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वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व : काले हिरण बने आकर्षण का केंद्र

वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व : काले हिरण बने आकर्षण का केंद्र




तीनबत्ती न्यूज : 10 जून, 2025
सागर
:  
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में विस्थापन के बाद खाली हुए गांवों में घास के मैदान विकसित हो गए हैं, जिससे यहां शाकाहारी जानवरों की तादाद बढ़ रही है  नौरादेही प्रबंधन के प्रयासों का नतीजा है कि विस्थापित गांवों की खाली हुई खेती की जमीन में घास के मैदान विकसित किए गए जिसके कारण खासकर काले हिरण की तादाद तेजी से बढ़ रही है नौरादेही टाइगर रिजर्व में पहुंचने वाले सैलानियों को कुलांचे भरते काले हिरण आकर्षित कर रहे हैं खास बात ये है कि ये बाघ और भविष्य में चीता संरक्षण के उद्देश्य से शुभ संकेत माने जा रहे हैं

कुलांचे भरते हुए कैमरे में कैद हुए काले हिरण

नौरादेही टाइगर रिजर्व पहुंचने वाले सैलानियों को काले हिरण झुंड में नजर आ रहे हैं. पिछले दिनों अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने काले हिरण की कुछ फोटो और उनका मस्ती से घास चरने का एक वीडियो बनाया था. वीडियो में काले हिरण मस्ती से नौरादेही के ग्रॉसलैंड का आनंद लेते नजर आ रहे हैं. अजय दुबे का कहना है कि "काले हिरण ज्यादातर खेत-खलिहान के आसपास रहते हैं. इनकी उपस्थिति जंगल के लिए शुभ संकेत है, ये दुर्लभ प्रजाति के हैं. यहां पर शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ना बाघों के संरक्षण के लिए भी एक अच्छा संकेत है."



नौरादेही में तेजी से बढ़ रही जानवरों की संख्या

किसी भी टाइगर रिजर्व के फलने-फूलने के लिए बड़े घास के मैदान काफी जरूरी होते हैं. क्योंकि बड़े घास के मैदान होंगे, तो शाकाहारी जानवरों की संख्या काफी होगी और वो बाघ जैसे मांसाहारी जानवरों के पर्याप्त भोजन के लिए एक बेहतर व्यवस्था मानी जाती है. नौरादेही टाइगर रिजर्व की बात करें तो भले ही इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा 20 सितंबर 2023 को मिला हो, लेकिन 2010 में अफ्रीकन चीतों को लेकर हुए सर्वे के चलते यहां 2014 में विस्थापन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी.अभी भी कुछ बड़े गांवों की विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन सागर और नरसिंहपुर जिले में काफी गांव विस्थापित होने के बाद यहां पर खाली हुई खेती की जमीन पर ग्रासलैंड विकसित किए गए हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि यहां पर शाकाहारी जानवरों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और काले हिरण काफी ज्यादा संख्या में नजर आ रहे हैं.

क्यों जरूरी है घास के मैदान?

किसी भी जंगल या संरक्षित वन के लिए घास के मैदान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. ये मिट्टी और जंगल के जल स्त्रोतों के संरक्षण के साथ जीव-जंतुओं के लिए आवास प्रदान करते हैं. इसके साथ ही जंगल में रह रहे शाकाहारी जानवरों का भोजन होते हैं. इसके अलावा इनके आवास, प्रजनन और आराम के लिए भी जरूरी होते हैं. इसी को ध्यान में रखकर नौरादेही में तेजी से ग्रासलैंड विकसित किया जा रहा है. पिछले दिनों भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने यहां चीता बसाने के लिए सर्वे किया था और उन्होंने भी प्रबंधन को घास के मैदान बढ़ाने के निर्देश दिए थे.

काले हिरण की संख्या बढ़ने से प्रबंधन खुश

वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. ए ए अंसारी का कहना है कि "टाइगर रिजर्व में काले हिरण के नजर आने का प्रमुख कारण बड़े-बड़े ग्रासलैंड का विकास होना है. टाइगर रिजर्व के आसपास से जो गांव विस्थापित किए गए हैं, वहां पर ग्रासलैंड को विकसित किया गया है. फिलहाल करीब 6-7 प्रतिशत ग्रासलैंड है, लेकिन हमारा उद्देश्य इसको 12 प्रतिशत तक ले जाना है.इस समय नौरादेही में कई बड़े-बड़े ग्रासलैंड हो गए हैं. काला हिरण बड़े घास का मैदान पसंद करता है. यहां पर काले हिरण का नजर आना अच्छा संकेत हैं. यहां पर काला हिरण और भेड़ियों का एसोसिएशन है, जोकि काफी अच्छी बात है. इससे इकोसिस्टम को संरक्षित कर हम आगे बढ़ पाएंगे, तो ये बहुत बड़ी उपलब्धि है."


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