अस्थि विसर्जन मोक्ष वाहिनी सेवा के 17 साल : पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने शुरुआत की थी सन 2008 में
▪️अभी तक करीब 08 हजार के अस्थि विसर्जन बरमान में कराए : तेरहवीं के लिए सामग्री की उपलब्धता
▪️धर्मशाला, पंडित , नाव और नाई भी मुहैया कराते है भार्गव
तीनबत्ती न्यूज: 10 अक्टूबर ,2025
सागर: सेवा और जनसेवा के कई प्रतिमान स्थापित है। जिनकी प्रेरणा से लोग इनको अपनाकर आगे बढ़ाने और बेहतर करने में जुटे है। ताकि सामाजिक आर्थिक समरसता बनी रहे और लोगों की भावनाओं, धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुरूप लोग अपना दायित्व निभा सके। मध्यप्रदेश ( मध्यप्रदेश ) के वरिष्ठ विधायक (MLA) और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ( Gopal Bhargava) अपनी कार्यशैली को लेकर भले ही चर्चा में बने रहते हो ।लेकिन आम आदमी की मदद और उनकी धार्मिक मान्यताओं को पूरा करने भी बहुत आगे है। उनकी सामूहिक विवाह कन्यादान योजना वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकी है और निरंतरता बनी है। इसके बाद सबसे भावनात्मक और हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण अनुष्ठान से जुड़ी अस्थि विसर्जन ( Asthi Visarjan ) यानी देवलोकगमन के बाद मृत आत्मा की मुक्ति या मोक्ष हेतु पुण्य नदियो में मृतक के अस्थियों का विसर्जन कराने का कार्य पंडित गोपाल भार्गव ने शुरू किया । पूर्व मंत्री भार्गव की इस बेमिसाल सेवा भाव का अब कई जनप्रतिनिधि और समाज सेवी भी अपना रहे है ।
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अस्थि विसर्जन हिन्दू अनुष्ठान
वरिष्ठ विधायक पंडित गोपाल भार्गव बताते है कि हमारी हिन्दू संस्कृति मेंअस्थि एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें दाह संस्कार के बाद बची हुई अस्थियों और राख को नर्मदा, गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाता है। जिससे मृत आत्मा को शांति मिले और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सके। यह प्रथा मृत्यु और पुनर्जन्म के हिंदू चक्र में आत्मा को मुक्त करने और पितृलोक की ओर गमन के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सन 2008 में शुरु की थी मोक्ष वाहिनी सेवा गोपाल भार्गव ने
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि अपने अंचल में सर्वाधिक लोग मां नर्मदा नदी ( Narmada) में अस्थि विसर्जन करते है। शुरू में क्षेत्र के लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर थे वे अस्थि विसर्जन के लिए मदद मांगते थे। उनको आने जाने का किराया आदि देते थे। इसी दौरान विचार आया कि कोई ऐसी मजबूत व्यवस्था बनाई जाए ताकि गरीब कमजोर तबका अपनी धार्मिक मान्यताओं को पूरा कर सके। तब एक वाहन उपलब्ध कराने की सोची और एक वाहन तैयार कराया और नर्मदा नदी में बरमान घाट पर अस्थि विसर्जन कराने की शुरुआत की गई। यह मोक्ष वाहिनी सेवा का भरपूर उपयोग लोग कर रहे है। निःशुल्क सेवा से पिछले पंद्रह सत्रह सालों में 08 हजार लोगों के अस्थि विसर्जन हो चुके है।
धर्मशाला, पंडित ,नाव और नाई भी
पंडित गोपाल भार्गव बताते है कि अस्थि विसर्जन के लिए बरमान जाने पर लोगों रुकने, नाव पंडित और नाई आदि की जरूरत भी पड़ती है। इस बात की भी चिंता होने लगी । दस साल पहले एक धर्मशाला भी बरमान में नर्मदा किनारे बनावाई ताकि लोग रुक ठहर सके । 22 जुलाई 2013 में पंचायत मंत्री के रूप में इस धर्मशाला का भूमिपूजन हुआ था। अब यह सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला बनी है। लोगों को ठहरने की व्यवस्था से वे आराम से पूजा पाठ आदि करते है। गढ़ाकोटा रहली क्षेत्र जो भी लोग अस्थि विसर्जन के लिए मोक्ष वाहिनी सेवा से जाते है उनके लिए एक नाव और नाविक भी उपलब्ध रहता है। ताकि नर्मदा मैया में अपनों के अस्थि फूल को समर्पित कर सके। कुछ पंडित भी संपर्क में रहते है ताकि मृतक के परिजनों को परेशान नहीं होना पढ़े। यहां तक कि पंडित को पूजन की दक्षिणा भी कई दफा हमारे कार्यालय से ही मुहैया कराई जाती है। लोगो द्वारा मुंडन भी यही कराया जाता है। इसके लिए एक नाई की व्यवस्था भी की है। जो कर्मकाण्ड कराने में मदद करता है। इन सभी को विधायक कार्यालय से राशि भी प्रदान की जाती है। पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव कहते है कि वास्तव में सेवा के सबसे पुण्य कार्य रही है। इनको धनसंपन्न लोगो को अपनाना चाहिए।
तेरहवीं की सामग्री भी मिलती है
व्यक्ति की मौत के बाद के संस्कार में तेरहवीं या त्रयोदशी आदि की परम0राय है। हालांकि कई समाजों ने इसको बंद भी किया है लेकिन ग्रामीण इलाकों और अनेक समाज के लोगों में यह परम्परा जारी है। पंडित गोपाल भार्गव कहते है कि जिन लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है और वो अपने दिवंगत परिजन की तेरहवीं सोमकाज नहीं करा सकते है। सूचना मिलने पर ऐसे परिवारों में तेरहवीं सोमकाज की सामग्री हमारे विधायक कार्यालय द्वारा भिजवाई जाती है। "तेरहवीं सोमकाज " के नाम से एक वाहन संबंधित परिवार के घर पर ही सामग्री देने भेजा जाता है।
बरमान में घाट भी बनवाया
पुण्य सलिला मां नर्मदा मैया के किनारे बरमान में एक घाट भी बनवाया गया है। जो गोपाल घाट बरमान के नाम से जाना जाता है।
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