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श्री शिवाय नमस्तुभयम के उद्घोष से गूंजा पंडाल★ दु:ख, तकलीफ के निवारक है भगवान भोलेनाथ: पंडित प्रदीप मिश्रा★शिव मंदिरो में मशीनों से बजने वाले नगाड़े बन्द करे★परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने लिया आशीर्वाद

 श्री शिवाय नमस्तुभयम के उद्घोष से गूंजा पंडाल

★ दु:ख, तकलीफ के निवारक है भगवान भोलेनाथ: पंडित प्रदीप मिश्रा

शिव  मंदिरो में मशीनों से बजने वाले नगाड़े बन्द करे

★परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने लिया आशीर्वाद


सागर।  शिव का मंदिर कभी बंद नहीं होता, उसमें कपाट (दरवाजे) नहीं होते, क्योंकि भगवान शिव में कपट नहीं है। जिस  तरह माता-पिता के कमरे के दरवाजे अपने बच्चों के लिए कभी बंद नहीं होते, उसी प्रकार भगवान शिव और पार्वती के मंदिर का दरबार हमेशा अपने भक्तों के लिए खुला रहता है। शिव कहते हैं कि जब भी आपके जीवन में दुख, तकलीफ, कष्ट, समस्या हो मेरे पास कभी भी दौड़े चले आओ जीवन का सुख प्राप्त हो जाएगा। भगवान शंकर की चौखट पर जाकर मिला सुख, आनंद साधारण नहीं हो सकता।   उक्त  रसमयी वचन पंडित प्रदीप मिश्रा( सीहोर वालों) ने पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम परिसर में ओम श्री शिव महापुराण की कथा का श्रद्धालुओं को श्रवण कराते हुए तीसरे दिन व्यक्त किए।
 पंडित  श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान भोलेनाथ ने यदि मनुष्य तन दिया है तो इसे आप कर्म के साथ कीर्तन, भजन, प्रभु   स्मरण में लगाएं। 84 लाख योनि काटने के बाद यह तन मिला है। जब हम अन्य योनियों में रहे तो यह ज्ञात नहीं रहा कि भजन करें या ना करें । तन की कीमत भी समझ  नही आई। लेकिन जब मनुष्य जीवन मिला तो इस काया की कीमत समझ में आई । शरीर से निकलने वाली श्वास  को मनुष्य समझ सकता है, लेकिन इन श्वासो को कहां लगा रहे हो, क्या कर रहे हो यह आपको पता है।  यदि इसमें जितनी भी श्वासों  को भगवान भोलेनाथ को, कथा को दे रहे हो उसकी कीमत भगवान को पता है। उन्हीं श्वासों की सार्थकता है जो प्रभु स्मरण में लगी है। 


कार वाली नहीं,संस्कार वाली बहू लाना=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि लोग आजकल बेटों को बेचने में लगे हैं और संस्कार की जगह कार को महत्व दे रहे हैं और फिर उसके बाद कोने में बैठ कर रो रहे हैं। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि घर में यदि बहू लाना तो कार वाली नहीं, संस्कार वाली लेकर आना जो तुम्हें दो रोटी बना कर दे सके, तुम्हारी सेवा कर सके।  कार वाली बहू दर्पण नहीं छोड़ेगी और संस्कार वाली तुम्हे नहीं छोड़ेगी। सेवा भी करेगी कथा भी सुनवाएगी।  कार भले ही कबाड़ हो जाएगी पर बहू का रुतबा रहेगा और यदि संस्कार वाली लाए तो बहु  तुम्हारा रूतवा कम नहीं होने देगी ।इसलिए भोलेनाथ से हमेशा प्रार्थना करना कि लड़के की शादी में धन मिले ना मिले पर बहू संस्कारी जरूर मिले ।

