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सुरखी उपचुनाव : पारुल साहू सहित 17 उम्मीदवारों ने भरे नामाकन

सुरखी उपचुनाव : पारुल  साहू सहित 17 उम्मीदवारों ने भरे नामाकन


सागर  । सागर जिले के सुरखी विधानसभा उप चुनाव के लिये नामांकन के अंतिम दिन आज 17 अभ्यर्थियों ने नाम निर्दे शन पत्र जमा
 किए। इस प्रकार 16 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया समाप्त हो गई। 9 से 16 अक्टूबर तक चली नामांकन प्रक्रिया  में कुल 22 अभ्यर्थियों ने 29 नाम निर्देषन-पत्र जमा किए। इनमें से 7 अभ्यर्थियों ने 2-2 नाम निर्देषन-पत्र जमा किए।
 अंतिम दिन जिन अभ्यर्थियों ने नाम निर्देषन-पत्र जमा किए। उनमें श्रीमती पारुल साहू (इंडियन नेशनल कांग्रेस), श्री धर्मेन्द्र सिंह राजपूत (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी), श्री शिशुपाल यादव (समाजवादी पार्टी), श्री चरण सिंह एवं श्री प्रहलाद सिंह गोंड (भारतीय गोंडवाना पार्टी), श्री कपिल सोनी (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी), श्री मुकेश कुमार, श्री राजेश कुमार, श्री तुलसीराम, श्री सिद्धिकी, श्री सैफुद्दीन, श्री ताहिर खान, श्री चरण सिंह, श्री गोविंद सिंह, श्री भूपेंद्र सिंह, श्री परिपुल शाह, मोहम्मद जमाल कुरैशी (सभी निर्दलीय) शामिल है।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तय किये गये कार्यक्रम के अनुसार नामाकंन पत्रों की जांच (स्क्रूटनी) 17 अक्टूबर को पूर्वान्ह 11 से की जायेगी। अभ्यर्थी 19 अक्टूबर तक अपने नाम निर्देषन-पत्र वापस ले सकेंगे। आगामी 3 नवम्बर को मतदान होगा। मतों की गणना 10 नवम्बर को होगी।  

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मन्त्री बनाती सुरखी, राजस्व मन्त्री को  जिताने मंत्रियों की साख दांव पर

#सुरखी_उपचुनाव


सादगी के साथ जमा किया कांग्रेस प्रत्याशी पारुल साहू ने अपना नामांकन

कांग्रेस की प्रत्याशी पारुल साहू केसरी ने सादगी के साथ अपना नामांकन निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया। नामांकन जमा करते समय उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता दाऊ बुंदेल सिंह बुंदेला तथा आकाश विश्वकर्मा मौजूद रहे। इससे पहले उन्होंने अपनी माताजी श्रीमती शकुन्तला और पिता पूर्व विधायक श्री संतोष साहू से आशीर्वाद लिया।

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 नामांकन जमा करने का साथी भी उन्होंने ऐसे व्यक्ति को बनाया जिसे भाजपा प्रत्याशी ने पिछले दिनों पेट्रोल विक्रय के झूठे केस में फसा दिया था। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री नरेश चंद्र जैन के असमय निधन से गमगीन कांग्रेस प्रत्याशी पारुल साहू और पार्टीजनों ने नामांकन के समय किसी भी तरह का शोर-शराबा और प्रदर्शन न करने का निर्णय लिया। 
पारुल ने कहा कि सुरखी सीट पर विकास नही हुआ। मेने क्षेत्र में 13 सिचाई परियोजनाएं मंजूर कराई। जिनका फायदा लोगो को मिलने लगा है। मेरा कहना है  सुरखी में भय की राजनीति नही चलेगी।  में लोगो के साथ खड़ी हूँ।  जनता की आवाज बनकर उनका साथ दूंगी। 
जिलाध्यक्ष श्री नरेश जैन जी ने संगठन को मजबूत किया है। उनके सपने को साकार करूंगी।

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सागर: स्वसहायता समूहों से अवैध रुपये वसूलने वाला चपरासी निलंबित

