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देशज ज्ञान का वैश्विक शोध केंद्र बनेगा विश्वविद्यालय: कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

 
देशज ज्ञान का वैश्विक शोध केंद्र बनेगा विश्वविद्यालय: कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता 

★ स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र का हुआ शुभारम्भ, पारम्परिक चिकित्सा शिविर का आयोजन 
 
सागर. 24 दिसंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र का औपचारिक शुभारम्भ हुआ. इस अवसर पर कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि भारतीय देशज ज्ञान का गौरवशाली और समृद्धिशाली इतिहास है. पहले के जमाने में जब नवीन चिकित्सा पद्धतियाँ नहीं थीं तब देशी-जड़ी बूटियों से इलाज किया जाता था जो कि बहुत कारगर होता था. आधुनिक चिकित्सा पद्धति के ज़माने में हम अपने गौरवशाली और संपन्न देशज ज्ञान परम्परा को भूलते जा रहे हैं. ऐसे समय में अपनी समृद्ध देशज ज्ञान परम्परा को सहेजने और उसे आगे बढ़ाने के लिए हमें सरकार द्वारा एक केंद्र स्थापित करने की मंजूरी मिली है. यह गौरवान्वित करने वाली बात है. उन्होंने कहा कि यह एक अनूठा केंद्र है जो देश के विरले ही संस्थानों में है. आज इसका बीजारोपण हो रहा है और अब यह भारतीय देशज ज्ञान परम्परा के संरक्षण, शोध और प्रसार का वैश्विक केंद्र बनेगा. 
 
उन्होंने कहा कि हम वानस्पतिक औषधि संपन्न राष्ट्र हैं. जैव विविधता के क्षेत्र में भारत दुनिया के कई देशों से मजबूत स्थिति में हैं. यह केंद्र पारंपरिक चिकित्सकों और औषधीय वनस्पतियों पर रिसर्च के माध्यम से एक अनूठे केंद्र के रूप में विकसित होगा. पारंपरिक चिकित्सकों के सहयोग से औषधीय जड़ी-बूटियों वाले पौधों को विश्वविद्यालय में विकसित कर फार्मेसी विभाग एवं अन्य शोध एजेंसियों की मदद से शोध करके कई प्रोडक्ट तैयार किये जाएंगे. आज आयुर्वेद कंपनियों को कच्चे माल की भी जरूरत पड़ती है. हम औषधीय वनस्पतियों के आपूर्तिकर्ता के रूप में भी अपनी पहचान बना सकते हैं. इसके साथ ही देशज ज्ञान पद्धति के विशेषज्ञों के सहयोग से देशी दवाइयों के किफायती प्रोडक्ट तैयार कर सकते हैं. इससे देशज ज्ञान और इसके जानकारों, दोनों के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा. शीघ्र ही केंद्र में शिक्षकों के पद भरे जाएंगे. यह केंद्र उत्कृष्ट शोध केद्रों से साझेदारी करके औपचारिक तौर पर शोध कार्य शुरू करेगा. प्रोजेक्ट के माध्यम से भी शोध कार्य प्रारंभ होंगे. 
 
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने फीता काटकर केंद्र का शुभारम्भ किया तथा चिकित्सा शिविर का भी उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि पारंपरिक ज्ञान पर आधारित चिकित्सा पद्धति भी काफी कारगर है. इस पद्धति से गंभीरतम बीमारियों के ठीक होने के कई प्रमाण हैं. आज पूरा विश्व योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की तरफ देख रहा है. प्राकृतिक उत्पादों ने व्यक्तिगत तौर पर मुझे भी एक बार जीवनदान दिया है. इस चिकित्सा पद्धति पर विश्वास की आवश्यकता है. इस तरह के चिकित्सा शिविर लगातार आयोजित किये जाएंगे और विभिन्न रोगों के लिए विशेष शिविर भी लगाए जाएंगे. इससे केंद्र की गतिशीलता तो बढ़ेगी ही साथ ही केंद्र सामाजिक उत्तरदायित्व का भी निर्वहन कर सकेगा. उन्होंने शिविर में आये वैद्यों से परिचय प्राप्त कर उनके उत्पादों की भी जानकारी ली.
 
स्वागत वक्तव्य में केंद्र प्रभारी प्रो. के.के.एन. शर्मा ने केंद्र का परिचय दिया और इसके व्यापक उद्देश्यों को विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि केंद्र में 25 सितंबर को भी सुबह 9.30 बजे से नाड़ी वैद्यों का शिविर शुरू होगा. सागर शहर और आस-पास के नागरिक अपना इलाज कराने के लिए आ सकते हैं. कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजबहादुर अनुरागी ने किया. आभार वक्तव्य प्रो. आर. पी. मिश्रा ने दिया. इस अवसर पर डॉ. पंकज तिवारी, डॉ. राकेश सैनी, डॉ. पवन शर्मा, डॉ. परविन्दर, डॉ. हेमन्त पाटीदार सहित कई शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. 
 
केंद्र परिसर में कुलपति ने किया पौधारोपण

इस अवसर पर कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने पौधारोपण भी किया और केंद्र परिसर के हरा-भरा रहने की मंगलकामना की. शिविर में आये नाड़ी चिकित्सकों और शिक्षकों ने भी पौधारोपण किया.
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