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मकर संक्रांति : क्यो मनाई जाती है और जाने क्या बदलाव आएगा राशियों पर ★ पण्डित अनिल पांडेय

मकर संक्रांति : क्यो मनाई जाती है और जाने क्या बदलाव आएगा राशियों पर

★ पण्डित अनिल पांडेय

आज के इस लेख में हम मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? इसका वैज्ञानिक और अध्यात्मिक कारण क्या है ? इसको मनाने से समाज को क्या फायदा होगा तथा 2022 में इसका सही मुहूर्त क्या है ? इन बिंदुओं पर हम चर्चा करेंगे।
वर्ष 2001, 2002 ,2005 ,2006 ,2009, 2010 ,2013 ,2004 और 2021 में 14 जनवरी को पुण्य काल होने के कारण मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई गई । वर्ष 2003 ,2004 2007 ,2008, 2011, 2012 ,2014 ,2015 ,2018 , 2019 और 2020 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया गया। परंतु इस वर्ष कुछ पंचांग  14 जनवरी को और कुछ पंचांग 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मानते हैं। इस वर्ष  भुवन विजय पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य रात के 8:40 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इसका पुण्य काल 15 जनवरी को दिन के 12:40 पर होगा। चिंताहरण जंत्री के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को 14:28 दोपहर से हो रहा है तथा इसका पूण्यकाल 14:28 बजे से सूर्यास्त तक रहेगा । पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को 2:41 दोपहर से हो रहा है । तथा इसका पुण्य काल सूर्यास्त तक रहेगा । लाला रामस्वरूप पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को 8:18 रात से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा 15 को दोपहर तक इसका पुण्य काल रहेगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से लेकर पुण्य काल समाप्त होने तक के बीच में स्नान पूजा और दान का महत्व है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लाला रामस्वरूप पंचांग और भुवन विजय पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति 15 तारीख को मनाई जाएगी तथा चिंताहरण जंत्री और पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष में विभिन्न नामों से मनाई जाती है । उत्तरी भारत में इसे मकर संक्रांति या संक्रांति कहते हैं । तमिलनाडु में इसे पोंगल तिरुनल कहते हैं । गुजरात में से उत्तरायण कहते हैं । जम्मू में इसे उत्तरण कहते हैं । कश्मीर घाटी में से शिशुरू संक्रांत कहते हैं । हिमाचल प्रदेश और पंजाब में से माघी  कहते हैं । असम में इसे बिहु कहा जाता है  पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी का त्यौहार कहते हैं । बांग्लादेश में से पोष संक्रांति नेपाल में खिचड़ी संक्रांति थाईलैंड में सोंगकरन , लाओस में पिमालाओ और श्रीलंका में पोंगल कहते हैं ।

मकर संक्रांति के दिन कई घटनाएं होती हैं:-

1-सूर्य धनु राशि में से मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
2-सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं।
3- दिन के बढ़ने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
4- देवताओं के दिन और राक्षसों की रात प्रारंभ हो जाती है।
5-खरमास समाप्त हो जाता है और सभी शुभ कार्य जैसे शादी ब्याह मुंडन जनेऊ नामकरण प्रारंभ हो जाते हैं।

अधिकांश स्थानों पर मकर संक्रांति पर खाने की विशेष परंपराएं हैं । जैसे कि कुछ स्थानों पर तिल और गुड़ के पकवान बनाए जाते हैं । कहीं पर तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं । कुछ स्थानों पर खिचड़ी बनाकर खाया जाता है।
जाड़े के दिनों में शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है । गुड़ और तिल में गर्मी की मात्रा ज्यादा होती है । अतः मकर संक्रांति को गुड़ और तिल का खाना आवश्यक बताया गया है ।
मकर संक्रांति के दिन अधिकांश स्थानों पर पतंग उड़ाने की  प्रथा होती है ।  इसके अलावा कुश्ती की प्रतियोगिताएं भी विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाती हैं।
पंजाब में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है । मकर संक्रांति के 1 दिन पहले जब सूरज ढल जाता है तब बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं । लोग सज धज कर अलाव के पास पहुंचते हैं । भांगड़ा नृत्य करते हैं और अग्नि में मेवा तेल गजक आज की आदि का हवन करते हैं तथा प्रसाद वितरण होता है।
मकर संक्रांति पर नदियों के किनारे बड़े बड़े मेले लगते हैं जैसे कि इलाहाबाद प्रयाग में लगने वाला माघ मेला बंगाल में लगने वाला गंगासागर का मेला । मध्यप्रदेश में मकर संक्रांति के दिन नर्मदा जी के तट पर भी कई स्थानों पर मेले लगते हैं जैसे जबलपुर बरमान आदि ।
इन नदियों में स्नान के उपरांत लोग तिल गुण खिचड़ी फल एवं राशि अपने शक्ति के अनुसार दान करते हैं।

