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निष्कासित काँग्रेस प्रवक्ता देवेंद्र फुसकेले बोले जिला कांग्रेस प्रभारी वीरेंद्र गौर फर्जी और स्वयंभू नेता

निष्कासित काँग्रेस प्रवक्ता देवेंद्र फुसकेले बोले जिला कांग्रेस प्रभारी वीरेंद्र गौर फर्जी और स्वयंभू नेता

सागर। खाध मंत्री गोविन्द राजपूत के साथ घूमने पर राजनीतिक यात्रा पर जाने वाले सागर जिला कांग्रेस के प्रवक्ता देवेंद्र फुसकेले को पार्टी से बाहर निकाल दिया है । इसके वाद काँग्रेस की अंदरूनी लड़ाई सड़को पर है। निष्कासित नेता पप्पू फुसकेले ने जमकर आरोप जिला  प्रभारी वीरेंद्र गौर पर लगाये है। 

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फर्जी और स्वयंभू नेता है वीरेन्द्र गौर: फुसकेले

जिला कांग्रेस प्रवक्ता देवेन्द्र फुसकेले ने प्रेस को ब्यान जारी करते हुए अपने उपर लगाये गये बेबुनियाद आरोंपो का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में संगठन प्रभारी नाम का कोई पद स्वीकृत ही नहीं है। वीरेन्द्र गौर जैसे फर्जी एवं स्वयंभू नेता अपने लिए संगठन प्रभारी पद से सुशोभित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये वह नेता है जो विगत15 वर्षों से रात में दीपाली और दिन में किला कोठी की पूजा अर्चना करते हुए नहीं थकते थे। देवेन्द्र फुसकेले ने कहा कि सागर जिले का हर नेता वीरेन्द्र गौर के इस कृत्य से भली भाती परिचित है। दरअसल बात यह है कि वीरेन्द्र गौर अपने लिए कांग्रेस अध्यक्ष पद पर देखना चाहते है। जबकि राजपूत परिवार से इनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है। यदि
वीरेन्द्र गौर को जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया जाता है तो कांग्रेस फिर से
किलाकोठी में कैद हो जावेगी। दद्दा शिष्य मंडल की आड़ में वीरेन्द्र गौर भूपेन्द्र एवं गोविंद
सिंह की वंदना करते हुए कभी यह थके नहीं है और आज हम जैसे कांग्रेस में आस्था रखने
वाले व्यक्ति को निष्कासित कर रहे हैं।

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जबकि हकीकत तो यह है कि निष्काषित करने योग्य इतिहास वीरेन्द्र गौर का है। आज वीरेन्द्र गौर जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मुगेरीलाल कासपना देख रहे हैं। जो अपनी निष्ठा किसी भी समय बेच सकते हैं। आज सागर का कांग्रेस
नेतृत्व दिशाहीन हो चुका है।
उन्होंने कहा कि  वीरेन्द्र गौर कतिपय भाजपा नेताओं के ऐजेण्ट के रूप में लंबे समय से कांग्रेस पर काम कर रहे हैं। वे अपने गुप्त, एजेण्डे के तहत सागर जिले में कांग्रेस को समाप्त करने की सुपारी लिए बैठे हैं। ऐसे में वह निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से बाहर कराकर स्वयं भी भाजपा की सदस्यता ले लेंगे। उनके द्वारा की गई कार्यवाही को कांग्रेस हित में न मानकर कांग्रेस के ताबूत की अंतिम कील मानी जाना चाहिए।
देवेन्द्र फुसकेले उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता पद से हटाए गये .6 साल के लिये  पार्टी से निष्कासित-वीरेन्द्र गौर

 जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता देवेन्द्र फुसकेले 2 मई को भाजपा नेता एवं मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद राजपूत के साथ 2 मई को गढ़ाकोटा में राजनीति की यात्रा पर जाने पर देवेंद्र  फुसकेले को कारण बताओ नोटिस जारी मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के  निर्देश पर जिला अनुशासन समिति अध्यक्ष एवं जिला कांग्रेस के प्रभारी वीरेन्द्र गौर ने जारीकर 72 घंटा में जबाब मांगा गया था। फुसकेले के जबाब से संतुष्ट नहीं होने एवं विश्वसनीय नहीं होने के कारण झूठ पकड़ा गया. जिसमें फुसकेले ने कहा है कि दमोह से बस आ रहा था तब गढाकोटा में राजपूत मिल गये सो साथ हो गया था. लाकडाउन में बस बंद होने एवं झूठी कहानी गढने से  पार्टी को अंधकार में रखने की कोशिश की गई.सम्पूर्ण घटना से मध्यप्रदेश कांग्रेस को अवगत कराने के बाद जिला अनुशासन समीति अध्यक्ष वीरेन्द्र गौर ने फुसकेले को प्रवक्ता. उपाध्यक्ष पद से हटाकर.6 साल के लिए कांग्रेस  पार्टी  से निष्कासित कर दिया है. निष्कासन के पूर्व गौर ने सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से सहमति भी ले ली थी।

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गौर ने कहा है कि  पार्टी ऐसे लोगों पर भी नजर रख कर चिन्हित कर रही है जो मंत्री गोविंद राजपूत के साथ पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलग्न है ।गौर ने कहा है कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर कहीं भी खौफ एवं दबाव की घटनाएं सामने आने पर पूरी कांग्रेस कार्यकर्ताओं  के साथ खडी है।फुसकेले के निष्कासन का उचित बताते हुए एवं गौर सही समय पर सटीक कदम उठाने का स्वागत करने वालों में मध्यप्रदेश कांग्रेस के सचिव अमित दुबे. सुरेन्द्र चौबे. राजेश्वर सेन. जिला प्रवक्ता आशीष ज्योतिष. डा दिनेश पटैरिया. लझ्मीनारायण सोनकिया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता परसोत्तम मुन्ना चौबे. गिरीश पटैरिया. मुकुल पुरोहित. रामकुमार पचौरी. जितेन्द्र रोहण.महेन्द्र यादव. संजय ब्रजपुरिया,प्रदीप पप्पू गुप्ता. असरफ खान. गोवर्धन रैकवार .डा. नरेश चौबे.आर आर पारासर. बंटू चौबे. आशुभाई.अनूप मिश्रा. विवेक मिश्रा.अजीत सिंह,अनुरूध्द गौर,शुभम तिवारी शामिल हैं।
         
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सागर की महिला समूहों की बनाई पीपीई किट कर रही है इंदौर ,भोपाल में सुरक्षा

सागर की महिला समूहों की बनाई पीपीई किट कर रही है इंदौर ,भोपाल में सुरक्षा

सागर। महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ आयोजित वीडियो काफेंसिंग में समूह की महिलाओं के साथ मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने सजीव चर्चा की। सागर की महिलाओं के साथ दुग्ध और सब्जी सप्लाई चैन के बारे में मुख्यमंत्री चर्चा कर रहे थे, तभी उन्होंने अचानक विषय से हटकर पीपीई किट के डेमो के लिए रेडी महिला की ओर इंगित किया और उसे कैमरे के नजदीक बुलाते हुए सुरक्षा कबच पीपीई किट पर अपनी जिज्ञासायें रखना शुरू किया। महिलाओं ने बताया कि सागर जिले की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने जिला कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक की प्रेरणा से मास्क बनाने का जिम्मा लिया था। प्रारंभ में तो केवल दो केन्द्रों में मास्क निर्माण का काम शुरू हुआ परंतु वर्तमान में 44 से अधिक स्थानों पर मास्क निर्माण का बडे़ पैमान पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री के द्वारा पीपीई किट निर्माण कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई। उन्हेंने महिलाओं को संकट की इस घड़ी में जिला प्रशासन और सरकार के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

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किट की कमी ,समूहों से मिली राहत

