विश्व के 2 प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में डा गौर विश्वविद्यालय के 11 शिक्षक शामिल
तीनबत्ती न्यूज: 22 सितम्बर ,2025
सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के 11 शिक्षकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ 02 प्रतिशत वैज्ञानिकों की 2025 की सूची में स्थान मिला है। स्ट्रेनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका और एल्सिवियर पब्लिशर्स द्वारा 19 सितम्बर, 2025 को 02 प्रतिशत श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची जारी की गई है जिसमें डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के 11 शिक्षक शामिल हैं। एल्सेवियर और स्टैनफोर्ड द्वारा इस अध्ययन के तहत दो सूचियां बनाई जाती है। एक सूची जिसमे सम्पूर्ण कैरियर डेटा को करियर के आरम्भ से कैलेंडर वर्ष के अंत तक संकलित किया जाता किया है और दूसरी सूची कैलेंडर वर्ष के दौरान प्राप्त उद्धरणों के आधार पर बनाई जाती है।
कैरियर डेटा
सम्पूर्ण कैरियर डेटा की सूची में विश्वविद्यालय के 6 शिक्षकों को स्थान मिला है। इसमें फार्मेसी विभाग के सेवानिवृत्त प्रो. एन. के. जैन, प्रो. एस. पी. व्यास, प्रो. संजय कुमार जैन तथा कार्यरत डॉ. प्रशांत केशरवानी, माइक्रोबायोलोजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नवीन कानगो तथा रसायन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ए. पी. मिश्रा शामिल हैं।
वार्षिक सूची में फार्मेसी विभाग के सेवानिवृत्त प्रो. एन. के. जैन, प्रो. एस. पी. व्यास, प्रो. संजय कुमार जैन, तथा कार्यरत डॉ. प्रशांत केशरवानी, डॉ. सुशील काशव, डॉ. वंदना सोनी, बॉटनी विभाग के प्रो. एम. एल. खान, डॉ. सोनल माथुर, माइक्रोबायोलोजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नवीन कानगो तथा क्रिमिनोलॉजी एवं फोरेंसिक साइंस विभाग की डॉ. वंदना विनायक शामिल हैं। इस तरह कुल मिलाकर विश्वविद्यालय के 11 शिक्षक इस महत्त्वपूर्ण सूची में स्थान बनाने में सफल हुए हैं। यह मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के समस्त विश्वविद्यालयों में सर्वाधिक है।
अनेक पूर्व छात्र शामिल
इस सूची को विज्ञान के 22 क्षेत्रों और 174 उपक्षेत्रों से संबंधित वैज्ञानिकों के डाटाबेस एवं एल्सिवियर प्रकाशन और स्कोपस के विश्व स्तर के साइटेशन डेटाबेस के कम्पोजिट स्कोर के आधार पर तैयार किया जाता है। इस सूची में विश्वविद्यालय के कई पूर्व शिक्षक एवं पुरा छात्र, जो देश-विदेश विभिन्न संस्थाओ में कार्यरत हैं भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. यशवंत सिंह ठाकुर ने बधाई दी और हर्ष व्यक्त किया है।
ये रही रहे शिक्षक
प्रो. एन्, के. जैन भैषजिक विभाग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें शिक्षण और अनुसंधान में 43 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उनके शोधे में नावेल डेग डिलीवरी सिस्ट्म और चिकित्सा उपकरणों के नियामक पहलू शामिल हैं। उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 500 500 से अधिक लेख प्रकाशित किए हैं जिन्हें 20000 से अधिक बार उद्धृत किया गया ह
फार्मेसी विभाग के पूर्व आचार्य प्रो सुरेशप्रसाद व्यास को उच्चस्तरीय शोध के लिए इस छठवीं बार सूची में स्थान मिला है. उन्होंने लाइपोसोम बायोटेक्नोलॉजी ओरल वक्सीनशन, लक्ष्यभेदी टीबी उपचार, नावेल ड्रग डिलीवरी पर उत्कृष्ट शोध किया है जो 400 शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित है और 20000 से अधिक बार उल्लेखित है.
प्रो. संजय के जैन, फार्मेसी विभाग सेवानिवृत्त आचार्य को उच्चस्त्रीय शोध के लिए छठवीं बार इस सूची में स्थान मिला है. उन्होंने बड़ी आंत और मस्तिष्क की बीमारियों के लिए लक्ष्मभेदी दवाओं का विकास किया है जिसके लिए उन्हें 2018 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा विजिटर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इनके 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हैं जिनका 15000 बार उल्लेख हुआ है व इन्हे 03 अंतराष्ट्रीय व 01 राष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हैं.