सागर: स्वसहायता समूहों से अवैध रुपये वसूलने वाला  चपरासी निलंबित


सागर । महिला एवं बाल विकास परियोजना केसली में पदस्थ  तुलाराम झारिया भृत्य केसली के विरूद्ध स्व सहायता समूहों द्वारा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2008 के तहत् समूह पंजीयन की गई शिकायतें दूरभाष के माध्यम से प्राप्त होने पर सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास जिला सागर से जाँच कराये जाने पर दिनांक 14.10.2020 को जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है।

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मन्त्री बनाती सुरखी, मन्त्री को  जिताने मंत्रियों की साख दांव पर

 *#सुरखी_उपचुनाव


जाँच प्रतिवेदन अनुसार श्री तुलाराम झारिया भृत्य द्वारा स्व सहायता समूहों का पंजीयन कार्य कार्यालय परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास परियोजना केसली जिला सागर में बिना किसी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के अवैधानिक रूप से कराया जाना पाया गया। साथ ही स्व सहायता समूहों से अनाधिकृत रूप से राशि वसूल किये जाने के कारण प्रथम दृष्टयादोषी पाये जाने के फलस्वरूप श्री तुलाराम झारिया भृत्य महिला एवं बाल विकास परियोजना केसली को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1988 के नियम के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
निलंबन अवधि में श्री तुलाराम झारिया भृत्य का मुख्यालय कार्यालय परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास परियोजना सागर शहरी 01 में निर्धारित किया जाता है। श्री तुलाराम झारिया भृत्य महिला एवं बाल विकास परियोजना केसली को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करने की पात्रता होगी । 
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मन्त्री बनाती सुरखी, राजस्व मन्त्री को जिताने मंत्रियों की साख दांव पर #सुरखी_उपचुनाव @ विनोद आर्य

मन्त्री बनाती सुरखी, राजस्व मन्त्री को  जिताने मंत्रियों की साख दांव पर 

#सुरखी_उपचुनाव 


@ विनोद आर्य

सागर। ( तीनबत्ती न्यूज़ .कॉम ) । सुरखी विधानसभा सीट वह है जिसने   मन्त्री बनाये है। इस क्षेत्र से राजनीति करने वालो का मध्यप्रदेश में  पॉलिटिकल रसूख अक्सर हाई रहा है।शिवराज सरकार में सागर जिले के  तीन मंत्री गोपाल भार्गव , भूपेंद्र सिंह और गोविंद राजपूत है। इस दफा सुरखी उपचुनाव में बतौर प्रत्याशी परिवहन और राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वही दोनो मन्त्री भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव की साख भी लगी है। इस तरह तीनों मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वैसे सुरखी की राजनीति से जुड़े लोग मन्त्री बनते रहे है। चाहे सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की।

सन 2018 में चुनाव  जीतने के बाद गोविंद राजपूत कमलनाथ सरकार में मन्त्री  बने। दलबदल के जरिये सरकार गिरी। तो गोविंद राजपूत शिवराज सरकार में मन्त्री बनाये गए। अब उपचुनाव में मैदान में है।  यदि चुनाव जीतते है तो फिर मन्त्री बनेंगे। गोविंद का मुकाबला 2013 में भाजपा से जीती पारुल साहू से है। अब दूसरी दफा पार्टी बदलकर आमने सामने है।

पढ़े :  
दलबदल में माहिर सुरखी के नेता !
★लक्ष्मीनारायण यादव ने कई दफा, गोविंद राजपूत ने दो दफा बदले दल
★ उपचुनाव में दलबदल को लेकर घूम रही कई कहानियां


लेकिन उपचुनाव में गोविंद राजपूत जिताने के लिए सागर जिले के दो मंत्रियों गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह प्रतिष्ठा भी दांव  पर लगी है।  नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का  सुरखी से सीधा नाता है। यही से  जीतकर विधानसभा में पहला कदम रखा था। भूपेंद्र सिंह  ने भाजपा की जमीन यहां तैयार की। श्री सिंह भले ही खुरई से प्रतिनिधित्व कर रहे हो । लेकिन सुरखी में हमेशा प्रभाव शाली रहे है। उपचुनाव में प्रभारी के साथ  कुछ संकट भी गोविंद राजपूत के निपटाए। 
उधर बुन्देलखण्ड अंचल के कद्दावर नेता लोकनिर्माण मन्त्री गोपाल भार्गव के असर सुरखी में है। उनकी सीट रहली से भी सुरखी का  इलाका लगा हुआ है। दोनो मंत्रियों की साख भी जुड़ी है। 
राजनीतिक हालातो की बात करे तो इस चुनाव के नतीजे  जिले के तीनों मंत्रियों की राजनीतिक हैसियत को भी प्रभावित करने वाला होगा। भाजपा को जीत मिलती है तो प्रदेश की  सियासत में सागर की ताकत और बढ़ेगी।  इसके साथ ही बुन्देलखण्ड अंचल में भाजपा को तीसरा प्रभावशाली नेता मिलेगा। 


