण आयाम है। बिडम्बना है कि यह ज्ञान विलोपित होने की कगार पर है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वदेशी ज्ञान के संरक्षण के लिए गहन शोध होने की आवश्यकता है। 
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के विद्वानों में प्रमुख रूप से प्रो. बी.के. तिवारी, मेघालय, प्रो. के.सी. मल्होत्रा, प्रो. ए. एन. शर्मा, नोएडा, प्रो. सी.एस.एस. ठाकुर, जबलपुर, प्रो. सी. के. तिवारी, प्रो. ए.पी. दास, अरूणाचल प्रदेश, प्रो. ए.के. दास, असम, डाॅ. सर्वेन्द्र यादव, श्रीलंका के पारम्परिक चिकित्सक अशोक करूणारथना एवं ववेला अप्पूहामलेज, युगांडा के डाॅ. यहाया सेकेज्ञा तथा दक्षिण अफ्रीका के हसन ओ. काया उपस्थित थे। 
नाड़ी वेद्यो ने किया इलाज
गौर समाधि प्रांगण में पारम्परिक चिकित्सा शिविर में सागर के नागरिकों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों एवं अधिकारियों ने अपना उपचार करवाया, जिनमें आँखों के उपचार हेतु 200 लोगों का पंजीयपन एवं अन्य रोगों पर 450 लोगों ने उपचार करवाया। साथ ही लगभग दो हजार लोगों ने आयुर्वेदिक परम्परागत पद्धतियों का अवलोकन किया और वैद्यों से जड़ी-बूटियों के नुख्से जाने। आयुर्वेद संजीवनी केन्द्र, भोपाल के वैद्य एम.एस. मकरानी व संतोष चैधरी पातालकोट ने भारत की प्राचीन पद्धति अलागूकर्म (लोटा पद्धति) से अनेक लोगों का उपचार करते हुए बताया कि यह परम्परा हमने अपने गुरू शारदा प्रसाद त्रिपाठी, बाबा नागनाथ, जबलपुर से सीखी तथा उन्हें हिमाचल के अनानन्द महाराज जी सिखाई थी। उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र के कारण शरीर में वात बढ़ने से अनेक प्रकार के दर्द आ जाते हैं जिससे साइटिका (ग्रहदसी), संधिवात, शीतवात जैसे रोग आ जाते हैं। इन रोगों के कारण शरीर में दर्द बढ़ जाता है तथा लीवर के बिगड़ने के कारण चर्मरोग प्रकट हो जाते हैं। वे बताते हैं कि यह पद्धति दो भागों में विभाजित है-एक अग्नि पद्धति और दूसरी जल पद्धति। इससे दूषित वायु निकल जाती है तथा दबी हुई नस खुल जाती हैं। साथ ही कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ भी उपचार के रूप में देते हैं, जिनमें साइटिका के लिए केओकंद, वनसिंघाड़ा, अश्वगंधा, विधारामूल, रासना, रासनाबत्ती, समभालू का सम्मिश्रण चूर्ण देने से रोगों से मुक्त हो जाता है। लीवर के बिगड़ने पर भूतवृक्ष की छाल, पुनर्वा, भूआँँवला, पित्तपोपड़ा घास की चूर्ण देते हैं तथा फंगल इंफेक्शन में वैसलीन, मोम देशी, सफेद मिर्च का रस एवं सफेद सुरमा जैसी औषधियों को मिलाकर एक मलहम तैयार करते हैं जिन्हें लगाने से चर्मरोग समाप्त हो जाते हैं। जब लोटा पद्धति से इलाज करते हैं तो उनके निकालने के बाद अरण्डी का तेल, सतअजवाइन, नीलगिरी वृक्ष के फल से बना हुआ तेल लगाते हैं। औजार के रूप में अपने साथ वह ठप्पा (छैनी), हथौड़ी, सारूक वृक्ष की लकड़ी का शूल (रूल) को शरीर पर चलाते हैं तो सभी दर्द से मुक्ति मिलती है। उनका कहना है कि इस वृक्ष की लकड़ी में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो दर्द का हरण कर लेते हैं। वैद्य लोमश कुमार वच्छ, कोरबा, छत्तीसगढ़ ने नाड़ी के माध्यम से वात रोग, एलर्जी, पथरी, धातु दोष, प्रमेह, मधुमेह जैसे प्रमुख रोगों की चिकित्सा करते देखे गये। उन्होंने उपचार के रूप में सुधा हरिद्रा, श्यामा तुलसी चूर्ण, गिलोय, विदारी कन्द, फेट कन्द, माल कायनी, बिहारी कन्द, कुउ कन्द, कंठ करंज, नागर मौथा, भुईचम्पा, अनन्तमूल, सफेद मूसली, काली मूसली के बने हुए चूर्णों को भी उपचार में दी। वहीं छत्तीसगढ़ के वैद्य तिलकराम केवरते ने रोगों में दमा, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मिर्गी, पथरी, पीलिया, बबासीर, उदर विकार, कैंसर की बीमारियों के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं से उपचार किया। इस प्रकार आँखों, कमर, जोड़ों का दर्द एवं असाध्य बीमारियों के भी उपचार किये। वहीं आँख सम्बन्धी रोगों छत्तीसगढ़ के वैद्य एवं उनके सहायक वैद्यों ने सैकड़ों लोगों ने अपनी आँखों में दवा डलवाकर उपचार किया। साथ ही अन्य वैद्यों में वैद्य श्रीमती कलावती पटेल, वैद्य ईसाक अली हकीम, वैद्य राघवेन्द्र सिंह राय, टीकमगढ़, वैद्य शुक्ला प्रसाद ध्रवे, बिलासपुर, वैद्य विक्रम सिंह झिझोरिया, वैद्य त्रिभुवन सिंह कंवर, वैद्य तिलकराम केवरते ने अपने परम्परागत तरीकों से सागर नगर के सैकड़ों लोगों ने उपचार करवाया। 
इस चिकित्सा शिविर में प्रमुख रूप से अधिष्ठाता प्रो. आर. पी. मिश्रा, संयुक्त कुलसचिव संतोष सहगौरा, सहायक कुलसचिव आर. के. पाल, ए. लक्ष्मी, डाॅ. सुखदेव मिश्रा, अजय परमार, बीनू राना एडव्होकेट, उमेश सिंह क्योलारी, मेडिकल आॅफिसर डाॅ. महेश्वरी, डाॅ. वन्दना गुप्ता, डाॅ. सोनिया कौशल, डाॅ. अरिबम बिजयासुन्दरी देवी, डाॅ. सर्वेन्द्र यादव सहित अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। 




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