समय खराब है यह  बात करना गलत

पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने कहा कि लोग अक्सर कहते रहते हैं कि बहुत खराब समय आ गया है। कितने पाप हो रहे हैं, कितने अपराध हो रहे हैं ।समय खराब होने की चर्चा पीढ़ी दर पीढ़ी होती आ रही है। लेकिन समय कभी अच्छा नहीं आया ।उन्होंने कहा कि चार युग में से कोई युग ऐसा नहीं जिसमें समय खराब ना रहा हो । सभी युग में राक्षस,दैत्य, दानव और देवता रहे हैं । यदि विष्णु थे तो हिरण कश्यप था, यदि राम थे तो रावण भी था और कृष्ण थे तो कंस भी था। अब कलयुग में यदि पाप है तो भक्ति और मुक्ति के लिए भोलेनाथ भी हैं। इसलिए समय खराब नहीं होता समय को खराब करने वाले होते हैं और उनसे मुक्ति के लिए के  शिव भक्ति सच्चा साधन है।

अच्छी संगत में बैठोगे तो अच्छा फल मिलेगा

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हर कोई चंदन का पेड़ नहीं हो सकता कि उस पर भुजंग सर्प लिपटे रहे और कोई असर ना पड़े ।अब कुसंगति  का असर जल्दी हो जाता है ।अच्छी संगत में अच्छा फल मिलेगा। उन्होने कहा कि राहु असुर था समुद्र मंथन के समय वह असुरों के साथ था समुद्र मंथन के बाद वह समझ गया और असुरों का साथ छोड़कर देवताओं के बीच बैठ गया। जब अमृत बँटा तो राहू को भी मिल गया ।तब भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया ।राहुल को इसके दो फायदे हुए एक तो वह मोक्ष को प्राप्त हुआ दूसरा उसे नवग्रह में पूजा जाने लगा और देव बन गया। उन्होंने बेटा बेटियों से आग्रह किया कि हमेशा ऐसी संगत करना जहां तुम्हारे साथ माता-पिता का मान भी बढे। बेटा, बेटियां, नवयुवक यदि अच्छी संगत करेंगे, भक्ति, ध्यान, मंत्र जाप करेंगे तो सनातन धर्म मजबूत रहेगा। हमारी संस्कृति भी जीवित रहेगी।

मन का विषय, विकार मिटा कर भक्ति में लगाएं=

पंडित प्रदीप मिश्रा ने जिस तरह कंडा या गोबर गीला होने पर जल नहीं सकता उसी तरह मन भी है। यह मन, काम ,मोह ,विषय, आसक्ति, अहंकार में गीला पड़ा है तो इसमें परमात्मा, साधना, भक्ति की ज्योत कैसे जल सकती है। आपको यदि भगवान भोलेनाथ को पाना है तो काम, मोह को सुखाना,त्यागना होगा। भगवान शंकर के मंदिर कभी दिखावे के लिए मत जाना वहां दिल से जाना और मोह ,माया त्याग कर जाना जब विश्वास भरोसा लेकर जाओगे, दिल से पुकारोगे तो भूतेश्वर भगवान जरूर सुनेंगे।

भूमि,संस्कार का भी विशेष महत्व=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की आप किस जगह भक्ति, पूजन कर रहे हैं इसका भी महत्व रहता है । जमीन में यदि दोष है तो उसको पवित्र करने का प्रयास करें।  आप देखते हैं कि आप किसी घर में रहते हैं अचानक क्रोध आ जाए, लड़ाई- झगड़ा होने लगे, अपशब्द निकलने लगे और जब बाहर आए तो सब  माहौल सुखद और शांति पूर्ण हो जाए तो समझना कुछ दोष है। उस घर को शांति मय सुखद बनाने के लिए शिव भक्ति पूजन जरूरी है। घर सुंदर है, वैभव है, धन है, परंतु शांति नहीं है तो बंगला, गाड़ी शोभा नहीं देती। परिवार में बेटा, बेटियां संस्कारवान  हो, शांति का वातावरण हो तो वह घर, भूमि गरीबी के लिए भी मान्य है। लोग संस्कारो  की  चर्चा करते हैं। भक्ति रहेगी तो संस्कार रहेंगे और जिस भी भूमि पर रहोगे शांति रहेगी।