जिला प्रशासन के समक्ष एक बड़ी चुनौती कोरोना के खिलाफ जंग में उतरे पुलिस कर्मियों स्टाफ नर्सें, डॉक्टर्स की सुरक्षा की थी। पीपीई किट का इस स्तर पर उपलब्ध हो पाना बहुत कठिन था समूचे देश में पीपीई किट की कमी थी। ऐसे में समूह की इन महिलाओं ने भी समाज की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कबच बनाना शुरू कर दिये। वर्तमान में विकाखण्ड देवरी, केसली, खुरई, राहतगढ़ विकासखण्डों में 4 केन्द्रों में 18 समूह पीपीई किट का निर्माण कर रहे हैं। प्रदेश में जबलपुर, भोपाल और इंदौर हाई रिस्क जॉन में हैं। जहां पुलिस मुख्यालय भी इस बात के लिए संवेदनशील है कि लॉकडाउन के अनुपालन के लिए तैनात सुरक्षाकर्मी के लिए पीपीई किट की आवश्यकता है। जिला कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक के प्रयासों से पुलिस मुख्यालय से भी सप्लाई के लिए सागर जिले की समूह की महिलाओं को अपने मांग पत्रभेजे गये हैं। 

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अब तक 3200 बनी किट

सागर के द्वारा अब तक 3200 पीपीई किट का निर्माण किया गया है जिसमें से भोपाल और इंदौर के लिए 1650 किट की सप्लाई प्रदाय की जा चुकी है। शेष स्थानीय प्रशासन को उपलब्ध कराये गये है। डॉ. इच्छित गढ़पाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, सागर  के अनुसार समूह की इन महिलाओं ने संकट काल में न केवल सुरक्षा कबच और मास्क तैयार किये बल्कि ताजी सब्जियां और दूध भी घर घर पहुंचाकर लोगां की संकट काल में मदद की। समूह से जुड़ी बैंक सखियों ने बैंकों की भीड़ में संक्रमण के खतरों से बचाते हुए वृद्धा अवस्था पेंशन घर घर उपलब्ध कराई है इससे वरिष्ठजन परिवहन और बैंकों की कतार में संक्रमण के खतरों से सुरक्षित रह सकें।

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अगले 15 दिन चुनौती भरे, बाहर से आने वालो कि सूचना दे : कलेक्टर प्रीति मैथिल

अगले  15 दिन चुनौती भरे, बाहर से आने वालो कि सूचना दे : कलेक्टर  प्रीति मैथिल

#COVID19_SAGAR

सागर । आने वाले 15 दिवस चुनौतीपूर्ण होंगे और इस चुनौती का सामना पूरे मनोयोग से कर कोरोना वायरस से लड़ाई जीतना ही हमारा प्रयास होगा। इसके लिये आज से ही निगम के समस्त 48 वार्डों में डोर-टू-डोर सर्वें प्रारंभ कराया गया है।  यह बात कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक ने बीएमसी में डाक्टरों की बैठक में कही। दिये। इस अवसर पर बीएमसी के डीन डा. जीएस पटेल, आयुक्त नगर निगम  आरपी अहिरवार, सीईओ जिला पंचायत  इच्छित गढ़पाले, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डा. एम.एस. सागर, सीईओ स्मार्ट सिटी श्री राहुल सिंह राजपूत, बीएमसी अधीक्षक डा. सुनील पिप्पल, कोराना वार्ड प्रभारी डा. तल्हा शाद, डा. मनीष जैन सहित बीएमसी के डाक्टर्स मौजूद थे।

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बैठक में कलेक्टर श्रीमती नायक ने कहा कि आने वाले 15 दिवस चुनौतीपूर्ण रहेंगें। क्योकि इन 15 दिवसों में पूरे देष के राज्यों से जिले के निवासी मजदूरों का आगमन होगा और उनकी मानटरिंग करना चुनौती पूर्ण कार्य होगा। इस चुनौती को हमे पूरे संकल्प के साथ निभाकर सागर को कोरोना मुक्त करना होगा। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले मजदूरों को ग्रामस्तर पर जाकर स्वस्थ सर्वें किया जायेगा एवं संदिग्ध पाये जाने पर उनकों ग्राम की ही स्कूल या शासकीय भवन क्वालनटाईन किया जायेगा। अन्य को होम क्वोराटाईन किया जायेगा। उन्होंने सागर वासियों से अपील की है कि बाहर से आने वाले व्यक्तियों की सूचना तत्काल कोरोना कंट्रोल रूम संबंधित कोटवार, सचिव, पुलिस को दें।

