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गौर उत्सव : संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम : ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का आयोजन ▪️डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं : पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह

गौर उत्सव : संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम : ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का आयोजन

▪️डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं : पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह


तीनबत्ती न्यूज: 21 नवंबर, 2025

सागर । डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 156वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 19 नवंबर से 26 नवंबर तक ‘गौर उत्सव’ 2025 का आयोजन किया जा रहा है । गौर उत्सव कार्यक्रम में अंतर्गत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया । कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस ठाकुर ने अध्यक्षता की एवं मुख्य अतिथि पूर्व गृहमंत्री विधायक भूपेंद्र सिंह ठाकुर, गौर उत्सव समन्वयक प्रो. आशीष वर्मा, डॉ. एन.पी सिंह, डॉ. आशीष पटेरिया एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस पी उपाध्याय  मंचासीन थे । 


कुलपति प्रो. वाय एस ठाकुर ने सभी संबद्ध महाविद्यालयों से पधारे विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए युवाओं की भूमिका, एन सी सी के महत्व तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति ही देश के विकास की सबसे बड़ी आधारशिला है और यदि युवाओं को सही दिशा, अनुशासन और अवसर मिले तो भारत विश्व पटल पर और अधिक मजबूती से उभरेगा। कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि नेशनल कैडेट कोर केवल एक प्रशिक्षण इकाई नहीं है, बल्कि यह युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता, देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का सशक्त माध्यम है। 

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सागर: मस्जिंद की जमीन पर खुदाई में निकली भगवान की मूर्तिया

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दान से स्थापित एशिया का पहला विवि: भूपेंद्र सिंह


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक  भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पूरे एशिया में ऐसा केवल एक विश्वविद्यालय है जो किसी एक व्यक्ति के दान से स्थापित हुआ है। वह व्यक्ति थे डॉ. हरिसिंह गौर, जिन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे न केवल एक उत्कृष्ट शिक्षाविद थे बल्कि विधि के महान ज्ञाता भी थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति और नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी सेवा दी। उन्होंने बताया कि उस समय इस विश्वविद्यालय में जो विषय संचालित होते थे, वे भारत की किसी अन्य यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाए जाते थे। उस समय विश्वविद्यालय से 160 संबद्ध कॉलेज जुड़े हुए थे। क्रिमिनोलॉजी और फार्मेसी जैसे विषय उस समय देश की किसी अन्य यूनिवर्सिटी में उपलब्ध नहीं थे। वहीं लगभग 25 प्रतिशत छात्र विदेशी हुआ करते थे, जो इस विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान को दर्शाता है। उन्होंने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया कि वे वर्ष 1978 में छात्र राजनीति में आए थे। उस समय विश्वविद्यालय में लगभग 15,000 छात्र अध्ययनरत थे और वे छात्रसंघ के कई पदों पर रहे। 



छात्र जीवन में जेल गए

उन्होंने यह भी साझा किया कि प्रथम वर्ष के छात्र रहते हुए उन्हें 15 दिन जेल जाना पड़ा और बाद में उन्हें पूरे 9 महीने तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि डॉ. गौर चाहते तो वे यह विश्वविद्यालय दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी स्थापित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी जन्मभूमि सागर को चुना ताकि अपने क्षेत्र के लोगों को शिक्षित कर सकें। वे जानते थे कि हर माता-पिता अपने बच्चों को बाहर भेजने में सक्षम नहीं होते, इसलिए उन्होंने स्थानीय स्तर पर उच्च शिक्षा का सशक्त केंद्र विकसित किया। डॉ. गौर का यह योगदान अतुलनीय है। उन्होंने यह इच्छा भी प्रकट की कि डॉ. गौर विश्वविद्यालय के लिए स्पष्ट बायलॉज बनाए जाएं और मध्यप्रदेश के छात्रों को आरक्षण का लाभ मिले। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कुलपति स्थानीय होना चाहिए, जो यहां जन्मा हो और डॉ. गौर की भावना को सही रूप में समझ सके। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस विश्वविद्यालय को बधाई नृत्य में पूरी दुनिया में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था, जो अत्यंत गर्व की बात है। डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं है। यदि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।



