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समाज में माताओं से ही संस्कृति व संस्कार का ज्ञानोदय - निधि जैन, सम्पादक दैनिक आचरण

समाज में माताओं से ही संस्कृति व संस्कार का ज्ञानोदय - निधि जैन, सम्पादक दैनिक आचरण

सागर। समाज में पश्चिमी सभ्यता के द्वारा फैलाई जा रही विकृति के कारणों से समाज में सेवा कार्य समाप्त होकर जनमानस उन्माद की ओर बढ़ रहे हैं । जनमानस को सही दिशा व मार्गदर्शन हेतु विद्या भारती योजना के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिरों में मातृशक्ति सम्मेलन के द्वारा माता समाज को किस प्रकार दिशा प्रदान करती है।  सरस्वती शिशु मंदिर 
मोतीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में 
मुख्य अतिथि  दैनिक आचरण की सम्पादक श्रीमती निधि जैन ने कहा कि समाज में माताओं के द्वारा ही संस्कृति व संस्कार का ज्ञानोदय हो सकता है । मां ही हमारी प्रथम पाठशाला होती है जो समाज का परिचय कराती है । मातृशक्ति अपने नौनिहालों को उसी तरह सम्हालती है जिस तरह बगीचे में माली पौधों को सम्हाल कर पुष्पों के माध्यम से सुगंध वायुमंडल में विस्तारित किया करती है ।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती निधि जैन समाज सेवी व संपादक आचरण , कार्यक्रम अध्यक्षता श्रीमती वंदना गुप्ता सचिव शिशु मंदिर एवं विशिष्ट अतिथि अंजली दुबे सहायक प्रोफेसर रही। कार्यक्रम के पूर्व अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के समक्ष पूजन अर्चन मंत्रोचार के साथ किया गया तदोपरांत सरस्वती वंदना बहिन मेघा प्रजापति, योगिता ठाकुर,माही दांगी ने वाद्य यंत्रों के साथ की । अतिथि परिचय श्रीमती कांति चौकसे एवं स्वागत श्रीमती सिया दुबे ने किया ।महिलाओं के उत्थान एवं शोषण से बचाव हेतु महिलाओं का संगठन होना अति आवश्यक होना चाहिए इस पर सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की योजना का विस्तार पर जानकारी श्रीमती कांति चौकसे ने दी ।
अंजली दुबे ने कहा कि नारी प्रथम है क्योंकि यही जननी है जो लक्ष्मी बनकर परिवार को सम्हालती है वहीं दुर्गा के रूप में कष्टों का विनाश करती है वहीं किसी न किसी रूप में हमारे रिश्ते को धारण कर निभाती है । महिलाओं का संगठन अपने अधिकारों के प्रति किया क्योंकि बिना विरोध के अपनी बात एवं हिस्सेदारी को लेकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
श्रीमती वंदना गुप्ता ने कहा कि नारी के रूप अनेक होते हैं जिनके आधार पर ही वह अपने कार्य को समाज के समक्ष प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा को पहचान कराती है । मां बनकर परिवार के साथ नौनिहाल को समाजिक जीवन में अग्रसर करती है ।

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बहिन सृष्टि प्रजापति एवं दीक्षा कोरी ने मां मुझे आंचल में छुपा ले पर गीत जिसमें बहिन हीरल सोनी द्वारा श्रीकृष्ण का रुप धारण किया गया तदोपरांत धानी चुनरिया पर नृत्य की भूमिका चेष्टा प्रजापति व अंगुली पकड़कर चलना सिखाया पर नृत्य तृप्ति दीक्षित ने कर माताओं की वाहवाही बटोरी। अंग्रेजी भाषा में 18 बहिनों एवं 2 भैया के द्वारा वार्तालाप में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर अतिथियों द्वारा उत्साहवर्धन हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये इन्हें अंग्रेजी भाषा का प्रशिक्षण महेश तिवारी द्वारा प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि निधि जैन द्वारा महाशिवरात्रि पर्व  विदाई  पर   प्रसाद वितरण किया गया।
कार्यक्रम  पं.विनोद दुबे प्राचार्य व बाबूलाल सेन प्रधानाचार्य के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ । कार्यक्रम में मनोज नेमा मीडिया प्रभारी, स्वदेश तिवारी, हेमराज सिंह ठाकुर, संजय चौरसिया, धर्मेन्द्र सेन, अशोक पटेल, रामबाबू पाराशर, सोमकांत श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार ठाकुर, हरिशंकर दुबे,श्रीमती कविता बाजपेयी, श्रीमती मनीषा चौरसिया,श्रीमती वंदना कुशवाहा, श्रीमती वर्षा साहू, श्रीमती वर्षा पटेल, श्रीमती नेहा सैनी, अनुजा प्यासी दीप्ति प्रजापति व सरस्वती शिशु मंदिर के समस्त आचार्य बंधु/भगिनी उपस्थित थे ।
           
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