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बैठक में उन्होंने निगम के 48 वार्डों में डोर-टू-डोर सर्वें करने के निर्देष दिये। जिसमें प्रत्येक वार्ड में सफाई दरोगा, सफाई कर्मी, आंगनवाडी कार्यकर्ता, टेक्स कलेक्टर्स की टीम प्रत्येक वार्ड में घर-घर जाकर जानकारी प्राप्त करेंगे कि किसी घर में किसी व्यक्ति को सर्दी, खासी, बुखार तो नही है। साथ ही यह भी जानकारी ली जायेगी कि वार्ड में या किसी के घर में अन्य जगह से कोई व्यक्ति तो नही आया है। इसकी प्रतिदिन रिपोर्ट नगर निगम के स्वच्छता अधिकारी के पास प्रस्तुत की जायेगी जो उसी दिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
कलेक्टर श्रीमती मैथिल ने कहा कि जिला चिकित्सालय में सर्दी, खासी, बुखार की जो ओपीडी चल रही है उसको अनवरित चालू रखा जाये साथ ही सामुदायिक ओपीडी प्रभारी यह भी सुनिष्चित करें कि किस क्षेत्र से कितने व्यक्ति किस बीमारी से पीड़ित हैं। इसकी रिपोर्ट भी प्रतिदिन सीएमएचओ को प्रस्तुत करें साथ ही सीएमएचओ यह सुनिष्चित करें कि जिस क्षेत्र में सर्दी, खासी, बुखार के अधिक व्यक्ति है उस क्षेत्र का सूक्ष्मता से सर्वे कराया जाये।    
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पाजिटिव मरीज के साथ टिकटाक वीडियो बनाने वाले अनवर की माँ और दोनो बहिन भी हुई डिस्चार्ज प्रशासन बोला अभी खतरा टला नही,सतर्कता जरूरी

पाजिटिव मरीज के साथ टिकटाक वीडियो बनाने वाले अनवर की माँ और  दोनो  बहिन हुई  डिस्चार्ज 
प्रशासन बोला अभी  खतरा टला नही,सतर्कता जरूरी


★सागर के सभी पाँचो मरीज हुए स्वस्थ्य
भाई - बहिन दोनो बोले मास्क लगाए,सोसल डिस्टेंस का पालन करे

#COVID19_SAGAR

सागर। सम्भागीय मुख्यालय सागर के लिए मंगलवार का दिन बड़ी राहत की ख़बर लाया।  जब तीन और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई । 
इसके साथ ही पांचों कोरोना पॉजिटिव मरीज अब ठीक होकर अपने घर पहुंच चुके हैं । इनकी कहानी टिकटाक वीडियो से चर्चित हुई थी। पहले पाजिटिव मरीज समीर खान के साथ टिकटाक बनाने वाले दोस्त अनवर खान  भी संक्रमित हुआ। नतीजा यह निकला  कि अनवर की माँ और दोनो बहिन भी कोरोना का शिकार बनी। कोरोना वारियर्स की मेहनत रंग लाई सभी पांच स्वस्थ्य होकर घर  पहुच गए। हालांकि ख़तरा टला नही है । कलेक्टर प्रीति मैथिल के मुताबिक लगातार सोसल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। साथ ही बाहर से आने वाले या सर्दी खांसी वालो की सूचना देनी होगी।

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आज कोविड हॉस्पिटल से पी-2 मरीज अनवर खान की मां और दोनों बहनों के आज बीएमसी कोविद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। रेड कार्पेट पर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच इनको विदा किया गया। मेडिकल स्टाफ की ओर से उपहार भी दिया गया।  विधायक शैलेंद्र जैन  डॉ्क्टरों और ठीक हुए मरीजों पर पुष्प वर्षा की । विधायक शेलेन्द्र जैन ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। सभी की मेहनत का नतीजा है। 

सावधानी रखना जरूरी,मरीज आ सकते  है: डीन

बीएमसी के डीन डॉ जी एस पटेल ने कहा कि इसमें खास बात ये रही कि समय से भर्ती से लेकर समय से इलाज हुआ और कोई मौत नहीं हुई ये बहुत महत्वपूर्ण बात है । उन्होंने डॉक्टरों और पूरे स्टॉफ को बधाई देते हुए कहा कि हम आने वाली किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं मगर लोगों को ध्यान रखना होगा । अब लोगों का एक जगह से दूसरी जगह जाना शुरू हो गया है । ऐसे में लोगों की सतर्कता ही  सबसे बड़ा बचाव है । बाहरी लोगों से ख़तरा है। डीन ने कहा कि मरीज आने की संभावना बनी है। एक या दो मिलेंगे। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है। 

