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राजधानी में कारोबार और अंचल में होती है सरोकार की पत्रकारिता : भूवनेश सेंगर ★ वरिष्ठ पत्रकार संजय चौबे पद्मभूषण पंडित भगवंतराव मंडलोई पत्रकारिता सम्मान से नवाजे गए

राजधानी में कारोबार और अंचल में होती है सरोकार की पत्रकारिता : भूवनेश सेंगर 

★  वरिष्ठ पत्रकार संजय चौबे  पद्मभूषण पंडित भगवंतराव मंडलोई पत्रकारिता सम्मान से  नवाजे गए 

खंडवा। पत्रकारिता के अब मायने बदल गए हैं। बड़े शहरों में जहां पत्रकारिता कारोबार हो गई है वहीं अंचल में पत्रकारिता अब भी सरोकार बनी हुई है। किसी पत्रकार में यह भेद नहीं किया जाना चाहिए कि वे अंचल से है या राजधानी से। अंचल की पत्रकारिता में आज भी मूल भाव उपलब्ध हैं।
यह बात वरिष्ठ पत्रकार भूवनेश सेंगर ने मध्यप्रदेश मीडिया संघ और खंडवा पत्रकार संघ द्वारा आयोजित पदमभूषण पंडित भगवतंराव मंडलोई पत्रकार सम्मान समारोह में कही। वरिष्ठ पत्रकार संजय चौबे  पद्मभूषण पंडित भगवंतराव मंडलोई पत्रकारिता सम्मान से  नवाजे गए। 

 उन्होंने कहा प्रजातंत्र में चौथा स्तंभ होने का दंभ भरने वाली मीडिया के पास कोई अधिकार नहीं है। आंचलिक पत्रकारों को वेतन तक नहीं मिलता इसके बावजूद जिस तरह वे काम करते हैं वह अपने आपमें काबिले तारीफ है। इस मौके पर प्रदेशभर के पत्रकारों को लाइफ टाइम अचीवमेंट, श्रेष्ठ पत्रकार और नवोदित पत्रकारों के सम्मान से नवाजा गया। सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा मीडिया हमें आइना दिखाने का काम करता है। पत्रकार जनता प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय का काम भी करते हैं। नए पत्रकार ज्यादा तेजी न दिखाएं और वरिष्ठों का मार्गदर्शन भी लें ताकि समाज के लिए बेहतर कर सकें।  उन्होंने पंडित भगवंतराव मंडलोई के बारे में कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश के लिए जो काम किए हैं वो कभी भुलाए नहीं जा सकते। खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा ने कहा आपदा काल में पत्रकारों ने जो काम किए है वह सराहनीय हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल ने कहा पत्रकारिता में टिके रहना बहुत मुश्किल है। मैंने भी पत्रकारिता जीवन को करीब से देखा है हमारा कर्तव्य है एक दूसरे की संस्कृति का आदर करें। यही हमारी परंपरा है और समाचार पत्र इस परंपरा को बनाए हुए हैं। कार्यक्रम की शुरूआत सभी धर्मों के संदेश के साथ हुई। गायत्री परिवार की ओर से परिप्राजक भैरोसिंह चौहान ने गायत्री मंत्रों का उच्चारण किया तो नायब शहर काजी सैयद निसार अली ने कुराने पाक तिलावत की। इसी तरह गुरुद्वारा के प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी जसबीरसिंह राणा और दिगंबर जैन मंदिर के पुजारी प्रतीक जैन ने धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। राघवेंद्रराव मंडलोई ने पदमभूषण पंडित भगवंतराव मंडलोई के जीवन के बारे में जानकारी दी। संजय चौबे ने पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय दिया। राजेंद्र पाराशर ने पदमश्री रामनारायण उपाध्याय का परिचय दिया तो कल्याणी महाजन ने किशोर दा का परिचय दिया उन्होंने उनसे जुड़े रोचक किस्से भी सुनाए। नवरतन जैन बड़वाह ने स्वागत उदबोधन दिया। प्रदेश उपाध्यक्ष रिजवान अंसारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। अनंत माहेश्वरी ने अपनी कविता मैं पत्रकार हूं का वाचन किया। कोरोना में दिवंगत हुए पत्रकारेां को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। पर्यावरण को लेकर धुम्रपान निषेध के प्रति जनजाग्रति के लिए गायत्री परिवार के देवा भावसार, अशीष पटेल, सुखपाल सिंह पवार, संजय महाजन आदि ने शिविर लगाकर आगंतुकों को जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन ग्रामीण जिला अध्यक्ष पंकज लाड़ ने किया आभार मध्यप्रदेश मीडिया संघ के अध्यक्ष जयवंत ठाकरे ने व्यक्त किया। जिला अध्यक्ष श्याम शुक्ला और नगर अध्यक्ष मनीष व्यास ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। 

अंग्रेज भी पत्रकारों से डरते थे— मंडलोई

भगवंतराव मंडलोई को स्मरण करते हुए अमिताभ मंडलोई ने कहा वे लिखते भी थे उन्होंने कहा है कि पत्रकारिता और आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता और साहित्य का जो संबल मिलता था वह अकल्पनीय है। इस जुगलबंदी ने अंग्रेजों को डरा दिया। पत्रकारिता और साहित्य का खंडवा से गहरा नाता रहा है। हम जब आजाद हो गए और संविधान की आत्मा पत्रकारिता है तीनों स्तंभों को पत्रकार आइना दिखाते हैं पत्रकारों पर बड़ा उत्तरदायित्व है।

ट्रेडल पर निकलने वाला कर्मवीर सबसे बड़ा

वरिष्ठ पत्रकार जय नागड़ा ने कहा पत्रकारों को वर्गों में बांटकर उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया जाता है। पत्रकार, पत्रकार हैं उनके बीच आंचलिक और राष्ट्रीय का अंतर पैदा न करें। आंचलिक पत्रकारों की खबरों को आइसिंग कर राष्ट्रीय पत्रकार हजम कर जाते हैं। ट्रेडल पर निकलने वाला अखबार कर्मवीर इस बात का गवाह है कि पत्रकार कहीं का भी हो पत्रकार, पत्रकार होता है। बुरहानपुर के मनोज अग्रवाल ने कहा पत्रकार साथियों ने कोरोना काल में भी फील्ड में आकर काम किया। समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज मीडिया बनता आया है। प्रेस स्वतंत्रता के मामले में भारत दुनिया से बहुत पीछे है। पत्रकारों पर दर्ज होने वाले प्रकरणों में पहले जांच की व्यवस्था की जाए और प्रेस प्रोटेक्टशन एक्ट लागू किया जाए।
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