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आचार्य श्री अपने चारित्र के दम पर शिखर पर विराजित हैं-मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर

आचार्य श्री अपने चारित्र के दम पर शिखर पर विराजित हैं-मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर
सागर ।आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने लाखों करोड़ों लोगों को मार्ग प्रदर्शित किया है उनके आशीर्वाद से जैन धर्म की ध्वजा पूरे विश्व में लहरा रही है वे महामानव हैं और अपने ज्ञान के माध्यम से मोह मार्ग को अलग कर मोक्ष मार्ग की ओर सब को बढ़ा रहे हैं। यह बात भाग्योदय तीर्थ में मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। 
उन्होंने कहा कि गुरुदेव के अनंत उपकार हैं जब से वे उनके जीवन में आए हैं तो दिशा भी बदली और दशा भी बदल गई उनके आशीर्वाद से हथकरघा, चिकित्सा, सेवा, गौशालाये, पत्थरों के बड़े-बड़े जिनालय, आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अलावा अनेक प्रकल्प अहिंसा के क्षेत्र में चलते हुए लोगों को आत्मनिर्भर कर रहे हैं। आचार्य श्री युगदृष्टा है और उनका ज्ञान हिमालय की ऊंचाई से भी ज्यादा है। 
इस अवसर पर मुनि श्री  प्रशस्त सागर महाराज ने कहा कि समय की दुर्लभता को जो जानता है वह व्यक्ति मनुष्य के जन्म की दुर्लभता को जानता है जिनके गुणों के आगे शब्द भी हार मान जाते हैं ऐसे आचार्य महाराज ने एक बिहार के दौरान किसी ने कहा था कि धूप में चलने पर चेहरे के भाव अलग हैं और पेड़ के नीचे छांव में बैठने पर चेहरे के भाव अलग दिख रहे हैं तो गुरुदेव ने कहा था पेड़ के जीवन में खुशी कब आती है पेड़ सब सहन करता है और वह छाव दे रहा है उन्होंने कहा कि एक इंद्री जीव से लेकर पंच इंद्री जीव तक पूरे विश्व में भ्रमण कर रहे हैं लेकिन मनुष्य को छोड़कर बाकी जीव के जीवन का उद्देश्य क्या है यह उन्हें नहीं मालूम सिर्फ एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण कर रहे हैं मनुष्यों को मनुष्य पर्याय मिली है इसकी सार्थकता का उन्हें भान होना चाहिए परंतु मनुष्य के पास मन है इसलिए वह इस पर विचार नहीं कर पा रहा है मनुष्य जीवन को प्रमाद में खो दिया है मनुष्य जन्म दोबारा प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है वृक्ष ने आपको छांव दी है लेकिन आपने वृक्ष को क्या दिया है हमें अपनी मनुष्यता की दुर्लभता का ध्यान नहीं है आचार्य भगवन हमेशा पर के उपकार की भावनाओं के साथ सोचते हैं हर जीव के कल्याण की बात सोचते हैं वे शरीर को नहीं पर्याय को नहीं बल्कि आत्मतत्व को देखते हैं तिथि के हिसाब से 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर आचार्य श्री का 76 वां जन्मदिन है तारीख के हिसाब से आज 10 अक्टूबर को आचार्य श्री का जन्मदिन था इस अवसर पर आचार्य श्री की महा पूजन सैकड़ों लोगों ने भाग्योदय के पंडाल में की।
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