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अब ज्यादा सतर्कता की जरूरत :कलेक्टर प्रीति मैथिल

सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने कहा कि अभी भी सभी लोगों को बहुत सतर्क रहने की  जररूत है ।  हर दम लॉक डाऊंन या कर्फ्यू सम्भव नही है। हमे खुद नियमो का पालन करना होगा। मेरे या  पुलिस के कहने से नियमो का पालन नही बल्कि इस बीमारी से बचाव के लिए नियमो का पालन करे। दुकानों पर भीड़ नही लगाए।  बाहरी लोगों की सूचना दे।

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नही दिखा सोसल डिस्टेंस मेडिकल कालेज में मरीजों को डिस्चार्ज करते वक्त

कोविड 19 की  गाईड लाईन में सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी है। लेकिन सागर के कोविड हॉस्पिटल बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज में इसकी धज्जियां उड़ती नज़र आई। आज तीन  मरीज डिस्चार्ज हुए। इनको  ताली बजाकर विदा किया गया। वही विधायक शेलेन्द्र जैन इनपर फूल बरसाने पहुच गए । इस दौरान भीड़ जैसा माहौल बना हुआ था। 
जबकि  कलेक्टर  प्रीति मैथिल और डीन जी एस पटेल का साफ कहना है कि  अभी खतरा टला नही है।सोसल डिस्टेंस का पालन जरूरी है । लंबे  समय तक खुद को सावधान रहना होगा।

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चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

ग्वालियर। डकैतों की असली कहानियों में  चम्बल के आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह की ढेरों कहानियां आज भी सुनाई जाती है। ऐसे आतंक का पर्याय बन पूर्व दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर का लम्बी बीमारी के चलते आज सुबह निधन हो गई।  92 साल के मोहर सिंह दद्दा  मेहगांव  नगर पंचायत अध्यक्ष भी रहे है। 
सन 60 के दशक में था, 2 लाख का ईनाम घोषित किया गया था। सन 1972 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।  उनके खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में  315 अपराध  दर्ज थे। जिनमें 85 हत्याओ केआरोप थे। 

मोहर- माधो की जोड़ी की थी दहशत

साठ से लेकर सत्तर के दशक तक चम्बल में दो सबसे बड़े डाकू गिरोह थे मोहर सिंह और माधो सिंह । मोहर सिंह ने 1972 में अपने गिरोह के साथ पगारा बांध परजयप्रकाश नारायण से भेंट की और फिर 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा जिला मुरेना में अपने साथियों सहित गांधी जी की तस्वीर के सामने हथियार रखकर आत्मसमर्पण कर दिया । उस समय मोहर सिंह पर एमपी,यूपी,राजस्थान आदि राज्यो की पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था जिसका आज के अनुसार मूल्यांकन दस करोड़ से अधिक है । मोहर सिंह के खिलाफ देश के विभिन्न थानों में तीन सौ से अधिक हत्या के मामले दर्ज थे लेकिन बकौल मोहर सिंह ये गिनती बहुत कम थी ।

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नगर पालिका अध्यक्ष भी बने

आत्मसमर्पण के बाद मोहर सिंह ने भिण्ड जिले के मेहगांव कस्बे को अपना घर बनाया और वही रहने लगे। वे दाड़ी रखाते थे इसलिए वे वहां दाढ़ी के नाम से ही विख्यात थे। वे हँसमुख और मिलनसार ठगे इसलिए हर उम्र के लोगों में उनकी खासी लोकप्रियता थी । यह इतनी ज्यादा थी कि वे एक बार नगर पालिका मेहगांव के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और निर्दलीय ही जीत गए । उंन्होने इस दौरान विकास के काम भी कराए । लोगो ने उनसे फिर चुनाव लड़ने को भी कहा तो उन्होंने मना कर दिया ।

