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शिक्षा बदलेगी तो देश बदलेगा: अतुल भाई कोठारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्रियान्वयन आयोजना कार्यक्रम संपन्न

 
शिक्षा बदलेगी तो देश बदलेगा: अतुल भाई कोठारी 
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  क्रियान्वयन आयोजना कार्यक्रम संपन्न 
  
सागर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्रियान्वयन आयोजना कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुलभाई कोठारी ने कहा कि देश को बदलना है तो सबसे पहले शिक्षा को बदलना होगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत केंद्रित शिक्षा नीति है जिसकी सभी बातें समग्रता को परिलक्षित करती हैं. शिक्षा में परिवर्तन के लिए सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति का गहराई से अध्ययन आवश्यक है तभी इसके विभिन्न आयामों पर क्रियान्वयन संभव है. शिक्षा से जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति को इसका अध्ययन करना चाहिए और इसके क्रियान्वयन पर चिंतन करना चाहिए. 
उन्होंने कहा कि हम सरल और छोटे-छोटे क्रियान्वयन से शुरुआत करते हुए बड़े और कठिन प्रश्नों पर चर्चा कर क्रियान्वयन की रणनीति बना सकते हैं. नीति में सूत्र रूप में लिखी बातों को कई आयामों से समझकर उसके क्रियान्वयन की रूपरेखा बनाना चाहिए तभी पूरी शिक्षा प्रणाली में भारतीयता के तत्त्वों का समावेश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज वैदिक गणित पर पूरी दुनिया की नजर है. टेम्पल मैनेजमेंट जैसे पाठ्यक्रमों को करने के लिए दुनिया भर से लोग भारत आ रहे हैं. भारत से ज्यादा पूरी दुनिया भर में नए-नए योग के केंद्र खुल रहे हैं. यह भारतीय ज्ञान परम्परा, इसकी क्षमता और शक्ति का परिचायक है. तीन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं, भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुसार शिक्षा में बदलाव, चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास और भारतीय भाषाओं में शिक्षा के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में हम पूरी दुनिया में अलग पहचान बना सकते हैं. शोध पर बात रखते हुए उन्होंने कहा कि शोध ग्रांट से ज्यादा महत्त्वपूर्ण शोध का अप्रोच है. विद्यार्थियों में शोध की प्रवृत्ति पैदा करना ज्यादा आवश्यक है. भले ही वह शोध डिग्री के लिए आगे बढ़े या न बढ़े.
श्रम शक्ति का महत्त्व स्थापित होना चाहिए- प्रो. अखिलेश पाण्डेय
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश पाण्डेय ने कहा कि इस शिक्षा नीति का काम श्रम के महत्त्व को स्थापित करना भी है. साथ ही हमें राष्ट्र भाषा को भी महत्त्व देना होगा. सभी को कम से कम एक प्रकाशन हिन्दी भाषा में करना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रों को शोध का विषय बनाया जाना चाहिए जिससे समुदाय का शिक्षा से साथ समन्वय हो सके.
कौशल विकास राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्त्वपूर्ण बिंदु: प्रो. नीलिमा गुप्ता 
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि कौशल विकास राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्त्वपूर्ण बिंदु है. कौशल का विकास और उन्नयन चरित्र निर्माण से ही संभव है. इसीलिये हमारा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के चारित्रिक निर्माण और व्यक्तित्व विकास को कौशलयुक्त पाठ्यक्रमों के साथ जोड़कर लागू करने जा रहा है. कौशल वही महत्त्वपूर्ण है जिसका सृजन विशिष्ट नैतिक चरित्र की आधारशिला पर स्थिर हो. पर्यावरण संवर्धन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि प्रकृति के संरक्षण और संपोषण से ही भविष्य सुरक्षित हो सकता है. इसी उद्देश्य से पर्यावरण जागरूकता केंद्र स्थापित किया जा रहा है जिसमें न्यास के सहयोग से गतिविधियाँ आयोजित होंगीं. उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवाचारी कार्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है. 
परिचर्चा-सत्र में बोलते हुए आयोजन समन्वयक प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020  केवल  नीतिगत दस्तावेज़ नहीं है बल्कि औपनिवेशिकता से मुक्ति का संकल्प पत्र है. यह नीति हमें  आधुनिकता और पुरातनता के बीच समन्वय का अवसर देती है.  डॉ. संजय शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के संदर्भ में विश्वविद्यालय के द्वारा किये गए विभिन्न कार्यों एवं  गतिविधियों के बारे में बताया और कहा कि शिक्षा में गुणवता विकास के लिए समुदाय की भागीदारी आवश्यक है.  डॉ. पुष्पल घोष ने भारतीय ज्ञान-विज्ञान के उन्नत स्वरुप के विषय में बताते हुए कहा कि आधुनिकता की सभी समस्याओं का निदान भारतीय विज्ञान एवं उसकी पद्यति में खोजा जा सकता है.  
आयोजन में स्वागत उद्बोधन और परिचय हिन्दी विभाग के प्रो, आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने दिया और कार्यक्रम का संचालन डॉ आशुतोष किया. आभार ज्ञापन कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक, वर्तमान शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और कई विभागों के  शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे.    
 
वैदिक गणित अध्ययन केंद्र का हुआ लोकार्पण, तीन एमओयू पर भी हुए हस्ताक्षर 
मुख्य अतिथि श्री अतुल भाई कोठारी, विशिष्ट अतिथि प्रो. अखिलेश पाण्डेय और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में गणित विभाग में वैदिक गणित अध्ययन केंद्र का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर केंद्र द्वारा की जा रही गतिविधियों और पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी दी गई. इस अवसर पर गणित विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आर के गंगेले, अधिष्ठाता प्रो. आशीष वर्मा, कुलसचिव संतोष सोहगौरा , उपकुलसचिव सतीश कुमार, विभाग के सभी शिक्षक,  शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूनम सिंह ने किया. 
डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के बीच विभिन्न अकादमिक गतिविधियों को संचालित किये जाने हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए. वैदिक गणित के पाठ्यक्रम के संचालन, पर्यावरण जागरूकता केंद्र और उसकी गतिविधियों और चरित्र निर्माण और व्यकतित्व विकास के पाठ्यक्रमों के साथ अकादमिक साझेदारी के लिए तीन एमओयू पर हस्ताक्षर हुए. विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने और न्यास की ओर से राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने हस्ताक्षर किये.   
 

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