उन्होंने गर्वपूर्वक बताया कि स्टैनफोर्ड की जारी सूची में विश्वविद्यालय के 11 शिक्षक शामिल हैं, जो हम सभी के लिए सम्मान और गौरव का विषय है। उन्होंने ऐतिहासिक योगदानों का उल्लेख करते हुए बताया कि जब भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना नहीं हुई थी, तब डॉ. गौर ने इसकी आवश्यकता पर आवाज उठाई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की स्थापना संभव हो सकी। महिलाओं को वकालत का अधिकार भी डॉ. गौर के प्रयासों से ही 1923 में प्राप्त हुआ। डॉ. गौर ने डाक टिकट छापने का प्रस्ताव रखा, जिसके परिणामस्वरूप नासिक में पहली डाक टिकट छपाई के लिए डाकखाने की स्थापना की गई। अंत में उन्होंने सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह लोग भ्रामक जानकारी का शिकार बन जाते हैं, जिससे समाज में भ्रम और गलतफहमी फैलती है। 




सांस्कृतिक कार्यक्रम में टाइम्स कॉलेज, दमोह ने कृष्ण रासलीला, आर एल एम कॉलेज, खुरई ने समूह नृत्य, पं बृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय मालथौन ने बस्तर नृत्य, विद्यादेवी आर्केस्ट्रा कॉलेज जुनारादेव ने लोकनृत्य (ग्रुप डांस), सुन्दरलाल श्रीवास्तव कॉलेज मकरोनिया ने समूह नृत्य, ठा. फेरन सिंह कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय शाहपुर ने समूह नृत्य, ऐरीसेन्ट कॉलेज ऑफ ऐजूकेशन बीना ने नृत्य (नारी शक्ति), लिटिलस्टेप कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टक्नोलॉजी बोरगांव सौसर ने मराठी नृत्य (चंदा), ओमश्री महाविद्यालय सागर ने सेमीक्लासीकल फ्री स्टाईल डांस, पं बीबीएम कॉलेज बीना ने ग्रुप डांस, टाइम्स कॉलेज दमोह ने सामूहिक नृत्य, आर एल एम कॉलेज खुरई ने एकल नृत्य (समूह), पं वृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय. मालथौन ने स्किट (मोबाइल से दूरी), लिटिलस्टेप कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टक्नोलॉजी बोरगांव सौसर ने हिन्दी ग्रुप डांस, पं बृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय, मालथौन ने बधाई नृत्य आदि महाविद्यालयों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी है । कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य डॉ. अवनीश मिश्रा ने किया एवं आभार डॉ. अजय श्रीवास्तव ने व्यक्त किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, अधिकारी कर्मचारियों सहित नगर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे ।

विश्वविद्यालय में 156वीं गौर जयंती पर ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का भव्य आयोजन



156वीं गौर जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र द्वारा प्रथम बार एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. वाय.एस. ठाकुर ने की तथा विशिष्ट अतिथि गृहमंत्री एवं खुरई विधायक श्री भूपेंद्र सिंह रहे। शिविर के मुख्य संयोजक विश्वविद्यालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक कुमार जैन रहे। उनके साथ डॉ. किरण माहेश्वरी, डॉ. भूपेंद्र कुमार पटेल एवं विश्वविद्यालय का स्वास्थ्य विभाग सक्रिय भूमिका में रहा।