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मन्त्री बनते रहे है सुरखी के नेता

सुरखी क्षेत्र के लोगो को अपने विधायको के मन्त्री बनने का सुख अक्सर मिला है। भले ही विकास की गति वैसी नही रही हो। आज भी कई मूलभूत सुविधाओं की दरकार क्षेत्र को है। जनता पार्टी से  चुनाव जीते लक्ष्मी नारायण यादव जनता सरकार में शिक्षा मंत्री बने। तो  फिल्मी गीतकार और गांधीवादी नेता स्व विठ्ठल भाई उधोग मन्त्री सहित कुछ अन्य विभागों का दायित्व मिलता रहा। 

सुरखी क्षेत्र के लोग नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह को  लम्बे समय से अपना नेता मानते है। भले ही वो खुरई से प्रतिनिधित्व कर रहे हो। मन्त्री भूपेंद्र सिंह मानते है कि उनके मंत्रित्वकाल हो संसदीय सुरखी क्षेत्र के लोग हमेशा मुझसे जुड़े रहे है। कार्यकर्ताओं के  काम भी किये है। 
इसके बाद सन 2018 में गोविंद राजपूत कांग्रेस सरकार में मन्त्री रहे। सत्ता पलट के बाद फिर श्री राजपूत को मन्त्री पद मिला। अब चुनाव  मैदान में है। 

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विज्ञान क्या कहता है, नवरात्रि त्यौहार के बारे में @ ज्योतिषाचार्य श्री अनिल पांडे

विज्ञान क्या कहता है, नवरात्रि त्यौहार  के बारे में

@ ज्योतिषाचार्य श्री अनिल पांडे

मां दुर्गा की आराधना का त्यौहार आ रहा है जो कि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगा।  इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं तथा यह अश्वनी  माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। हर बार यह त्यौहार पितृ मोक्ष अमावस्या के अगले दिन से प्रारंभ होता है। परंतु इस वर्ष 3 सितंबर से अधिमास  के कारण यह पितृ मोक्ष अमावस्या के 1 माह बाद अर्थात 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है।

नवरात्र के वैज्ञानिक पक्ष की तरफ अगर हम ध्यान दें तो हम पाते हैं कि दोनों प्रगट नवरात्रों के बीच में 6 माह का अंतर है। चैत्र नवरात्रि के बाद गर्मी का मौसम आ जाता है तथा शारदीय नवरात्रि के बाद ठंड का मौसम आता है। हमारे महर्षि यों ने शरीर को गर्मी से ठंडी तथा ठंडी से गर्मी की तरफ जाने के लिए तैयार करने हेतु इन नवरात्रियों की प्रतिष्ठा की है। नवरात्रि में व्यक्ति पूरे नियम कानून के साथ अल्पाहार  एवं शाकाहार  या पूर्णतया निराहार व्रत रखता है । 

