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संस्कृति की परिचायक है मातृभाषा - डॉ चंचला दवे

संस्कृति की परिचायक है मातृभाषा - डॉ चंचला दवे
सागर ।सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मोतीनगर सागर में मातृभाषा दिवस पर आययोजित समारोह में  मुख्य अतिथि डॉ चंचला दवे ने कहा कि भारत की समृद्धता संस्कार व अतिथि देवो भव पर राष्ट्र को समर्पित है जिससे भारत का मान विदेशी भूमि पर भी अमिट है। सरस्वती शिशु मंदिर में ही राष्ट्र भाषा हिंदी को प्रमुखता से अपनाया गया है कहा गया है कि संस्कृति की परिचायक है मातृभाषा  जिसे इस संस्थान में संस्कार के साथ प्रमुखता से अपनायी जा रही है 
 कार्यक्रम अध्यक्ष पं. के.के.दुबे विशिष्ट अतिथि  के.कृष्णा राव शिक्षा समिति सदस्य, राधिका प्रसाद गौतम पूर्व प्रांत समन्वयक केशव शिक्षा समिति महाकौशल प्रांत, सुलोचना जैन पूर्व आचार्या थी। अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम मां सरस्वती, ओम्, भारत माता के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया। बहिन बैष्णवी साहू व उनके साथियों द्वारा वंदना प्रस्तुत की गई । अतिथियों का परिचय राजकुमार ठाकुर प्राचार्य व स्वागत बाबूलाल सेन प्रधानाचार्य ने किया । बहिनों की ओर से स्वागत भाषण मातृभाषा हिंदी में कविता के माध्यम से आपको कभी स्कूल के दिन याद आयेंगे समीक्षा रजक व वसुंधरा वर्मन ने अंग्रेजी में  अपना विचार दिया। डॉ कृष्णा राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि भैया बहनों की प्रथम पाठशाला मां रहती है पर विद्यालय में उन्हें व्यक्तित्व सिखाने की कला विकसित की जाती है। कार्यक्रम अध्यक्ष पं.के.के.दुबे ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि नौनिहालों को प्रवेश दिलाने में मां की भूमिका अहम है पर विद्यालय में आचार्य अपने आप को जलाकर भैया बहिनों को उसी तरह प्रकाशमय करता है जिस तरह दीपक के नीचे अधंकार रहता है पर सभी जगह दीपक की लौ अपना प्रकाश फैलाती है । शिक्षक ही न्यायालय में न्यायाधीश तो पैरवी करने वकील वहीं देश संचालित करने राजनीतिक तो उनके लिए व्यवस्था बनाए रखने में सहायक अधिकारी को भी कोई अध्यापक बनाने का कार्य संपादित करता है। विशिष्ट अतिथि आशीष द्विवेदी ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि यह वह संस्थान है जो अपने नाम में ही प्रर्दशित होता है कि शिशु अर्थात भगवान व शिक्षक अर्थात भगवान मंदिर अपने में ही समाहित है ।बहिन कर्णिका तिवारी व आलिया सैफरीन लाइन ने नृत्य व सौम्या बोहरे , बैष्णवी साहू व उनके साथियों द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। मंच संचालन समीक्षा रजक व वसुंधरा वर्मन ने आभार प्रदर्शन रीना ज्योतिषी ने किया ।प्रधानाचार्य बाबूलाल सेन ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर में दिया जाने वाला शिक्षण व  हमारे समकक्ष विद्यालयों में दिया जाने वाला शिक्षण का तुलनात्मक अध्ययन किया जावे तो यह प्रर्दशित होता है कि शिशु मंदिर में अध्ययनरत विद्यार्थियों को स्वंय अपने विचारों को प्रर्दशित करने का ज्ञान अर्जित अधिक रहता है। प्राचार्य राजकुमार ठाकुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिशु मंदिर में राष्ट्र प्रेम की भावना को जागृत करने के साथ साथ संस्कारों को भी आत्मसात कराया जाता है । मीडिया प्रभारी मनोज नेमा ने राष्ट्र प्रेम पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिस देश जाता में जन्म लिया बलिदान उसी पर ही हो जानें पंक्तियां को याद करते हुए बहिनों को जागृत करने का प्रयास किया व आशीष देते हुए कहा कि हमें देश, समाज व परिवार को सम्मानित करने में सफल होने के लिए आतुर होना पड़ेगा । कार्यक्रम में प्रदीप सूबेदार, मनोज नेमा, प्रदीप नामदेव, मंजू राय, संजय मोघे, अंजू देवलिया, रीना ज्योतिषी, हेमराज सिंह,शंकर क्षीरसागर, संजय चौरसिया, मनीषा चौरसिया, के.के.ठाकुर, महेश तिवारी,कौशल व आचार्य दीदियां उपस्थित थीं ।
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