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अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'

अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'
#रवीन्द्र भवन में आयोजित हुए अन्वेषण थियेटर ग्रुप केशो
सागर । सागर नगर के नाट्य कला प्रेमी दर्शकों को महान नाट्य लेखक विजय तेंदुलकर के नाटक कुत्ते का प्रदर्शन देखने को मिला । स्थानीय रविंद्र भवन में जगदीश शर्मा के निर्देशन में उक्त नाटक प्रस्तुत किया गया । नाटक की कथा को देखें तो किसी कंपनी का एक सेल्समैन एक पिछड़े गांव में नियुक्त होता है। वहां वह अपने सहायक कर्मी घोड़के के माध्यम से एक असामान्य मनोवृत्ति की स्त्री के संपर्क में आता है । पहले वह उससे बहुत प्रभावित होता है और उसके साथ उसकी आध्यात्मिक वृत्ति से जुड़कर बीमार सा हो जाता है । दरअसल वह महिला विधवा है और उसका मानना है कि उसके पति ने पुनर्जन्म लिया है तथा वर्तमान में एक काले कुत्ते के रूप में धरती पर है । अपनी इसी सोच के चलते वह काफी संख्या में काले कुत्ते पालती और उनकी देखरेख करती है।  मंच पर कुत्तों की उपस्थिति ध्वनि के माध्यम से दिखाई गई है। आगे बढ़ते हुए कथाक्रम में जीवन की अनेक विडंबनाओं को दिखाया गया है। अंत में सेल्समैन की मानसिकता में विकृति आती है, घोड़के उसे हवा देता है और सेल्समैन महिला के साथ बलात्कार हेतु चला जाता है । लेकिन वह गलती से महिला की विक्षिप्त बेटी के कमरे में पहुंचता है और उसी को अपनी हवस का शिकार बना डालता है ।
क्या दिशा देता है नाटक -
एकदम सामान्य तरीके से समझें तो नाटक यही संदेश देता है कि जब भी हमारी इंसानियत पर विकृत मानसिकता हावी होती है, तो उसका नतीजा हमेशा बुरा होता है, और लोग बलात्कार जैसे पाप कर डालते हैं। कैसे? शायद इसी का मनोविज्ञान इस नाटक में दिखाया गया है। वर्तमान समय में हो रही नित नई रेप की घटनाओं को देखते हुए निश्चित ही यह नाटक हमें बहुत कुछ संदेश देता है, जिसे आत्मसात कर हम अपने समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में बढ़ सकते हैं।
 क्या कहते हैं निर्देशक जगदीश शर्मा -
आपराधिक प्रवृत्ति हमारे समाज में दिनों दिन बढ़ती जा रही है तो इस नाटक के माध्यम से समाज में अपराध रोकने खासतौर से बलात्कार की घटनाओं के विरोध में संदेश प्रस्तुत किया जा सकता है ।अन्वेषण की युवा इकाई द्वारा इस नाटक के प्रस्ताव पर इसीलिए मैंने सहमति दी । उक्त चर्चा करते हुए नाटक के निर्देशक जगदीश शर्मा कहते हैं कि यदि दो लोगों तक भी इस नाटक का सार्थक संदेश पहुंचता है तो अन्वेषण की यह प्रस्तुति सफल होगी।
 नाटक के कलाकारों के कथन
दीपगंगा साहू - नाटक में मुख्य भूमिका निभा रही दीपगंगा का कहना है कि इस नाटक का अनुभव अलग ही रहा है क्योंकि इसकी कथावस्तु रेप जैसे अपराधों पर रोक लगाने का संदेश देती है डीप गंगा का कहना है कि मेरा खुद का अनुभव है कि लोग महिलाओं लड़कियों को गंदी नजर से देखते हैं यह सब बंद होना चाहिए।
करिश्मा गुप्ता - इस नाटक के दो में दो में से एक शो में करिश्मा गुप्ता औरत का किरदार निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि मैं यह नाटक पहले भी कर चुकी हूं लेकिन अब और विस्तृत तरीके से स्क्रिप्ट को समझते हुए करने का अवसर मिला है तो बहुत कुछ नया सीखने भी मिल रहा है बहुत अच्छा अनुभव है उनका कहना है कि समाज में हो रहे अपराधों में दोनों हाथ से तालियां बजने वाली बात लागू होती है यह बात भी नाटक में शामिल है इसलिए सभी पक्षों को इस नाटक से सीख लेना चाहिए। संतोष सिंह दांगी- नाटक कुत्ते में संतोष मुख्य भूमिका (सेल्समैन) में है संतोष का कहना है कि एक बार उन्होंने यह कहानी पढ़ी और इसे करने की इच्छा हुई, पहले इसे किया भी लेकिन अब इसे और बारीकियों और उत्कृष्टता के साथ करने का प्रयास है। समाज में लड़कियों के साथ हो रही घटनाओं को देखकर दुख होता है। एक अभिनेता और कला के स्तर पर इस नाटक को करने में आनंद आ रहा है लेकिन समाज की इन घटनाओं से मन का दुख स्थाई है। महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं रुकना ही चाहिए।
अतुल श्रीवास्तव- नाटक में ताड़पत्री वाले साहब की भूमिका में अतुल श्रीवास्तव हैं। उनका कहना है इसे करने में बहुत मजा आया । मेरा दृश्य हास्य भी पैदा करता है और लोगों का मनोरंजन होता है । हालांकि नाटक एकदम समसामयिक है । विकृत मानसिकता और बलात्कार जैसे मामलों पर इसकी कथावस्तु मारक है और लोग इस से सीख ले सकते हैं।
 प्रवीण कैम्या - नाटक में सेल्समैन के सहायक घोड़के की भूमिका में प्रवीण हैं । दो साल तक सीखने के बाद पहली बार मंच पर आ रहे हैं उनका कहना है कि मेरे लिए यह एक अवसर था और लोगों ने मेरे काम को पसन्द भी किया है।
मनोज सोनी - नाटक के एक शो में घोड़के का किरदार निभा रहे मनोज सोनी का कहना है कि मंचीय भाषा और साहित्य के नजरिए से विजय तेंदुलकर की स्क्रिप्ट उत्कृष्ट होने के साथ ही कठिन भी होती हैं  । इनमें काम करने की अपनी अलग गरिमा तो होती ही है उसके साथ एक चुनौती भी होती है मैं इस नाटक का हिस्सा बना यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है ।
बेक स्टेज के कलाकारों की भूमिका
नाटक में बैकस्टेज कार्यों से जुड़े कलाकारों में सतीश साहू राजीव जाट ऋषभ सैनी आकाश विश्वकर्मा छोटू कपिल नाहर राहुल सेन क्षमता जुड़े ले असरार अहमद आदि ने मंच सज्जा कॉस्टयूम लाइट साउंड प्रॉपर्टी जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों के निर्वहन निभाए दायित्व को निभाया। जबकि मंच की कलाकार प्रतिदिन लगभग 8:00 10 घंटे अपनी-अपनी भूमिकाओं के अभ्यास हेतु निर्देशक श्री शर्मा के साथ रिहर्सल में मशगूल रहे। इससे पूर्व आयोजन के आरंभ में साहित्यकार डॉ शरद से डॉक्टर वर्षा ...सहित नाट्य निर्देशक जगदीश शर्मा व सभी कलाकारों ने मां सरस्वती का पूजन किया ।तत्पश्चात नाटक की प्रस्तुति आरंभ हुई। 
नाट्य प्रस्तुति के दौरान सभागार में देश देश देश देश सहित नगर के रंग कला प्रेमी दर्शक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे । 
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