इसके  कारण शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है ।अर्थात शरीर के जो भी विष तत्व है वे बाहर हो जाते हैं । पाचन तंत्र को आराम मिलता है । लगातार 9 दिन के  आत्म अनुशासन की पद्धति के कारण मानसिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाती है ।जिससे डिप्रेशन माइग्रेन हृदय रोग आदि बिमारियों  के होने की संभावना कम हो जाती है।
वर्ष के बीच में जो हम एक-एक दिन का व्रत करते हैं उससे मानसिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती है केवल पाचन तंत्र पर ही उसका प्रभाव पड़ता है ।
देवी भागवत के अनुसार सबसे पहले माने महिषासुर के सेना का वध किया था उसके बाद उन्होंने महिषासुर का वध किया महिषासुर का अर्थ होता है ऐसा असुर जोकि भैंसें के गुण वाला है अर्थात जड़  बुद्धि है । महिषासुर का विनाश करने का अर्थ है समाज से जड़ता का संहार करना। समाज को इस योग्य बनाना कि वह नई बातें सोच सके तथा निरंतर आगे बढ़ सके।
समाज जब आगे बढ़ने लगा तो आवश्यक था कि उसकी दृष्टि पैनी होती तथा वह दूर तक देख सकता ।अतः तब माता ने धूम्रलोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि दी। धूम्रलोचन का अर्थ होता है धुंधली दृष्टि। इस प्रकार माता जी माता ने धूम्र लोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि प्रदान की।
समाज में जब ज्ञान आ जाता है उसके उपरांत बहुत सारे तर्क वितर्क होने लगते हैं ।हर बात के लिए कुछ लोग उस के पक्ष में तर्क देते हैं और कुछ लोग उस के विपक्ष में तर्क देते हैं ।समाज की प्रगति और अवरुद्ध जाती है । चंड मुंड इसी तर्क और वितर्क का प्रतिनिधित्व करते हैं ।माता ने चंड मुंड की हत्या कर समाज को बेमतलब के तर्क वितर्क से आजाद कराया।

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समाज में नकारात्मक ऊर्जा के रूप में मनो ग्रंथियां आ जाती हैं ।रक्तबीज इन्हीं मनो ग्रंथियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस प्रकार एक रक्तबीज को मारने पर अनेकों रक्तबीज पैदा हो जाते हैं उसी प्रकार एक नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने पर हजारों तरह की नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जिस प्रकार सावधानी से रक्तबीज को मां दुर्गा ने समाप्त किया उसी प्रकार नकारात्मक ऊर्जा को भी सावधानी के साथ ही समाप्त करना पड़ेगा।
नवरात्रि में रात्रि का दिन से ज्यादा महत्व  है ।
इसका विशेष कारण है। नवरात्रि में हम व्रत संयम नियम यज्ञ भजन पूजन योग साधना बीज मंत्रों का जाप कर सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। राज्य में प्रचलित के बहुत सारे और रोज प्रकृति स्वयं ही समाप्त कर देती है। जैसे कि हम देखते हैं अगर हम जिनमें आवाज दें तो वह कम दूर तक जाएगी परंतु रात्रि में वही आवाज दूर तक जाती है दिल में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों को रेडियो तरंगों को आज को रोकती है अगर हम दिन में रेडियो से किसी स्टेशन के गाने को सुनें तो वह रात्रि में उसी रोडियो से उसी स्टेशन के गाने से कम अच्छा सुनाई देगा और संघ की आवाज भी घंटे और संघ संघ संघ शंख की आवाज भी दिन में कम दूर तक जाती है जबकि रात में ज्यादा दूर तक जाती है दिन में वातावरण में कोलाहल रहता है जबकि रात में शांति रहती है। नवरात्रि में  सिद्धि हेतु रात का ज्यादा महत्व दिया गया है ।
हमारे शरीर में 9 द्वार हैं। 2 आंख ,  दो कान , दो  नाक , एक मुख ,एक मलद्वार , तथा एक मूत्र द्वार। नौ द्वारों को सिद्ध करने हेतु पवित्र करने हेतु नवरात्रि का पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में किए गए पूजन अर्चन तप यज्ञ हवन आदि से यह नवो द्वार शुद्ध होते हैं।
नवरात्रि हमें यह भी संदेश देती है की सफल होने के लिए सरलता के साथ ताकत भी आवश्यक है जैसे माता के पास कमल के साथ चक्र एवं त्रिशूल आदि हथियार भी है समाज को जिस प्रकार  कमलासन की आवश्यकता है उसी प्रकार सिंह अर्थात ताकत ,वृषभ अर्थात गोवंश , गधा अर्थात बोझा ढोने वाली  ताकत , तथा पैदल अर्थात स्वयं की ताकत सभी कुछ आवश्यक है।
मां दुर्गा से प्रार्थना है कि वह आपको पूरी तरह सफल करें ।आप इस नवरात्रि में  जप तप पूजन अर्चन कर मानसिक एवं शारीरिक दोनों रुप में आगे के समय के लिए पूर्णतया तैयार हो जाएं।