नई ऊँचाइयाँ—156 यूनिट रक्त संग्रह

विश्वविद्यालय परिवार ने मिलकर 156 यूनिट जो दोपहर 2:00 बजे ही पूर्ण हो गया रक्त संग्रहित कर डॉ. हरीसिंह गौर को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए, जो 156वीं जयंती का विशेष प्रतीक रहा। रक्तदान शिविर में व्यापक सहभागिता करते हुए डॉ. जैन ने बताया इस शिविर में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक रक्तदान किया। विशेष रूप से छात्राओं की सहभागिता सर्वाधिक रही, जिसने इस आयोजन को अनूठी ऊर्जा प्रदान की। कार्यक्रम में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि गौर जयंती पर प्रतिवर्ष रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाए, ताकि समाज सेवा की यह श्रृंखला निरंतर जारी रहे।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिसमें गौर जयंती मुख्य समन्वयक प्रो. आशीष वर्मा एवं उप समन्वय प्रो. यूके पाटिल, प्रॉक्टर श्रीमती चंदाबेन, प्रभारी वित्त अधिकारी श्री हिमांशु पांडे, प्रो. मनवेंद्र पहावा, श्रीमती अस्मिता, श्रीमती संध्या पटेल, श्रीमती रेखा गर्ग सोलंकी, क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक श्रीमती नीना गिडियन, मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ममता तिमोरी, संयुक्त  संचालक स्वास्थ्य श्रीमती सुशीला यादव, रक्तबीर समीर जैन सभी ने रक्तदान शिविर के सफल आयोजन की प्रशंसा करते हुए इसे विश्वविद्यालय की मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक बताया।शिविर में चिकित्सा सहयोग हेतु बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉ. अमर गंगवानी,जिला अस्पताल के डॉ. महेश जैन एवं उनकी टीम उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र से अरुण सारोठिया जयप्रकाश श्रीमती छोटी लोधी, वंदना, ममता प्रमोद, दुर्गेश, अर्जुन रैकवार तथा श्री भगत सिंह का विशेष सहयोग रहा, जिनके योगदान से शिविर सुचारु रूप से संचालित हुआ।

रक्तदान समाज सेवा का सर्वोच्च दान 

पूर्व गृहमंत्री  भूपेंद्र सिंह ने कहा कि “रक्तदान समाज सेवा का सर्वोच्च दान है। जिस प्रकार हम वृद्ध जनों की सेवा को पुण्य मानते हैं, उसी प्रकार रक्तदान भी मानवता के लिए अनमोल योगदान है।” उन्होंने बताया कि उनके कार्यालय में भी रक्त सुविधा हेतु विशेष केंद्र संचालित होता है तथा वे स्वयं निरंतर रक्तदान शिविरों से जुड़े रहते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना की और भविष्य में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।


 कुलपति प्रो. वाय एस. ठाकुर ने कहा कि रक्तदान जीवनदान है। विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि समाज सेवा के नए मानक स्थापित करने का भी माध्यम है। उन्होंने घोषणा की कि हर वर्ष गौर जयंती पर रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि यह परंपरा लगातार आगे बढ़ती रहे। विश्वविद्यालय का यह 156वीं गौर जयंती रक्तदान शिविर मानवता, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रेरक उदाहरण बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। शाम 5:00 बजे तक कुल रक्त संग्रह 175 यूनिट हुआ जो जिला अस्पताल के ब्लड बैंक भेजा गया है जिससे जरूरतमंदों का इलाज किया जा सके ।

कुलपति को डॉ. गोर साहब का छायाचित्र किया भेंट


भूपेंद्र सिंह गौर मूर्ति मित्र मंडली की तरफ से डॉक्टर हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति को डॉ. गौर साहब की का छायाचित्र भेंट किया साथ में भूपेंद्र सिंह विधायक खुरई एवं राकेश चौबे, बापू दुबे, श्याम दुबे, शरद जैन, सुरेंद्र तिवारी, जितेंद्र राजपूत, संजू केसरवानी, देव कुमार तिवारी  देवेंद्र परिहार, और प्रेम नारायण पूर्वी शुभम प्रतीक सहित आमजन उपस्थित रहे ।

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श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिवस: धर्म-अधर्म के सत्य को समझाया कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय जी ने

श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिवस: धर्म-अधर्म के सत्य को समझाया कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय जी ने


तीनबत्ती न्यूज: 21 नवंबर, 2025

सागर। श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस परम पूज्य कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय जी ने कहा कि स्वप्न हमारी चित्त के भावों का दर्पण होते हैं। उन्होंने भक्त शिरोमणि मीरा बाई के जीवन प्रसंग सुनाते हुए बताया कि विवाह के पश्चात भी  मीरा ने ठाकुर जी को ही अपना सर्वस्व माना। ‘गोबिंद मेरो है, गोपाल मेरो है…’ भजन की प्रस्तुति पर पूरा पंडाल भक्ति रस में सराबोर हो उठा।