कैसे बने डकैत
अपने समय के सबसे खूंखार डकैत मोहर सिंह ग्राम जटेपूरा गांव में दबंगो ने उनकी जमीन छुड़ा ली और पुलिस से मिलीभगत करके बन्द भी करा दिया । इसके बाद मोहर सिंह डकैत हो गया और फिर उसने अपने आतंक से पूरे उत्तर भारत को दहलाकर रख दिया। समर्पण के समय इसके गैंग में 37 लोग थे । जब मोहर सिंह गैंग ने समर्पण किया तब उज़के पास सारे ऑटोमेटिक हथियार थे जो पुलिस के पास भी नही थे।

ये हथियार किये थे समर्पित
समर्पण करते समय मोहर सिंह 37 साल का था । वह पूरी तरह निरक्षर था । बकौल उसके-हमने तो स्कूल का मुंह भी नहीं देखा। उसने जब समर्पण किया तो एक एसएलआर,टॉमी गन,303 बोर चार रायफल,ऑटोमेटिक  चार एलएमजी,स्टेनगन ,मार्क 5 रायफल सहित भारी असलाह गांधी के चरणों मे रखा ।
जेल भी काटी और फ़िल्म में हीरो भी बने

मोहर सिंह और माधो सिंह कहने को तो अलग-अलग गिरोह थे लेकिन दोनों के बीच खूब याराना था । मोहर सिंह द्वारा माधो सिंह का बहुत आदर किया जाता था । दोनों गैंग ने एक साथ आत्मसमर्पण किया और फिर जेल में रहकर मुकद्दमे निपटाने के बाद ही बाहर आये ।  बाद में चम्बल के डाकू नाम से एक फ़िल्म भी बनी इसमें मोहर सिंह और माधो सिंह दोनों ने अपनी भूमिकाएं भी निभाई।

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ऐसी कहानी है मोहर सिंह की
चंबल में पचास के दशक में जैसे बागियों की एक पूरी बाढ़ आई थी।  मानसिंह, रूपा, लाखन, गब्बर, सुल्ताना जैसे डाकूओं से चंबल थर-थर कांप रही थी। साठ के दशक की शुरूआत में इनमें से ज्यादातर डाकू पुलिस की गोलियों का निशाना बन चुके थे या फिर उनके गैंग छोटे हो चुके थे। लेकिन इस दशक में एक नाम ऐसा उभरा जिसने बाकि सब नामों की चमक को फीका कर दिया। ये नाम था मोहर सिंह का। डाकू मोहर सिंह साठ के दशक में चंबल का राजा। 
मानसिंह के बाद चंबल घाटी का सबसे बड़ा नाम था मोहर सिंह का। मोहर सिंह जिसके पास डेढ़ सौं से ज्यादा डाकू थे। मोहर सिंह चंबल घाटी में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान की पुलिस फाईलों में E-1 यानि दुश्मन नंबर एक के तौर पर दर्ज था। साठ के दशक में चंबल में मोहर सिंह की बंदूक ही फैसला थी और मोहर सिंह की आवाज ही चंबल का कानून। 
चंबल में पुलिस की रिकॉड़ चैक करे तो 1960 में अपराध की शुरूआत करने वाले मोहर सिंह ने इतना आतंक मचा दिया था कि पुलिस चंबल में घुसने तक से खौंफ खाने लगी थी। एनकाउंटर में मोहर सिंह के डाकू आसानी से पुलिस को चकमा देकर निकल जाते थे। मोहर सिंह का नेटवर्क इतना बड़ा था कि पुलिस के चंबल में पांव रखते ही उसको खबर हो जाती थी। और मोहर सिंह अपनी रणनीति बदल देता था। 
1958 में पहला अपराध कर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होने वाला मोहर सिंह ने जब अपने कंधें से बंदूक उतारी तब तक वो ऑफिसियल रिकॉर्ड में दो लाख रूपए का ईनामी था और उसका गैंग 12 लाख रूपए का इनामी गैंग था। 1970 में इस रकम को आज के हिसाब से देंखें तो ये रकम करोड़ों का हिसाब पार कर सकती है। पुलिस फाईल में 315 मामले मोहर सिंह के सिर थे और 85 कत्ल का जिम्मेदार मोहर सिंह था। मोहर सिंह के अपराधों का एक लंबा सफर था लेकिन  अचानक ही इस खूंखार डाकू बंदूकों को रखने का फैसला कर लिया। 