जय मां शारदा।

निवेदक:-
पंडित अनिल पांडे
स्टेट बैंक कॉलोनी ,मकरोनिया ,सागर


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नवरात्रि और नव दुर्गा, 17 अक्टूबर से आरम्भ @ज्योतिषाचार्य अनिल पांडे

नवरात्रि और नव दुर्गा, 17 अक्टूबर से आरम्भ

@ज्योतिषाचार्य अनिल पांडे

मित्रों 
मां दुर्गा की आराधना का त्यौहार आ रहा है जो कि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगा।  इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं तथा यह अश्वनी  माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। 
1 वर्ष में चार नवरात्रि में होती हैं । दो प्रकट नवरात्रि तथा दो गुप्त नवरात्रि। प्रकट नवरात्रि में पहली चैत्र मास में चेत्र नवरात्रि तथा दूसरी अश्वनी मास में शारदीय  नवरात्रि । गुप्त नवरात्रि भी दो होती हैं ।पहली आषाढ़ मास में दूसरी पौष मास में। प्रगट नवरात्रि भक्तजन मां दुर्गा के नौ रूपों की वंदना करते हैं। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के अन्य 10 रूपों की वंदना होती है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक क्रियाओं तथा अन्य  सिद्धियों  की सिद्धि हेतु पूजा अर्चना की जाती है।
आज हम विशेष रूप से प्रकट नवरात्रि की चर्चा करेंगे। पहली प्रकट नवरात्रि  चैत्र नवरात्रि कही जाती है । यह चेत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा  से नवमी तक मनाई जाती है।  इस नवमी को रामनवमी भी कहा जाता है। दूसरी नवरात्रि अश्वनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है इसे शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं।
इन दोनों नवरात्रों में 6 माह का अंतर होता है। नवरात्रि में पहले ही दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री राजा हिमालय की पुत्री हैं ।इन्हें सती भी कहा जाता है । पूर्व जन्म की भांति इस जन्म में भी इनकी शादी भगवान शिव से हुई है ।मां शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं । इनके 2 हाथ हैं।एक हाथ में त्रिशूल है तथा दूसरे हाथ में कमल पुष्प है । मां शैलपुत्री के दूसरे नाम पार्वती और हेमवती भी है।
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन हम मा ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं साधक इस दिन अपने  मन को मां के चरणों में लगाते हैं ।इनके भी मां शैलपुत्री की भांति दो हाथ हैं ।एक हाथ एक हाथ में जप की माला है तथा दूसरे हाथ में कमंडल है। कुंडलिनी शक्ति जागृत करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला है तथा इससे व्यक्ति के मानसिक शक्ति की वृद्धि होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है मां चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं दिव्य शक्तियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। मां के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है । इनके दस हाथ में जेल में विभिन्न प्रकार के शस्त्र एवं वाण विभूषित हैं। मां का वाहन सिंह है तथा इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने की  होती है ।