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सागर: मस्जिंद की जमीन पर खुदाई में निकली भगवान की मूर्तिया

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कथा व्यास जी ने महाभारत प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि युधिष्ठिर के शासन काल में हुए जुए के खेल और द्रौपदी अपमान पर सभा में मौन रहने वाले सभी जन अधर्म के सहभागी बने।उन्होंने कहा कि जब भीम ने दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया तो इसे अधर्म कहा गया, किन्तु उसी सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र करने के प्रयास पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई। श्रीकृष्ण ने बलराम जी को समझाते हुए कहा “पाप करने वाला पापी है और पाप होते देख भी मौन रहने वाला महापापी।”


उन्होंने भीष्म पितामह और गांधारी के उदाहरण देते हुए कहा कि धार्मिक बनना ही पर्याप्त नहीं है, अपने भीतर अधर्म के भावों को जन्म ही न लेने देना ही सच्चा धर्म है। कथा में बताया गया कि द्रौपदी ने पाँच मुख्य गुणों निष्कपटता, समता, धैर्य, परोपकार और संयम का संदेश दिया।

कुंती, कर्ण और अर्जुन भगवान के प्रिय पात्र।

उत्तरा के गर्भ पर अश्वत्थामा द्वारा छोड़े गए अस्त्र का उल्लेख करते हुए कहा गया कि उसी गर्भ से जन्म लेने वाले बालक का नाम आगे चलकर परीक्षित हुआ, जिनके कारण आज यह पावन कथा संसार में प्रसारित है।कथा व्यास ने कहा कि ठाकुर जी को महाभारत के तीन पात्र कुंती, कर्ण एवं अर्जुन अत्यंत प्रिय हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि कठपुतली को चलाने वाला संचालक यदि खुद सामने आ जाए तो नाटक का आनंद समाप्त हो जाए।हम सभी कठपुतली हैं, संचालक भगवान हैं और हमारे बीच माया का पर्दा है।


मुख्य अजमान अनुश्री शैलेंद्र कुमार जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत कथा की चतुर्थ दिवस 22 नवंबर दिन शनिवार को दोपहर 02 बजे से भव्य श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से भव्य उत्सव में शामिल होने का आग्रह किया।


ये हुए शामिल 

तृतीय दिवस में संध्या कालीन आरती के दौरान गुरु सिंह सभा के सदस्यों ने पूज्य कथा व्यास जी के दर्शन कर उन्हें तलवार भेंट की। श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा, भाजपा नेता विनोद गोटिया, बीना विधायक निर्मला सप्रे,जिला पंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत,नारायण कबीरपंथी, महिला मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति दुबे ,युवा नेता आकाश गोबिंद राजपूत, अविराज सिंह, हरिराम सिंह, जगन्नाथ गुरैया, मनीष चौबे डॉ.राहुल जैन,महेन्द्र राय, नीलेन्द्र राजपूत,अमित बैसाखीया,नीरज यादव,राहुल वैद्य,निखिल अहिरवार, अंशुल गुप्ता,आदर्श गुरैया, नमन सुमैया,जुगल प्रजापति, दीपक लोधी शिवम सूर्यवंशी चिराग सबलोक सुनीता रैकवार पूजा श्रीवास्तव यशोदा विश्वकर्मा आशा तिवारी आरती सेन मंजूश्री चौरसिया अर्चना सोनी सुनीता रैकवार पूजा श्रीवास्तव यशोदा विश्वकर्मा आशा तिवारी आरती सेन मंजूश्री चौरसिया अर्चना सोनी,किरण सैनी प्रमिला मौर्य,दीपा,मीरा चौबे,पूजा केसरवानी, किरण सैनी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी 350 शताब्दी शहीदी दिवस पर 23 नवंबर को वाहन रेली और कीर्तन का आयोजन

