बरोदिया नौनागिर के लालू हत्याकांड के 13 आरोपी बरी: कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में किया दोषमुक्त : जमकर हुई थी राजनीति इस कांड को लेकर
तीनबत्ती न्यूज : 30 जनवरी ,2025
सागर : सागर के बहुचर्चित बरोदिया नौनागिर लालू हत्याकांड में न्यायालय ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने प्रकरण के सभी 13 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। प्रकरण की सुनवाई जिला विशेष सत्र न्यायाधीश अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण कोर्ट प्रदीप सोनी की कोर्ट में हुई। बरोड़िया नॉनगिर हत्याकांड को लेकर पिछले दो सालों से राजनीतिक माहौल गर्म है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह को घेरा था और दो तीन दफा यहां आए। विधानसभा चुनाव के बाद एक और घटनाक्रम में सीएम मोहन यादव से लेकर भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण भी बड़ोदिया आए थे। इसके चलते राष्ट्रीय स्तर पर यह मामला चर्चित हुआ था।
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सभी आरोपी हुए बरी
दरअसल, सागर जिले की खुरई विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बरोदिया नौनागिर में 24 अगस्त 2023 को दलित युवक नितिन उर्फ लालू अहिरवार की बाजार में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। दलित युवक की हत्या होने पर मामले ने तूल पकड़ा और प्रदेश की राजनीति गरमाई थी। पूर्व सीएम से लेकर स्थानीय नेता बरोदिया नौनागिर पहुंचे थे। प्रकरण में पुलिस ने 13 आरोपी बनाए थे। जिन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसी प्रकरण में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया है।
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यह था पूरा मामला
2 साल पहले अगस्त 2023 में पुराने मामले में राजीनामा कराने के विवाद में युवक की हत्या की गई थी। हत्या के मामले में पुलिस ने लालू उर्फ मुबारक खान, नपीश खान, वहीद खान, अनीश खान, आजाद सिंह, सुशील उर्फ गोलू सोनी, विक्रम सिंह, अरवाज खान, गोलू उर्फ फरीम खान, अभिषेक रैकवार, इस्माल बेहना, कोमल सिंह ठाकुर, विजय सिंह ठाकुर को आरोपी बनाया था।
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जबकि बचाव पक्ष की ओर से जब इस मामले के साक्षियों के बयान लिए गए तो उन्होंने घटनाक्रम को लेकर अलग - अलग बयान दिए। यहां तक कि मृतक लालू की मां बड़ी बहु जो रिपोर्टकर्ता भी थी। उसके बयान भी पुलिस रिपोर्ट में दर्ज कराए गए ब्योरे से भिन्न थे। बचाव पक्ष ने न्यायालय के सामने यह साबित करने में सफल रहा कि जिन लोगों को आरोपी बनाया गया वह घटनाक्रम के दौरान मौके पर मौजूद नहीं थे। बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि मृतक लालू उर्फ नितिन का आजाद सिंह व अन्य से पुराना विवाद चल रहा था। जिसके चलते पीड़ित परिवार इन लोगों से रंजिश रखता था। जब अज्ञात लोगों ने लालू की हत्या की तो बदला लेने की मंशा से उसके परिजन ने कोमलसिंह, विक्रमसिंह, आजाद सिंह आदि का नाम एफआईआर में दर्ज करा दिया। इस मामले में एक अहम गवाह लालू की बहन अंजना थी। लेकिन रोड एक्सीडेन्ट में पिछले साल उसकी मौत हो गई थी। जबकि भाई विष्णु घटनाक्रम के समय पुलिस थाने में बंद था। गवाहों का यह भी कहना था कि जिस समय कि घटना बताई जा रही है तब गांव की लाइट गुल थी।
चुनावी समय में हुई थी घटना कांग्रेस के बड़े नेता पहुंचे थे
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मृतक लालू उर्फ नितिन पर चोरी, छीना-झपटी, मारपीट आदि के कई केस थे। माना जाता है कि किसी ऐसे ही मामले की बुराई के चलते वह कथित " मॉब लिंचिंग" का शिकार हो गया। इस हत्याकांड के बाद मृतक के परिजन को ढांढस बंधाने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता गांव पहुंचे थे। तत्कालीन नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री व स्थानीय विधायक भूपेंद्रसिंह ने परिजन को हर संभव कानूनी व आर्थिक मदद दिलाने की पहल की थी।
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