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नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की उपासना होती है। साधक को इस दिन अत्यंत पवित्र होकर मां की आराधना करना चाहिए । जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की है ।यह आदिशक्ति हैं । इनके शरीर की कांति एवं प्रभा सूर्य के समान तेज है । मां की आठ भुजाएं हैं । इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं ।इनके 7 हाथों में क्रमश कमंडल ,धनुष ,बाण , कमल पुष्प ,अमृतपूर्ण  कलश ,चक्र तथा गदा है। तथा आठवें हाथ में सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।
मां का पांचवा रूप मां स्कंदमाता है। इनकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। मां मोक्ष का द्वार खोलने वाली परम सुख दाई है। मां भगवान स्कंद अर्थात कुमार कार्तिकेय की माता जी हैं कुमार कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे कुमार कार्तिकेय की मां होने के कारण इन्हें मां स्कंदमाता कहा जाता है। मां की चार भुजाएं हैं उनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर उठी हुई है उस में कमल पुष्प है । बायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वर मुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर कि ओर उठी  है , उसमें भी कमल पुष्प है । यह कमल के आसन पर विराजमान है तथा इनका भी वाहन सिंह है।
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है । यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक मां कात्यायनी का उल्लेख है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि मा परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई है। मां कात्यायनी विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन की पुत्री थी। महिषासुर का संहार किया है । जय महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर अत्यंत बढ़ गया था तब भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों ने अपने-अपने तेज कांच देकर महिषासुर के विनाश के लिए मां कात्यायनी को उत्पन्न किया था। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला है इनकी चार भुजाएं हैं माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प है इनका वाहन सिंह है।
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा की जाती है। इन्हें मां देवी काली, महाकाली ,भद्रकाली ,भैरवी आदि नाम से भी पुकारा जाता है। माना जाता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस भूत प्रेत पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है । यह सभी नकारात्मक ऊर्जामां के आने से पलायन कर जाती है। मां का शरीर घने अंधकार की तरह काला है ।सिर के बाल बिखरे हुए हैं । इनके तीन नेत्र हैं ।मां की नासिका से अग्नि की भयंकर ज्वाला निकलती है । इनका वाहन गर्दभ है । इनके ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ  की वर मुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं ।दाहिने तरफ की नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाला हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में कटार है।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है इनकी उपासना से भक्तों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण भी श्वेत है । महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। उनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में बर मुद्रा है ।इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।
नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।यह मां सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं इनकी उपासना के उपरांत सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं और सिस्टर में कुछ भी अगम में नहीं रह जाता । मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। उनके हाथों में गदा, चक्र, शंख एवं कमल है । मां का वाहन सिंह है तथा यह कमल के आसन पर आसीन हैं।
हमारे शरीर में 9 द्वार हैं। 2 आंख ,  दो कान , दो  नाक , एक मुख ,एक मलद्वार , तथा एक मूत्र द्वार। नौ द्वारों को सिद्ध करने हेतु पवित्र करने हेतु नवरात्रि का पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में किए गए पूजन अर्चन तप यज्ञ हवन आदि से यह नवो द्वार शुद्ध होते हैं।
नवरात्रि हमें यह भी संदेश देती है की सफल होने के लिए सरलता के साथ ताकत भी आवश्यक है जैसे माता के पास कमल के साथ चक्र एवं त्रिशूल आदि हथियार भी है समाज को जिस प्रकार  कमलासन की आवश्यकता है उसी प्रकार सिंह अर्थात ताकत ,वृषभ अर्थात गोवंश , गधा अर्थात बोझा ढोने वाली  ताकत , तथा पैदल अर्थात स्वयं की ताकत सभी कुछ आवश्यक है।

मां दुर्गा से प्रार्थना है कि वह आपको पूरी तरह सफल करें ।आप इस नवरात्रि में  जप तप पूजन अर्चन कर मानसिक एवं शारीरिक दोनों रुप में आगे के समय के लिए पूर्णतया तैयार हो जाएं।
जय मां शारदा।
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डॉक्टर की पर्ची के बगैर नहीं मिलेगा रेम्डिसिविर इंजेक्शन


डॉक्टर की पर्ची के बगैर नहीं मिलेगा रेम्डिसिविर इंजेक्शन

सागर जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए कलेक्टर श्री दीपक सिंह के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एमएस सागर ने जिले के समस्त मेडिकल संचालकों की बैठक आयोजित की। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी अपने-अपने मेडिकल स्टोर पर रेम्डिसिविर इंजेक्शन उपलब्धता की जानकारी प्रदर्शित करें। जानकारी में रेम्डिसिविर इंजेक्शन का मूल्य एवं मोबाइल नंबर, नाम सहित फ्लेक्स बोर्ड पर अंकित करें।

डॉक्टर सागर ने बताया कि,कलेक्टर श्री दीपक सिंह के निर्देश पर यह बैठक आयोजित की गई थी।बैठक में निर्देश दिए गए कि, डॉक्टर की पर्ची के बिना कोई भी मेडिकल संचालक इंजेक्शन का विक्रय नहीं करेगा। साथ ही इंजेक्शन का रिकार्ड भी संधारित करेगा। उन्होंने बताया कि, समस्त मेडिकल संचालकों को स्टोर के मुख्य गेट पर यह फ्लेक्स चस्पा करना होगा और प्रतिदिन जानकारी प्रस्तुत करना होगी। 
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