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी  350 शताब्दी शहीदी दिवस पर 23 नवंबर को वाहन रेली और कीर्तन का आयोजन


 तीनबत्ती न्यूज: 21 नवंबर, 2025

सागर :  सिख गुरु श्री तेग बहादुर साहिब जी के 350 शताब्दी शहीदी दिवस पर अनेक आयोजन किए जाएंगे। शहीदी दिवस पर 23 नवंबर को वाहन रेली और 22 से 25 नवंबर तक कविता, शब्द कीर्तन श्री गुरुद्वारा भगवानगंज में आयोजित किए जाएंगे  श्री गुरुसिंघ सभा सागर ने सभी से कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है। 


विहिप के जिला अध्यक्ष अजय दुबे, गुरु सिंघ सभा के प्रधान सतविंदर सिंह होरा, जितेंद्र सिंह चावला, जस्सी सरदार और हिन्दू मंच के डा उमेश सराफ ने आज मीडिया से चर्चा की और श्री तेग बहादुर सिंह की शहीदी को याद करते हुए नमन किया। विहिप के अजय दुबे ने कहा कि हिंदू सिख सभी एक ही है। हम सभी गुरु तेग बहादुर सिंह और उनकी शहादत को नमन करते है। सागर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बढ़चढकर हिस्सेदारी होगी । जितेंद्र सिंह चावला ने कहा कि सिख गुरुओं की शहादत से भारत धर्म निरपेक्ष बना है। प्रधान सतविंदर सिंह होरा ने कार्यक्रम की जानकारी दी।

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सागर: मस्जिंद की जमीन पर खुदाई में निकली भगवान की मूर्तिया

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ये है कार्यक्रम

23 नवंबर को विशाल वाहन रेली निकाली जाएगी। वाहन रेली रविवार को समय दोप. 2:30 बजे से शुरू होगी। विशाल वाहन रैली गुरुद्वारा गुरूअमर दास नगर भैंसा से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई शाम 6 बजे गुरुद्वारा श्री गुरूसिंघ सभा भगवानगंज पहुंचेगी।

*22 नवंबर शनिवार को हिन्द की चादर श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी पर केंद्रित बच्चो का विशेष कार्यक्रम- कविता, शबद कीर्तन समय- शाम 6 बजे से

*23 नवंबर 2025 को 350 साला शताब्दी श्री गुरुगोविन्द सिंह जी के गुरिआयी दिवस को समर्पित कीर्तन दीवान होगा।  प्रातः 8:30 बजे समाप्ति श्री अखंड पाठ साहिब

प्रातः 9:00 से 11:00 बजे तक एवं शबद कीर्तन भाई आतमजीत सिंह जी अमृतसर द्वारा उपरांत अरदास एवं हुकुमनामा दोप. 11:15 बजे समाप्ति उपरांत गुरू का लंगर वरतेगा।

रात्रि दीवान रात्रि 7:30 बजे संध्या दा दीवान रात्रि 8:00 से 09:00 बजे तक शबद कीर्तन भाई आतमजीत सिंह जी अमृतसर द्वारा किया जावेगा 


*24 नवंबर दिन सोमवार को  कीर्तन दीवान प्रातः 8:00 बजे से 9:00 बजे तक शबद कीर्तन ज्ञानी गुरूवचन सिंह जी (हजूरी रागी) प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक एवं शबद कीर्तन भाई आतमजीत सिंह जी अमृतसर द्वारा शबद कीर्तन किया जावेगा . रात्रि दीवान रात्रि 7:00 बजे संध्या दा दीवानरात्रि 8:00 से 09:00 बजे तक शबद कीर्तन भाई आतमजीत सिंह जी अमृतसर द्वारा शबद कीर्तन किया जावेगा 

*25 नवंबर 2025 दिन मंगलवार कोभाई मतिदास जी, भाई सतिदास जी और भाई दयाला जी के शहीदी दिवस को समर्पित कीर्तन दीवान