घमंड मत करना कि सब तुम कर रहे हो=

प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोगों को इस बात का बड़ा घमंड रहता है कि सब हम कर रहे हैं ।आपको जो कुछ भी मिले तो यह मत समझना कि यह तुम्हारे ही भाग्य का फल है। जिस कन्या से आपका विवाह हुआ है, गठजोड़ हुआ है। वह अर्धांगिनी होती है। सुख-दुख साथ बांटती है। वह आपकी धर्मपत्नी होती है जो साधना, तप,व्रत करती है और उसका फल आपको मिलता है और तमाम कष्टों से आप बचते हैं। जीवन में कभी यह विचार मत करना कि मेरे अकेले भाग्यका फल है।

भगवान से बार-बार मांगों, चलते फिरते भजन करो=

प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोग कहते हैं कि भगवान से क्या मांगना वह तो खुद देगा, लेकिन शिवपुराण कहती है कि भगवान को बार बार पुकारोगे, मांगोगे  तो उसे देने में आनंद आता है। जिस तरह  जब बच्चा मां को बार-बार रोटी के लिए पुकारता है तो मां को बच्चों के शब्दों में आनंद आता है। उसी  प्रकार भगवान को पुकारोगे तो उसे भी आनंद आएगा और वह सुनेगा भी। इसी तरह मंत्रोच्चार,भजन, कीर्तन चलते फिरते भी कर सकते हैं। बस मन में श्रद्धा, भक्ति का भाव होना चाहिए और फिर भगवान भोलेनाथ तो शक्कर की तरह है जब भी उनको पुकारोगे मन मीठा ही करेंगे।
तीन अंगुली घुमाने से भी होती शिवलिंग पूजा=

पंडित प्रदीप मिश्र ने कहा कि जो पार्थिव शिवलिंग निर्माण नहीं कर पाते वह यदि भगवान शिवलिंग पर त्रिपुंड रूपी तीनअंगुली भी घुमा देँ तो वह  पूजा पार्थिव शिवलिंग की पूजा के समान होती है ।गर्भवती स्त्री को भगवान शिव की पूजा की कहीं कोई मनाही नहीं है। यदि कोई  विशेष कामना, इच्छा हो तो भगवान शिव पर चंदन के साथ चावल के 108 दाने चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

शिव  मंदिरो में मशीनों से बजने वाले नगाड़े बन्द करे=
मिश्रा ने कहा कि आजकल परंपराएं बदल गई हैं मंदिरों में घंटा झालर बजाने वालों की कमी पड़ गई है। मंदिरों में अब आरती के समय घंटा झालर मशीनें बजाती हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि मंदिरों में आरती के समय अवश्य जाएं। अपने बच्चों  को आरती में शामिल कराएं और घंटा,झालर,डमरू बजाएं।पशुपतिनाथ का व्रत करने वाले श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि शिव मंदिर में डमरु, मजीरा,  झालरेँ दान करें और आरती के समय अवश्य बजाएं ।मशीनों की परंपरा को उन्होंने बंद करने का आह्वान किया।

ठाकुर जी ने सुनीशिव पुराण कथा=
शिव पुराण कथा में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। डोली में रखें ठाकुर जी कृष्ण भगवान की मूर्ति भी एक श्रद्धालु के सिर से दूसरे श्रद्धालु के सिर पर पहुंच रही थी। ठाकुर जी की मूर्ति को गोपालगंज निवासी श्रीमती अंजू ,बबली, लक्ष्मी केशरवानी अपने साथ लेकर श्री ओम शिव महापुराण कथा सुनाने के लिए लाए थे ।जिन्हे श्रद्धालु अपने सिर पर रख कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे थे।श्रीमती अंजू ठाकुर जी को वृंदावन धाम से लाई हैं।


शिव पार्वती की महिमा एवं विवाह का वर्णन=

प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पाने के लिए की गई तपस्या एवं उनका अप॔णा नाम होने के कारणों का विस्तार से वर्णन किया। कथा उपरांत भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। विवाह उपरांत प्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, श्रीमती सविता राजपूत एवं  यजमान श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी, सरोज राजेश केशरवानी, काजल मोहन केशरवानी, श्रीमती शिल्पी,  स्वप्निल, अनिमेष केशरवानी ने  भगवान की आरती की । इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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