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सागर जिले में झाड़ू निर्माण को मिली नई पहचान : महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का नया आयाम

सागर जिले में झाड़ू निर्माण को मिली नई पहचान : महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का नया आयाम


तीनबत्ती न्यूज : 23 जून ,2025

सागर : कलेक्टर संदीप जी आर के मार्गदर्शन में संचालित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार के नए अवसरों को तलाशने और आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले की महिलाओं के पास जो पारंपरिक कौशल है, उसे पहचान कर तकनीकी सहायता, डिज़ाइनिंग और बाजार उपलब्धता से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। यह प्रयास न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम है, बल्कि जिले को एक नई कलात्मक पहचान भी दिला रहा है।


सागर जिले के खुरई विकासखंड के ग्राम कन्नाखेड़ी और ग्राम जेरुआ में मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 13 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें परंपरागत झाड़ू निर्माण से जुड़ी महिलाओं को इस कार्य में नई तकनीक और कलात्मकता के साथ प्रशिक्षित कर नए तरीके से झाड़ू बनाना सिखाया जा रहा है। प्रशिक्षण में दो बैचों में कुल 70 महिलाएं भाग ले रही हैं, जिन्हें ऐसी डिज़ाइनर झाड़ू बनाना सिखाया जा रहा है जो बाजार में 50 रुपए या उससे अधिक मूल्य पर बिक सकती हैं। पहले जहां एक साधारण झाड़ू की कीमत 15 रुपए के आसपास थी, वहीं अब महिलाएं कम संख्या में लेकिन अधिक मूल्य के उत्पाद बना रही हैं।

रोजाना 20 झाड़ू बनती है

श्रीमती विपदा दांगी ने बताया कि परंपरागत तरीके से वह प्रतिदिन 20-22 झाड़ू बनाती थीं, लेकिन कम मूल्य पर झाड़ू बिकने के कारण आय कम हो पाती थी। अब इस नई कला में कम लागत और अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है, जिससे लाभ भी अधिक हो रहा है। श्रीमती यशोदा अहिरवार ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह अब नई तकनीक के माध्यम से बेहतर और अधिक लाभदायक उत्पाद बना रही हैं।



इसी तरह श्रीमती सुधा पाठक ने बताया कि उनके खेतों में खजूर के पेड़ हैं और पहले वह इनसे पारंपरिक झाड़ू बनाती थीं, लेकिन प्रशिक्षण के बाद उन्हें महसूस हुआ कि यही कार्य उन्हें आत्मनिर्भर बना सकता है। जहां पहले वे केवल घर के लिए ही झाड़ू बनाया करती थीं अब प्रशिक्षण लेने के बाद वे व्यवसायिक स्तर पर झाड़ू बना कर बाजार में बेच रही हैं और लाभ अर्जित कर रही है। इसी प्रकार श्रीमती यशोदा अहिरवार ने बताया की विवाह के बाद ससुराल जाकर उन्होंने झाड़ू बनाने का काम अपने परिवार में सीखा और वह प्रतिदिन अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर झाड़ू का निर्माण करती थी लेकिन अब प्रशिक्षण मिलने के बाद वे नए तरीके से झाड़ू बना रही हैं। श्रीमती यशोदा अहिरवार ने बताया की प्रशिक्षण के बाद अब मैं परिवार के सदस्यों को भी नए तरीके से झाड़ू बनाना सिखा रही हूं जिससे अधिक मूल्य वाले झाड़ू बनाने से परिवार की आय में वृद्धि हो रही है।


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