प्रातः 8:30 बजे समाप्ति श्री अखंड पाठ साहिब प्रातः 9:00 से 10:00 बजे आरती एवं शबद कीर्तन हजूरी रागी जत्था ज्ञानी गुरुवचन सिंह जी द्वारा प्रातः 10 बजे से दोप 12:00 बजे शबद कीर्तन भाई आतमजीत सिंह जी अमृतसर शबद कीर्तन किया द्वारा उपरांत अरदास एवं हुकुमनामा

श्री तेग बहादुर सिंह जी का संक्षिप्त परिचय


गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरु थे, जिनका जन्म 1 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में हुआ था। बचपन में उनका नाम 'त्यागमल' था, लेकिन बाद में उन्होंने योद्धा के रूप में अपनी वीरता दिखाई, जिसके बाद उनका नाम 'तेग बहादुर' (तलवार का धनी) रखा गया। उन्होंने औरंगजेब की जुल्म-ओ-सितम और ज़बरन धर्मांतरण के खिलाफ़ खड़े होकर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय मूल्यों की रक्षा की, जिसके कारण 1675 में उन्हें दिल्ली में शहीद कर दिया जहां आज गुरूद्वारा शीशगंज साहिब है गुरू तेग बहादुर जी के धड़ का संस्कार गुरू जी का भक्त भाई लखीशाह बंजारा ने ले जाकर अपने घर में रख कर पूरे घर में आग ली थी जहां आज गुरूद्वारा रकाबगंज साहिब है 

पंडित कृपाराम कश्मीरी पंडित के नेतृत्व में कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर जी के पास आये थे औरंगजेब द्वारा मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर किए जाने के कारण औरंगजेब के अत्याचारों से बचाने की गुहार लगाने आए थे। वे गुरुजी से मदद मांगने आए थे और गुरुजी के पुत्र, नौ वर्षीय गोबिंद सिंह जी के कहने पर गुरु तेग बहादुर जी ने उनकी बात सुनने और कश्मीरी पंडितों से मिलने का निर्णय लिया।

औरंगजेब का अत्याचारः उस समय औरंगजेब ने कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार करते हुए उन्हें जबरन इस्लाम कबूल कराने का आदेश दिया था।

मदद की गुहारः इस अत्याचार से परेशान होकर कश्मीरी पंडितों का एक समूह गुरु तेग बहादुर जी के पास मदद के लिए आया था।

गुरुजी का निर्णयः गुरु तेग बहादुर जी ने अपने पुत्र के प्रेरणादायक शब्दों से प्रभावित होकर, कश्मीरी पंडितों की बात सुनी और उनकी समस्याओं को हल करने का निर्णय लिया, जिसके कारण उन्हें स्वयं बलिदान देना पड़ा।

गुरुगद्दी संभालना

सिखो के आठवें गुरु 'गुरु हरि कृष्ण जी' के ज्योति ज्योत समा जाने से पहले वो सब भक्तों को 'बाबा बकाला' कह कर आप को गुरुगद्दी सौप गए थे। सिखो के नौवें गुरु हुए और आप 44 साल की उम्र में गुरुगद्दी पर विराजमान हुए।

धर्म का प्रचार

शांति, क्षमा, सहनशीलता के गुणों वाले गुरु तेग बहादुरजी ने लोगों को प्रेम, धकता, भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने लोगों की सहायता के लिए कुंए खुदवाए, पेड़ लगवाए, और तालाबों की खुदवाई करवाई। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरत्ता से उसे परास्त कर दिया। उनके जीवन का प्रथम दर्शन मही था कि 'धर्म का मार्ग सत्य और विजय का मार्ग है।

गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी पर तिलक जंजू राखा प्रभ ताका, कीनो बडो कलू महि साका।। साधन हेति इति जिनि करी, सीस दिया पर सी न उचरी।।

गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी पर

गुरू तेग बहादुर के चलत भयो जगत को सोक,

है है है सब जग भयो जै जै जै सुर लोक ।

विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में श्री गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय है। सन् 1675 में धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी को ने अपना बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने श्री गुरु तेग बहादुर जी को मौत की सज़ा सुनाई थी, क्योंकि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था। उन्हें सबसे निस्वार्थ शहीद माना जाता है और उनकी शहादत को हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