प्रो. एम. एल. खान को उच्चस्त्रीय शोध के लिए चौथी बार इस सूची में स्थान मिला है प्रो . खान विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं. इनका शोध कार्य पर्यावरण, जैव विविधता संरक्षण एवं वानिकी से संबंधित है. इनके निर्देशन में मध्य प्रदेश की जैव विविधता से जुड़ी तीन शोध परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। इनका शोध कार्य 180 शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित है जिनका 11000 से अधिक बार उद्धरण किया गया है जिसके लिए उन्हें 2021 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा विजिटर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रो, नवीन कान्गो लगातार चौथी बार इस सूची में शामिल किये गए हैं. वे वे माइक्रोबायोलोजी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष हैं और इनका शोध कार्य सूक्ष्मजैवीय एन्जाइम्स का स्वास्थ्यवर्धक प्री-बायोटिक, बायो-एथेनोल, मुर्गी के पंखों के अपघटन एवं बहुउपयोगी नैनोपार्टिकल्स बनाने पर आधारित है. इनका शोध कार्य 80 शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित है जिनका 2680 से अधिक बार उद्धरण किया गया है. कवक और जीवाणुओं पर इन्हे 25 वर्ष से अधिक का शोध का अनुभव है और उन्हें माइकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया द्वारा फेलोशिप और मेमोरियल अवाई प्रदान किये गए हैं.
प्रो. ए. पी, मिश्रा विश्वविश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के सेवानिवृत्त वरिष्ठ आचार्य हैं. इनका कार्यक्षेत्र सिंथेटिक और संरचनात्मक अकार्बनिक रसायन विज्ञान, समन्ध्य रसायन विज्ञान, जैव अकार्बनिक, नैनो सामग्री, अल्ट्रासोनिक्स है. इनका शोध कार्य 60 शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित है.
डॉ. वंदना विनायक क्रिमिनोलॉजी एवं फोरेंसिक साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं एवं उनका शोधकार्य डायटम्स और माइक्रोअलगी से जैव ईंधन एवं पिगमेंट्स उत्पादन की नैनोटेक्नोलाजी पर केंद्रित हैं. इनका शोध कार्य 60 शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित है जिनका 2500 से अधिक बार उल्लेख हुआ है.
प्रोफेसर सुशील कुमार काशव फ़ार्मेसी विभाग में आचार्य एवं निदेशक (कम्युनिटी कॉलेज) हैं. उनका शोधकार्य कैंसर, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) एवं डायबिटीज़ जैसी बीमारियों के लिए नवीन औषधि अणुओं का निर्माण तथा त्वचा कैंसर के लिए लक्षित दवाओं का विकास किया है। इनके 160 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें 8000 से अधिक बार उल्लेखित किया गया है। प्रो. काशव का कार्य मुख्यतः कम्प्यूटेशनल केमिस्ट्री, मेडिसिनल केमिस्ट्री और नैनोटेक्नोलॉजी पर केंद्रित है एवं नैनोटेक्नोलॉजी पर प्रो. काशव को 4 राष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हैं।
प्रोफेसर वंदना सोनी वर्तमान में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। इनका शोध मुख्यतः टार्गेटेड ड्रग डिलीवरी, ब्रेन ड्रग डिलीवरी तथा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर केंद्रित है। उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2021 में आप्ति वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में, कंट्रोल्ड रिलीज़ सोसायटी-2025, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उनके शोध को सराहा गया तथा 1000 से अधिक प्रविष्टियों में से शीर्ष 55 में उन्होंने स्थान प्राप्त कर विश्वविद्यालय एवं देश का गौरव बढ़ाया है।
डॉ. प्रशांत केशरवानी फार्मेसी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वे पहले भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्हें इंटरनेशनल यूजर्न लॉरेट्स-2023 अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत सरकार के सर्ब-डीएसटी रामानुजन फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया। डॉ. केशरवानी ने 600 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं और 30 से अधिक पुस्तकों का संपादन किया है। उनका प्रमुख शोध क्षेत्र कैंसर उपचार हेतु नैनो-टेक्नोलॉजी आधारित औषधि वितरण प्रणाली है। डॉ. केशरवानी को अमेरिका, मलेशिया और भारत में शिक्षण, शोध एवं औद्योगिक क्षेत्र में 12 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ. सोनल माथुर् को विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों (2025) में लगातार दूसरी शामिल किया गया है। पूर्व में वे यूएसडीए बेल्ट्सविले एग्रीकल्चर सेंटर, अमेरिका में कार्यरत थीं। उनका शोध जलवायु परिवर्तन, पौधों, विशेषकर फसलों में अजैविक तनाव प्रतिक्रियाओं और तनाव न्यूनीकरण हेतु पादप-सूक्ष्मजीव अंतः क्रियाओं पर केंद्रित है। उनके 3,600 से अधिक उद्धरण हैं, जिनमें ह-इंडेक्स 19 और 110-इंडेक्स 23 है।


















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