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@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

मोहर सिंह चंबल की डांग में बसे हुए गांवों में एक छोटा सा गांव अनाम सा लड़का। गांव कुछ जमीन और खेती बाड़ी। चंबल में नाइँसाफी और बदले के जुनून की सैकड़ों कहानियां बिखरी हुई है। लेकिन हर कहानी का रिश्ता जाकर जुड़ जाता है एक ही कहानी से। यानि जमीन को लेकर जंग से। मोहर की जिंदगी में भी अपनी छोटी सी जमीन को बचाने की जंग थी और नाकामयाब मोहर सिंह की जिंदगी की बटिया भी बीहड़ में भटक गई।

झाड़ियां ही झाड़ियां और बीच में एक सफेद रंग से पुता हुआ एक मंदिर।  ये सत्तर साल पहले एक भरा-पूरा गांव था। लेकिन अब सिर्फ बीहड़ ही बीहड़ है। गांव अब इससे लगभग एक किलोमीटर दूर जाकर बस गया है और पुराना गांव बिसुली नदी के कछार में समा गया है। लेकिन इसी गांव से शुरू हुई एक डाकू मोहर सिंह की कहानी।
मोहर सिंह इसी गांव का रहने वाला एक छोटा सा किसान था। गांव में छोटी सी जमीन थी। जिंदगी मजे से चल रही थी। लेकिन चंबल के इलाके का इतिहास बताता है कि किसानों की जमीनों में फसल के साथ साथ दुश्मनियां भी उगती है। जमीन के कब्जें को मोहर के कुनबे में एक झगड़ा शुरू हुआ। और इसी झगड़े में मोहर सिंह की जमीन का कुछ हिस्सा दूसरे परिवार ने दबा लिया। गांव में झगड़ा हुआ। पुलिस के पास मामला गया। और पुलिस ने उस समय की चंबल में चल रही रवायत के मुताबिक पैसे वाले का साथ दिया। केस चलता रहा। इस मामले में मोहर सिंह गवाह था। 
गांव में मुकदमें में गवाही देना दुश्मनी पालना होता है। जटपुरा में एक दिन मोहर सिंह को उसके मुखालिफों ने पकड़ कर गवाही न देने का दवाब डाला। कसरत और पहलवानी करने के शौंकीन मोहर सिंह ने ये बात ठुकरा दी तो फिर उसके दुश्मनों ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी। घायल मोहर सिंह ने पुलिस की गुहार लगाई लेकिन थाने में उसकी आवाज सुनने की बजाय उस पर ही केस थोप दिया गया। 
1960 के दशक की चंबल घाटी से संबंध
चंबल घाटी में जब मान सिंह राठौर, तहसीलदार सिंह (मानसिंह और तहसीलदार पिता-पुत्र), डाकू रूपा, लाखन सिंह, गब्बर सिंह, लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का पंडित, माधो सिंह (माधव), फिरंगी सिंह, देवीलाल, छक्की मिर्धा, रमकल्ला और स्योसिंह (शिव सिंह) जैसे खूंखार बागी-गैंग (डकैत और उनके गिरोह) अपने चरम या फिर खात्मे (उतार/ समाप्ति) की ओर थे. डाकू फिरंगी सिंह, देवीलाल और उसका पूरा गिरोह, छक्की मिर्धा और गैंग, स्यो सिंह और रमकल्ला मारे जा चुके. उसी वक्त सन् 1958 में एक नौसिखिया मगर उस जमाने का सबसे ज्यादा खतरनाक और खून-खराबे पर उतरा बागी (डाकू) मोहर सिंह चंबल के बीहड़ में बंदूक लेकर कूदा था. पुराने गैंगों की चिंता किए बिना मोहर सिंह ने 150 से ज्यादा खूंखार डाकूओं को अपना गिरोह चंबल घाटी में उतार दिया.
श्रापित चंबल का बीहड़ और जिंदगी का वो पहला कत्ल
इतिहास गवाह है कि, चंबल की जमीं ने अपने घने कांटेदार बबूल के साए में सैकड़ों डाकूओं को पनाह दी. चंबल घाटी ने अनगिनत दुश्मन पहले तो पाल-पोसकर बड़े किए. फिर उन्हीं दुश्मनों ने दुश्मन और दुश्मनी को बंदूकों के बलबूते नेस्तनाबूद करके चंबल की गहरी डरावनी घाटियों में हमेशा-हमेशा के लिए जमींदोज कर दिए. फिर भला ऐसी श्रापित चंबल के असर से कभी गांव के अखाड़े में अल-सुबह 'जोर' (पहलवानी) करने वाला बीते कल का हट्टा-कट्टा गबरू जवान मोहर सिंह गुज्जर भी कैसे बच पाता? भिंड जिले के महगांव में रह रहे चंबल घाटी के इस पूर्व बागी के मुताबिक पुश्तैनी जमीन को लेकर कुछ लोगों ने उन्हें पीट दिया. बदले में मोहर सिंह ने दुश्मन को गोलियों से भून डाला. इसके बाद बंदूक उठाई और बागी होकर चंबल के जंगल में कूद गया. बाद में यही मोहर सिंह गुज्जर उस एक अदद कत्ल की बदौलत चंबल घाटी के उस वक्त के सबसे खूंखार डाकू मानसिंह राठौर के बाद दूसरे नंबर के क्रूर बागी की कुर्सी पर काबिज हो गया.
वो बंदूक जिसने चंबल में कोहराम मचा दिया
चंबल में मोहर सिंह की बंदूक गरजी तो उसकी आवाज से तीन राज्यों (उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य-प्रदेश) की पुलिस के कान बहरे होने लगे. पुलिस चंबल में एक ओर मोहर गैंग से लोहा ले रही होती, तब तक गैंग के दूसरे सदस्य चंबल के ही किसी और कोने में पुलिस वालों को ढेर करके जा चुका होता. यूं तो चंबल घाटी में मौजूद तमाम गिरोह के सरगनाओं के कानों में भी मोहर सिंह गैंग के हथियारों की तड़तड़ाहट पहुंची, मगर मोहर सिंह गैंग का लोहा सबसे पहले माना चंबल में उस वक्त दो नंबर की कुर्सी पर काबिज माधो सिंह (माधव उर्फ माधो सिंह पूर्व फौजी बागी) ने. माधो-मोहर गैंग की दोस्ती ने चंबल के बीहड़ में कहर बरपा कर पुलिस के होश फाख्ता कर दिए.