सदियो पहले एक ऐसे गुरू आये थे , जो धर्म पताका (झंडा) फहरा गये, दुनिया को धर्म का पाठ पढ़ा कर, धर्म की ही खातिर, वह खुद की बलि चढ़ा गये।


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वंदे मातरम गीत आज भी पहले की तरह प्रासंगिक और जरूरी:प्रोफेसर दिवाकर शुक्ला

वंदे मातरम गीत आज भी पहले की तरह प्रासंगिक और जरूरी:प्रोफेसर दिवाकर शुक्ला

तीनबत्ती न्यूज: 20 नवंबर ,2025

सागर । वंदे मातरम् गीत के भले ही 150 वर्ष पूरे हो गए हों लेकिन यह गीत आज भी राष्ट्रीय भावना से कन्याकुमारी से कश्मीर तक देश को झंकृत करता है । इस गीत की प्रासंगिकता राष्ट्रीय आंदोलन के समय जितनी थी ,आज भी उतनी ही जरूरत और प्रासंगिकता है इस गीत की है ताकि हम इसे देशभक्ति की भावना के साथ जोड़कर देश का विकास कर सकें। इस आशा के विचार डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के नॉमिनी कुलपति प्रोफेसर दिवाकर शुक्ला ने पत्र सूचना कार्यालय सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित एकदिवसीय वार्तालाप कार्यक्रम में व्यक्त किये।


अपने उद्बोधन में प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि बंगाल और संस्कृत में लिखे गए इस गीत में कुछ तो ऐसा जादू था कि जिसने पूरे देश को सांस्कृतिक ,सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर देश को एक कर दिया । उसे  उस समय लाखों की संख्या में युवा ,किसान, ग्रामीण ,शहरी ,अमीर और गरीब सभी वर्ग के लोग इस गीत  के माध्यम से अपनी राष्ट्रभक्ति प्रदर्शित कर रहे थे । इसको लेकर बड़े-बड़े आंदोलन भी हुए जो इतिहास में प्रसिद्ध और दर्ज हैं।


वार्तालाप कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संयुक्त रजिस्टर प्रोफेसर संतोष साहगौरा ने कहा कि यह वंदे मातरम गीत का राष्ट्रीय आकर्षण ही था कि आजादी मिलने के बाद भी  हमारे देश में आज भी इसी गीत की गूंज सुनाई देती है। अनेक लोग आज भी आपसी उद्बोधन में वंदे मातरम और जय हिंद ही कहते हैं ।उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में जरूर जानना चाहिए ताकि इस बहाने राष्ट्रीय आंदोलन की बातों को और भावों को समझ सकें।

कार्यक्रम के पूर्व अपने स्वागत उद्बोधन और कार्यक्रम की रूपरेखा में पत्र सूचना कार्यालय भोपाल के निदेशक श्री मनीष गौतम ने बताया कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । इसी कड़ी में सागर में यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय संचार ब्यूरो ,सूचना और प्रसारण मंत्रालय,बात सरकार द्वारा प्रधानमंत्री के आह्वान  पर   मध्य प्रदेश के 12 कार्यालयों द्वारा भी इस प्रकार के जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। कार्यक्रम में माय भारत युवा केंद्र के उपनिदेशक श्री रोहित यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में वंदे मातरम गीत के ऐतिहासिक प्रसंग और भारत सरकार द्वारा किए गए प्रमुख कार्यक्रम से संबंधित वीडियो भी दिखाए गए।



कार्यक्रम में कुछ पत्रकारों ने भी वंदे मातरम गीत के विषय में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन पत्र सूचना कार्यालय भोपाल के सहायक निदेशक श्री अजय प्रकाश उपाध्याय ने किया ।कार्यक्रम का आभार केंद्रीय संचार ब्यूरो सागर के क्षेत्रीय प्रभारी श्री दिनेश गौर ने किया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह के माध्यम से किया गया।

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Editor: Vinod Arya
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सत्संग से ही मिलता है भगवान का साक्षात्कार : श्री इंद्रेश उपाध्याय जी ▪️श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति, त्याग और धर्म के सार की हुई व्याख्या