सूर्य का मकर राशि में गोचर

सूर्य देव 14 जनवरी 2022 को धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे । इसी दिन मकर संक्रांति का त्यौहार भी मनाया जाएगा। सूर्य देव उत्तरायण होंगे और दिन का बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा।
मकर राशि में वर्तमान में शनि और बुध पहले से विराजमान है । सूर्य का 14 जनवरी  को मकर राशि में प्रवेश हो रहा है । जिसके कारण 16 जनवरी से 31 जनवरी तक बुध अस्त रहेगा । इसके अलावा 24 जनवरी से 27 फरवरी तक शनिदेव भी  अस्त रहेंगे । इस प्रकार से 16 जनवरी से 30 जून तक बुध का प्रभाव कम रहेगा और 24 जनवरी से 27 फरवरी तक शनिदेव के प्रभाव में कमी आएगी।

आइए अब हम सूर्य के इस गोचर का विभिन्न राशियों के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हैं।

मेष राशि के जातकों का प्रभाव:

मेष राशि की कुंडली में सूर्य पांचवे भाव का स्वामी होता है। पंचम भाव से जातक के पुत्र और शिक्षा की विवेचना की जाती । वर्तमान में सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर वह मेष राशि के दशम भाव में होगा जहां का वह कारक भी है।  यहां पर यह अपने शत्रु राशि में है अतः कमजोर रहेगा परंतु कारक भाव में रहने के कारण अच्छे फल देगा । इस प्रकार मेष राशि के जातकों को राज्य की तरफ से हर प्रकार के लाभ मिल सकते हैं । शिक्षा के संबंध में अच्छे फल प्राप्त होने की उम्मीद कम है।
उपाय :-किसी मंदिर में रविवार के दिन तिल का दान दे।

वृष राशि के जातकों पर प्रभाव:-

वृष राशि के जातकों की कुंडली के गोचर में सूर्य नवम भाव में रहेंगे तथा चतुर्थ भाव के स्वामी होंगे । नवम भाव में होने के कारण लंबी यात्रा का योग बन सकता है । चतुर्थ भाव में होने के कारण जातक के सुख में कमी आएगी । इस प्रकार हम कह सकते हैं इस अवधि में वृष राशि के जातकों को लंबी यात्रा करनी पड़ेगी । और यात्रा के दौरान हमको परेशानियां भी हो सकती हैं।
उपाय:- भगवान सूर्य को प्रातः काल मंत्रों के साथ विधिवत जल अर्पण करें।

मिथुन राशि के जातकों पर प्रभाव

यहां पर सूर्य अष्टम भाव में रहेंगे जो कि मृत्यु का भाव है तथा तृतीय भाव के स्वामी होंगे । अष्टम भाव में क्रूर ग्रह अच्छे माने जाते हैं । इस प्रकार इस अवधि में मिथुन राशि के जातकों को सतर्क रहना चाहिए । जिससे कि किसी भी प्रकार के दुर्घटना से वह बच सकें । मिथुन राशि वालों को व्यर्थ के बाद विवाद से भी बचना चाहिए ।अन्यथा उनको बाद विवाद से  नुकसान हो सकता है।
उपाय:-आपको चाहिए कि आप सूर्याष्टकम का पाठ करें ।

कर्क राशि जातकों पर प्रभाव

कर्क राशि के जातकों के कुंडली के गोचर में इस अवधि में सूर्य सप्तम भाव में रहेंगे और द्वितीय भाव के स्वामी रहेंगे । शनि के अस्त होने की अवधि में अगर आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब है तो वह ठीक होने लगेगा । इसके अलावा व्यापार में आपको परेशानी आ सकती है ।तथा धन की आवक में कमी आएगी।
उपाय:-सफेद रंग के अकौआ के पेड़ पर रविवार को प्रातः काल जल अर्पण करें।

