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संस्कृत से आयुर्वेद ही नही विश्व का ज्ञान प्राप्त हो सकता है:कप्तान सिंह सोलंकी

संस्कृत से आयुर्वेद ही नही विश्व का ज्ञान प्राप्त हो सकता है:कप्तान सिंह सोलंकी

भोपाल।संस्कृत भारती द्वारा आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए मेपकास्ट विज्ञान भवन में एक दिवसीय कार्यशाला समाधानम २०२० का आयोजन किया गया है।कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अध्यक्षता प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी पूर्व राज्यपाल एवं राज्यसभा सांसद ने की। उन्होंने कहा कि संस्कृत से न केवल आयुर्वेद का ज्ञान अपितु विश्व का ज्ञान भी प्राप्त करसकते है। मुख्यवक्ता के रूप में श्री श्रीश: देवपुजारी अखिल भारतीय महामंत्री संस्कृत भारती  ने बताया कि संस्कृत आत्मा की भाषा है। आयुर्वेद जीवन की। जीवन एवंआत्मा की कडी संस्कृत है अतः संस्कृत को अपनाना हमारे कर्तव्य है। विशिष्ट अतिथिके रूप में डॉ. टी.एन. दुबे कुलपति आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने बतायाआयुर्वेद एवं संस्कृत के विकास हेतु विश्वविद्यालय सदैव सहयोग केलिए तत्पर रहेगा। डॉ. सुरेन्द्र तिवारी ,नई दुनियाभोपालने बताया आयुर्वेद के मूल अर्थ समझने हेतुसंस्कृत की आवश्यकता है । डॉ. आर. के.चौरसिया कुलसचिव एल एन मेडिकल विश्वविद्यालय भोपाल) संचालक मंण्डल के अध्यक्ष ने अपने स्वागत भाषण में आयुर्वेद एवं संस्कृत के सम्बन्धो बताया। कार्यशाला को चार सत्रों में विभक्त किया गया हैजिनमें आयुर्वेदिक शिक्षा में संस्कृत का महत्व , एक अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक कैसेबने. वर्तमान में इस क्षेत्र में क्या-क्या अवसर संभावनाएं हैं. जिज्ञासा समाधान एवं अन्यविषयों पर भी सम्बंधित विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया । विज्ञान कीसंस्कृत प्रदर्शिनी भी लगाई गई थी। इस कार्यक्रम में भोपाल महानगरों के आयुर्वेद के500 विद्यार्थि  थे। आयुर्वेद महाविद्यालयों के समस्त छात्र/छात्राओं के लिए यहकार्यशाला जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में अत्यंत प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

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