सत्संग से ही मिलता है भगवान का साक्षात्कार : श्री इंद्रेश उपाध्याय जी 

▪️श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति, त्याग और धर्म के सार की हुई व्याख्या


तीनबत्ती न्यूज: 20 नवंबर, 2025

सागर। सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी के मुखारविंद से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आरती में मुख्य यजमान के रूप में श्रीमती अनुश्री जैन एवं विधायक शैलेंद्र कुमार जैन सम्मिलित हुए। इस अवसर पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया, एडीजी अन्वेष मंगलम और सुनीलजी देव भी उपस्थित रहे।

कथा वाचन के दौरान पूज्य महाराज श्री ने कहा कि जीवन में सत्संग का बहुत महत्व है। गौ, ब्राह्मण और अग्नि — इन तीनों का एक ही गोत्र होता है, इसलिए इन्हें जो भी अर्पित किया जाता है वह सीधे ठाकुर जी को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि भगवत मिलन में जो बाधा बने, चाहे वह परिवार या कोई भी संबंध हो, उसका त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वही संबंध सार्थक हैं जो हमें हरि से मिला दें।

विधायक वही जो हरि से मिला दे

महाराजजी ने कहा  “विधायक वही सही, जो आपको हरि से मिला दे।”उन्होंने यह भी बताया कि सनातन एकता कथा के समय बागेश्वर धाम के प्रमुख पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सागर के प्रति अपनी आत्मीयता व्यक्त करते हुए छह माह के भीतर ही पुनः कथा का अवसर प्राप्त होना सौभाग्य की बात कही है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि और भक्तों का ऐसा समर्पण यदि सभी स्थानों पर हो जाए तो संपूर्ण वातावरण राधाकृष्णमय हो जाए।


उन्होंने ओरछा के राजा मधुकरशाह और उनकी रामभक्त धर्मपत्नी की अनूठी भक्ति का वर्णन करते हुए बताया कि उनके त्याग और श्रद्धा से ही श्रीराजाराम का अवतरण हुआ। धर्म वही है जो सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे।

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इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि भागवत मात्र हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिम, ईसाई, सिख — सभी के कल्याण का ग्रंथ है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि व्यक्ति का स्वभाव, विचार और आचरण शुद्ध हो, तो उसका धर्म और मजहब नहीं पूछा जाता।

उन्होंने कहा कि सत्य ऐसा बोलना चाहिए जो सबको प्रिय लगे। भूख लगे तो भोजन, नींद आए तो सोना, जीविकापार्जन — यह सब धर्म है लेकिन शरीर की चिंता छोड़कर आत्मा के कल्याण का चिंतन परम धर्म है। प्रसाद महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने एक राजा की कथा सुनाई और कहा कि कथा में देह नहीं लाती, आपकी आत्मा आपको यहाँ लाती है।

उन्होंने जबलपुर के भोलानाथ जी की कथा संदर्भित करते हुए कहा कि ठाकुर जी उसी के अधिकारी हैं जिसके हृदय में ईर्ष्या नहीं होती। उन्होंने सभी से प्रतिदिन कुछ नया पढ़ने, सीखने और भक्तों के चरित्रों का अध्ययन करने का आग्रह किया जिससे दुखों में कमी आती है और संसार को समझने की दृष्टि मिलती है।




ये हुए शामिल

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राज्य मंत्री दिलीप जायसवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी, पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह, नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, पूर्व निगम अध्यक्ष प्रदीप पाठक, नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री, संतोष पांडे, गौरी यादव, दिलीप मलैया, अनिल तिवारी, मनोज जैन, मनीष चौबे, विक्रम सोनी, अमित बैसाखिया, नीरज यादव, प्रासुख जैन, अविनाश जैन, श्रीकांत जैन, मेघा दुबे, प्रीति शर्मा, ऋतु राजपूत, राहुल वैद्य, नितिन बंटी शर्मा, पराग बजाज, रीतेश तिवारी, मनोज रैकवार, निखिल अहिरवार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

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