सिंह राशि के जातकों पर प्रभाव

सिंह राशि के स्वामी सूर्य स्वयं होते हैं। इस अवधि में सूर्य आप के छठे भाव में रहेंगे था लग्न के स्वामी होंगे। आपके शत्रु को इस समय नुकसान होगा परंतु नए शत्रु बनेंगे । आपका स्वास्थ्य इस अवधि में ठीक रहेगा। 
उपाय:-आपको चाहिए कि आप रविवार को गुड़ की मिठाई गरीबों को बांटे।

कन्या राशि के जातकों पर प्रभाव

कन्या राशि के जातकों की कुंडली के गोचर में सूर्य इस समय पंचम भाव में रहेंगे तथा द्वादश भाव के स्वामी होंगे सूर्य पंचम भाव में होने पर इनकी दृष्टि एकादश भाव पर होगी और यह धन-धान्य में वृद्धि करेंगे । इस प्रकार कन्या राशि वालों के लिए सूर्य का प्रभाव उत्तम रहेगा।
उपाय:-अपने माता पिता के प्रतिदिन चरण स्पर्श करें।

तुला राशि के जातकों पर प्रभाव

तुला राशि के जातकों के कुंडली के गोचर में इस अवधि में सूर्य चतुर्थ भाव में रहेगा । यहां पर यह माताजी को कष्ट देगा । जातक को अपने कार्यालय में प्रमोशन भी दे सकता है । तुला राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य एकादश भाव का स्वामी होता है । इस कारण यह धन दिलाने में कम मदद कर पायेगा ।
उपाय:-आप माणिक्य पहनना चाहिए।

वृश्चिक राशि के जातकों पर प्रभाव
वृश्चिक राशि के जातकों के कुंडली के गोचर में इस अवधि में सूर्य तृतीय भाव में रहेगा । जिसके कारण आपके भाई बहनों को कष्ट होगा । भाग्य से आपको अच्छी मदद मिलेगी । यहां पर यह राज्य भाव का स्वामी होता है अतः राज्य में भी आपको उन्नति दिलाएगा ।
उपाय:-आपको विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना चाहिए।

धनु राशि के जातकों पर प्रभाव
इस अवधि में सूर्य आपके द्वितीय भाव में रहेगा । जहां पर यह आपको धन दिलाने का कार्य करेगा। शत्रु की राशि में होने के कारण यह आपको अधिक धन नहीं दिला पाएगा। द्वितीय भाव के  सूर्य की सीधी दृष्टि अष्टम भाव पर होगी । जिसके कारण आप एक्सीडेंट से बचोगे। भाग्य भाव का स्वामी होने के कारण आपको भाग्य से मदद मिलेगी।
उपाय:-आपको आदित्य हृदय स्त्रोत का जाप करना चाहिए।

मकर राशि के जातकों पर प्रभाव
लग्न में शत्रु राशि का सूर्य आपके स्वास्थ्य को खराब करेगा । आपको इस अवधि में मानसिक कष्ट हो सकता है । आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य इस अवधि में ठीक रहेगा ।आपकी कुंडली में  सूर्य अष्टम भाव का स्वामी है अतः इसके  कारण आप दुर्घटनाओं से बचेंगे।
उपाय:- आप को गरीब लोगों के बीच तिल और लड्डू का दान करना चाहिए।

कुंभ राशि के जातकों पर प्रभाव
द्वादश भाव में शत्रु भाव का सूर्य आप के लिए लाभदायक होगा । कचहरी के कार्यों में आपको सफलता मिल सकती है । शत्रु आपको थोड़ा परेशान करेंगे । मगर अगर आप प्रयास करेंगे तो आपके शत्रु आप से हार जाएंगे । आपकी कुंडली में सूर्य सप्तम भाव के स्वामी हैं । आपके जीवन साथी को सूर्य के कारण विभिन्न सफलताएं प्राप्त होंगी ।
उपाय:-आपको विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना चाहिए।

मीन राशि के जातकों पर प्रभाव

मीन राशि के जातकों की कुंडली के गोचर में सूर्य इस अवधि में एकादश भाव में रहेंगे । इसके कारण मीन राशि के जातकों को धन प्राप्ति होगी । शिक्षा के क्षेत्र में भी आपकी उन्नति होगी । आपके पुत्र पुत्री आपसे विशेष सहयोग करेंगे । आपकी कुंडली में सूर्य छठे भाव के स्वामी होते हैं । सूर्य को औषधियों का संरक्षक भी माना जाता है अतः रोग में भी आपको सूर्य के कारण लाभ प्राप्त होगा।
उपाय:-आप को हनुमान जी को या देवी जी को गुड़ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
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