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राष्ट्र उन्नयन के लिए मातृभाषा जरुरी: डाॅ. वेदप्रकाश दुबे

राष्ट्र उन्नयन के लिए मातृभाषा जरुरी: डाॅ. वेदप्रकाश दुबे
सागर। राष्ट्र के चहुमुखी विकास के लिए मातृभाषा एक माध्यम के रूप में बेहद जरुरी है। षिक्षा के सभी माध्यमों में मातृभाषा का स्थान सर्वाेपरि है। प्रत्येक भारतीय को मातृभाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। मातृभाषाओं के सम्मान से सामासिक संस्कृति का निर्माण होता है, जो राष्ट्र के निर्माण के लिए अत्यन्त आवष्यक है। यह बात गृह मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा विभाग के पूर्व निदेषक डाॅ. वेदप्रकाश दुबे ने कही। डाॅ. दुबे ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए विभिन्न भारतीय भाषाओं की शब्द परम्परा और शब्द शक्तियों को नये रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी से इस अवसर पर अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति रूचि जागृति करने पर बल दिया। भारतीय संस्कृति और विभिन्न भारतीय भाषाओं की चर्चा करते हुए डाॅ. दुबे ने शब्द ब्रह्म और ब्रह्माण्ड की शक्तियों को निर्देषित करने की भारतीय भाषा परम्परा को याद दिलाया। 
कार्यक्रम में प्रभारी कुलपति प्रो. जनक दुलारी आही एवं कुलसचिव कर्नल राकेष माहेन जोशी ने भी मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. चन्दा बैन ने मातृभाषा दिवस के अवसर पर अतिथियों और सभागार में उपस्थित छात्रों और विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि मातृभाषा में ही हमारा जीवन और उसके सुख-दुःख की अभिव्यक्ति सहजता से हम कर पाते हैं।  
मातृभाषा दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग, डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में 20 फरवरी, 2020 को आयोजित निबन्ध एवं भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सान्त्वना पुरस्कार पाने वाले विद्यार्थियों को प्रभारी कुलपति प्रो. जे.डी. आही, कुलसचिव कर्नल राकेश मोहन जोशी तथा विषिष्ट वक्ता डाॅ. वेदप्रकाष दुबे ने प्रमाण पत्र एवं विजयी ट्राफी प्रदान की। प्रतियोगिताओं में विजयी रहने वाले विद्यार्थी क्रमष निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम धीरज कुमार पटेल, द्वितीय- प्रसन्न विष्वकर्मा, तृतीय- जागृति तिवारी। इसी प्रकार भाषण प्रतियोगिता में क्रमषः विकास कुमार को प्रथम, दीक्षा कुषवाहा को द्वितीय और मनीष सोनी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।  
पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर विष्वविद्यालय हिन्दी प्रकोष्ठ की पत्रिका 'भाषा भारती' और डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय पाठ्यक्रम पर आधारित 'आधुनिक भारतीय भाषा हिन्दी' की पाठ्य पुस्तक का विमोचन किया गया। 
इस कार्यक्रम में विष्वविद्यालय में कार्यरत विभिन्न भारतीय भाषा-भाषी षिक्षकों ने अपनी मातृभाषा में मातृभाषा को रोचक रूप में प्रस्तुत किया, जिनमें डाॅ. बुद्ध सिंह ने पंजाबी, डाॅ. चिटटी बाबू ने तेलगू, डाॅ.शिव शंकर  जैना ने उड़िया भाषा में अपने विचार रखे। 'मातृभाषा दिवस' के अवसर के अवसर पर विषेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। हिन्दी विभाग के तत्त्वावधान में  आयोजित इस व्याख्यान का विषय था 'षैक्षिक उन्नयन में मातृभाषा की भूमिका'। 

ये रहे उपस्थित
आयोजित कार्यक्रम में शहर के गणमान्य अतिथियों के साथ विष्वविद्यालय के वभिन्न संकायों के षिक्षक तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र के साथ बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से प्रो. सुरेश आचार्य, प्रो. उदयचन्द जैन, प्रो. डी.के. नेमा, प्रो. जी.एल. पुणताम्बेकर, प्रो. ए.एन. शर्मा, प्रो. वाई.एस. ठाकुर, प्रो. अषोक अहिरवार, प्रो. राजेष गौतम, डाॅ. रितु यादव, डाॅ. विवेकानंद उपाध्याय, डाॅ. विवेक जायसवाल, प्रो. कन्हैया त्रिपाठी, डाॅ. संजय कुमार, डाॅ. आर.पी. सिंह, डाॅ. अरविन्द गौतम, डाॅ. बबलू राय, डाॅ. लक्ष्मी पाण्डेय, डाॅ. सुजाता मिश्रा, डाॅ. अवधेष कुमार, प्रदीप कुमार सौंर, कपिल कुमार गौतम, संजय कुमार, विकास कुमार पाठक, जुगुल किषोर, नताषा इन्दुस्काया, राखी वर्मा, साधना यादव, ज्योति गिरि, आकांक्षा जैन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। 
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आषुतोष कुमार मिश्र ने किया तथा आभार डाॅ. राजेन्द्र यादव ने माना।
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