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चंबल के पूर्व डकैत मोहर सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर लगाई थी गुहार
कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दस्यु सरगना मोहर सिंह ने पिछले साल  सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित नौवीं शताब्दी के क़रीब 200 मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने की अपील की है। मुरैना के महगांव निवासी 92 वर्षीय मोहर सिंह ने मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि उनके पूर्वजों द्वारा बनवाए गए "मंदिरों को एक-एक करके गिरते हुये नहीं देखा जाता।"
मोहर सिंह ने  उन्होंने छह सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बटेश्वर स्थित इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम फिर से शुरु कराने की अपील की है। पूर्व दस्यु ने कहा, उन्हें " उम्मीद है कि वे हमारी बात को सुनेंगे।

(कुछ कंटेंट इंडिया शाम तक .कॉम से)
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सड़क हादसे में हुई दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सड़क हादसे में हुई  दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सिवनी। सिवनी जिले के लखनवाड़ा के पास छिंदवाड़ा रोड में देर रात हुए सड़क हादसे में बाइक सवार दो आरक्षकों की मौत हो गई। दोनों लोग एक डंपर की चपेट में आ गए थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा के चांद निवासी आरक्षक जगन्नाथ चोरे और सुंदर लाल गढ़वाल बाइक से कहीं जा रहे थे। हाइवे मिडवे ट्रीट के पास सिवनी आ रहे डंपर ने टक्कर मार दी। दोनों की मौके पाए ही मौत हो गई। डंपर का चालक मौके से फरार हो गया है। पुलिस डंपर चालक को तलाश रही है।
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