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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन संयोजक रमाकांत यादव ने दाखिल की सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु एवम रिकॉल याचिकाएं

 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन संयोजक रमाकांत यादव ने दाखिल की सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु एवम रिकॉल याचिकाएं

सागर। राष्ट्रीय पिछडा वर्ग अधिकार संगठन के संयोजक एवं मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव रमाकांत यादव  ने बताया कि अपाक्स, पिछडा वर्ग विकास मोर्चा एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन ने संयुक्त रूप से
पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनाव में ओबीसी की सीटो को सामान्य में परिवर्तित करने के फैसले को रिकॉल एवम मोडीफाइड करने हेतु सुप्रीम कोर्ट में आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से याचिकाएं दाखिल की जा चुकी है । 
रमाकांत यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन की ओर से भी रिकॉल आफ आर्डर की याचिका दाखिल की गई है तथा याचिका कर्ताओ की ओर से भी मोडिफिकेशन आफ आर्डर की याचिकाएं दाखिल हुई है ।  जो संघठन मूल याचिका में पक्षकार नही थे उन्होंने भी उक्त मूल प्रकरण में पक्षकार बनाए जाने हेतू अतिरिक्त आवेदन दाखिल किये है । सर्वप्रथम पक्षकार बनाए जाने के आवेदनों पर चेम्बर जज के समक्ष सुनवाई होगी तत्पश्चात दाखिल की गई समस्तस रिकॉल एंड रिव्यु आफ आर्डर दिनाँक 17/12/2021 की सुनवाई दिनाँक 3 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट के ओपन होने पर मेंशन करने के बाद तारीख निर्धारित की जाएगी । 
 रिव्यु एवम रिकॉल आफ आर्डर दिनाँक 17/12/2021 का प्रमुख आधार यह है की संविधान के अनुच्छेद 243 (D) (6) में ओबीसी को अमूचित प्रतिनिधिव वास्ते राज्य सीटो को आरक्षित कर सकेगा तदनुसार पंचायत अधिनियम में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के प्रावधान विधायका द्वारा किए गए है । 
  1994 से त्रिस्तरीय निर्वाचनों में 1994-95 से आरक्षण लागू है तथा देश के अन्य कई राज्यो में भी ओबीसी को पंचायतों के त्रिस्तरीय आरक्षण प्रवर्तन में है । केवल मध्यप्रदेश राज्य के त्रिस्तरीय पंचायतों में माननीय उच्चतम न्यायालय का  दिनाँक 17/12/2021 का आदेश रिकॉल करने योग्य है । 2011 के आकड़ो के अनुसार  मध्य प्रदेश में ओबीसी की आवादी 51% है  जिसे समुचित प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान पंचायत अधिनियम में मौजूद है ।याचिका कर्ताओ द्वारा चाही गई राहत से परे माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश संवैधानिक प्रावधानों से असंगत है जिसे न्यायहित में रिकॉल किये जाने का निवेदन किया गया है तथा मौजूदा निर्वाचन पूर्व प्रतिस्थापित प्रावधानों के तहत ही राज्य निर्वाचन आयोग को निर्दिष्ट किया जाए ।
*आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर* का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट उक्त रिव्यु पीटीशनो में अपना आदेश परिवर्तित नही करती है तो फिर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे जिसकी सुनवाई संविधान पीठ द्वारा की जावेगी
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