Editor: Vinod Arya | 94244 37885

बीएमसी की डाॅ श्वेता भटनागर के अंग्रेजी उपन्यास "गोल्डन केज" का विमोचन ▪️जीवन में बंधन-कैदखाना हमारे दिमाग में है : डॉ.सुधा शर्मा

बीएमसी की डाॅ श्वेता भटनागर के अंग्रेजी उपन्यास "गोल्डन केज" का विमोचन

▪️जीवन में बंधन-कैदखाना हमारे दिमाग में है : डॉ.सुधा शर्मा



तीनबत्ती न्यूज: 28 जुलाई ,2025

सागर। श्यामलम् के "भाषा विमर्श" पर केंद्रित बौद्धिक कार्यक्रमों की श्रंखला में बुंदेलखंड मेडीकल कालेज सागर की दंत रोग चिकित्सा विभाग की डाॅ श्वेता भटनागर द्वारा रचित प्रथम उपन्यास " गोल्डन केज "(अंग्रेजी ) का विमोचन झांसी मेडीकल कालेज की आचार्य डॉ.सुधा शर्मा की अध्यक्षता, श्रीमती अनुश्री शैलेंद्र जैन के मुख्य आतिथ्य तथा डॉ. प्रवीण खरे, प्रो.रश्मिसिंह, डॉ. डिम्पल दुबे, डॉ. पूर्णिमा वर्मा, डॉ. माधवचन्द्र चंदेल व डी.एस पी लवली सोनी की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। 

यह भी पढ़ेसागर की एक स्कूल : बारिश यानि छुट्टी : सरकारी स्कूल भवन जर्जर होने से कक्षाएं लगना बंद ▪️एक साल से खुले आसमान के नीचे बैठ रहे बच्चे : स्कूल में 104 बच्चे और चार शिक्षक

जीवन में बंधन-कैदखाना हमारे दिमाग में है : डॉ.सुधा शर्मा

इस अवसर पर डॉ. सुधा शर्मा ने कहा कि जीवन में बंधन कैदखाना हमारे दिमाग में है। आधुनिक समाज बहुत आगे जा चुका है लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करने का है। हमने लड़कियों के लिये रास्ते खोले हैं, आजादी दी है कैरियर चुनने की परंतु कैरियर ही सब कुछ नहीं है। इस पुस्तक में स्वतंत्रता, निर्भरता तथा परस्पर सहयोग की भावना का सुंदर चित्रण किया गया है। परंपरा एवं महत्वाकांक्षा में संतुलन स्थापित करने की लेखक डॉ.श्वेता की अपील पुस्तक को प्रभावशाली बनाती है।श्रीमती अनुश्री जैन ने कहा कि एक महिला के जीवन में बहुत अधिक  संघर्ष होता है क्योंकि वह बच्चों, परिवार, समाज एवं पद प्रतिष्ठा को सोचकर चलती व व्यवहार करती है। इस प्रकार की चुनौतियों के बीच डॉ. श्वेता का यह उपन्यास स्त्री संघर्ष की गाथा का सुंदर चित्रण है। 


पुस्तक की समीक्षा हुई

पुस्तक समीक्षा करते हुए अंग्रेजी विभाग की प्रो. रश्मि सिंह ने कहा कि यह पुस्तक 17 अध्यायों  में मुख्य पात्र साहित्या के जीवन के विभिन्न पहलुओं से वास्ता पड़ने एवं जूझने संघर्ष करने का चित्रण है। स्वतंत्र लेखिका डॉ.डिम्पल दुबे ने कहा कि संघर्ष एक मनुष्य को मनुष्यत्व से परिचित कराते हैं। जो संघर्षों में विचलित हो जाते हैं वे मनुष्य हार का सामना करते हैं। गोल्डन केज स्त्री के सम्मान,आत्म विश्वास और जुझारू व्यक्तित्व का ताना बाना है। डॉ.प्रतिभा वर्मा,भौतिकी वैज्ञानिक ने पुस्तक में साहित्या के जीवन के अन्यान्य पहलुओं से संघर्ष करते हुए, जीवन के विभिन्न पात्रों की वैश्व संपन्नता से विचलित हुए बिना चुनौतियों को झेलने की प्रवृ‌त्ति पर ध्यान आकर्षित कराया। 


हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में ईएमआर सी के प्रोड्यूसर माधव चन्द्र चंदेल ने कहा कि पुस्तक की सरल भाषा शैली होने के कारण सातवीं कक्षा से ऊपर का कोई भी बच्चा इसे पढ़ सकता है। गोल्डन केज एक कहानी नहीं बल्कि स्त्री के जीवन के अनदेखे पहलुओं, सुनहरे पिंजरे में जकडी लड़की की कथा है जो दबे सपनों, दबी इच्छाओं में जीवन गुजार देती है लेकिन इस बीच उसकी संघर्ष प्रवृत्ति, जिम्मेदारी का एहसास उसके भावनात्मक सोच में परिवर्तन लाती है और संघर्ष का माद्दा पाठक को साहित्य के साथ रोने एवं साथ हंसने पर मजबूर कर देता है। गोल्डन केज एक स्त्री की अनकही कहानी की अभिव्यक्ति है।


तनाव का बोझ और निजी स्वतंत्रता का बोध इन प्रश्नों के विचार का परिणाम है गोल्डन केज : डा श्वेता भटनागर


लेखिका डॉक्टर श्वेता भटनागर ने अपनी पुस्तक के संदर्भ में विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि अमेरिका में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि सन 2030 तक 45% लड़कियां अकेला रहना चाहेंगी। ऐसा क्यों हुआ? इस प्रश्न ने यह पुस्तक लिखने को मुझे प्रेरित किया। एक छोटी बच्ची का जीवन मां पिता की गोद से शुरू होकर हमारी संस्कृति में कन्या रूप पूजन से बढ़ता हुआ परिवार को संभालने वाली लड़की से होता हुआ शादी के बाद घर संभालना तथा मातृत्व से गुजरकर अंतिम पड़ाव पर जाना यह सब रचा बसा तना-बना है। इन सब के अतिरिक्त मानसिक शारीरिक तनाव का बोझ और निजी स्वतंत्रता का बोध इन प्रश्नों के विचार का परिणाम है गोल्डन केज। इस अवसर पर श्रीमती नीता खन्ना, लवली सोनी, डॉ.नवदीप सलूजा, श्रीमती  भटनागर,श्रीमती प्रीति सैनी ने पैनल मंत्रणा में पुत्र पुस्तक के पहलुओं पर विचार मंथन किया।

यह भी पढ़ेडॉ गौर विवि : फार्मेसी विभाग की शोधार्थी को मिली सीनियर रिसर्च फेलोशिप : तीन को यूजीसी-नेट में सफलता

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा कवि मुकेश तिवारी द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना से हुई। आयोजक संस्था श्यामलम् के कार्यकारी सचिव संतोष पाठक ने स्वागत भाषण दिया। लेखिका डॉ श्वेता और डॉ प्रवीण खरे ने अतिथि स्वागत किया। कार्यक्रम में श्यामलम् द्वारा लेखिका डॉ श्वेता का अभिनंदन किया गया। डॉ मनीष झा ने अभिनंदन पत्र वाचन किया। कार्यक्रम का व्यवस्थित और प्रभावी संचालन डॉ आशुतोष शर्मा ने किया व डॉ प्रवीण खरे ने आभार व्यक्त किया।

ये हुए शामिल 

इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोताओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही जिनमें डीन डॉ पी एस ठाकुर, डॉ एस एम सीरोठिया, डॉ राजेंद्र चऊदा,पं.प्रकाश चौबे,डॉ अरविंद गोस्वामी, डॉ सर्वेश जैन ,प्रो.नवीन कानगो, आनंद चौबे,एल एन चौरसिया,हरी शुक्ला,डॉ विनोद तिवारी,डॉ प्रदीप पांडेय, डॉ गजाधर सागर,पी एन मिश्रा, हरिसिंह ठाकुर,आर सी चौकसे,आर के तिवारी, रविंद्र सिलाकारी,डॉ‌ नलिन जैन,विजय लक्ष्मी दुबे, डॉ छाया चौकसे, डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी, डॉ आराधना झा,श्रीमती नम्रता फुसकेले, पैट्रिस फुसकेले,टी आर त्रिपाठी,एम के खरे, अशोक तिवारी अलख,डॉ.अंकुर भट्ट, अंबिका यादव, अलबेला तिवारी, वीरेंद्र प्रधान आदि के नाम शामिल हैं।

______



________________


____________________________

___________
Editor: Vinod Arya
संपादक :विनोद आर्य
________
+91 94244 37885
________
तीनबत्ती न्यूज़. कॉम की खबरे पढ़ने   सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जुड़ने  लाईक / फॉलो करे



Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

www.Teenbattinews.com

Archive