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नौरादेही में बाघिन कैमरे में कैद हुई अपने तीन शावकों के साथ

नौरादेही में बाघिन कैमरे में कैद हुई अपने तीन शावकों के साथ
सागर। सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य के कर्मचारियों ने अपनी गश्त के दौरान कैमरा के डेटा की चेकिंग की तो उन्हें एक ऐसा चित्र मिला जिसकी तलाश उन्हें पिछले कई महीनों
थी. बाधिन अपने 3 शावकों के साथ !
उप वन संरक्षक (वन्यप्राणी)रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश के 8 टाइगर रिजर्स एवं अन्य वन क्षेत्रों में कुल मिलाकर 526 बाघों का आकलन 2018 में किया गया है। वर्ष 2014 में प्रदेश में 306आंकलित थे। निःसंदेह प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है और इस दृष्टि से जंगल मेंविभागीय कैमरा ट्रेप्स में बार्चा के चित्र आना सामान्य सी बात है। नोरादेही में बाधिन के शावकों की  के लिए। किन्तु विगत कई माह से प्रयासरत नौरादेही प्रबंधन के लिये यह अत्यंत खास और गौरवकी बात है।
 नोरादेही अभ्यारण में ऐसे बढ़ा कुनबा
नौरादेही अभयारण्य मध्य प्रदेश के सागर, दमोह एवं नरसिंहपुर जिले में अवस्थित है।900 वर्ग कि.मी. से बड़े क्षेत्रफल वाले इस अभयारण्य में तेन्दए, नीलगाय चीतल,लकडब्घहे ,भालू आदि प्रजातियों के वन्यप्राणी बहुतायत से पाये जाते हैं किन्तु लगभग कान्हा के क्षेत्रफल के बराबार
क्षेत्रफल वाले इस अभयारण्य में विगत कई वर्षों से बाघों की उपस्थिति नहीं थी। विगत वर्षों
नौरादही अभयारण्य को एक श्रेष्ठ वन्यप्राणी रहवास क्षेत्र के रूप में विकास करने के सतत् प्रयासकिये जा रहे हैं। ग्रामों का पुनर्स्थापन, जल स्रोतों का विकास, मैदानों का विकास और अ
समस्त प्रबंधकीय उपाय जो किसी वन क्षेत्र को श्रेष्ठ वन्यप्राणी आवास बनाते हैं ।वे विगत वर्षों
नौरादेही में किये गये हैं। इन्हीं प्रयासों के अंतर्गत और नौरादेही अभयारण्य को परिपूर्णता प्रद
करने की दृष्टि से अप्रैल 2018 के नौरादेही अभयारण्य में एक नर एवं एक मादा बाघिन लाकर छोड़े गये थे। नर बाघ को पहचान के लिये N-2 नाम दिया गया और मादा को N-1 | नएआवास में सहज होने में इन बाधों को कुछ समय लगा और कुछ अवधि के उपरांत मादा बाघ ने वर्ष 2019 में 3 शावकों को जन्म दिया। पहले पन्ना और फिर नौरादेही अभयारण्य में बाधों  को बसाना और उन बाघों के द्वारा अपनी वंश वृद्धि करना प्रदेश के लिये अत्यंत गौरव एवं हर्षकारण बना।
बांधवगढ़ का बाघ
इस तथ्य के कारण यह गौरव और हर्ष कई गुणा बद जाता है कि बांधवगढ़ से लाया ।नर बाघ तो पूर्णतः प्राकृतिक परिवेश में पला बढ़ा बाघ था जबकि मादा बाघिन जंगली परिस्थितियों से इतर एक 35 हेक्टेयर के बाड़े में पली बढ़ी थी।  जो नौरादेही अभयारण्य में छोड़ी।बाघिन पेंच टाइगर रिजर्व की प्रख्यात बाधिन नाला बाघिन की पुत्री है। जिसे उसकी मां की मौत के उपरांत लगभग 3 माह की आयु से ही कान्हा के घोरेला इन्क्लोजर में लालन-पालन कियागया था। लगभग 2 वर्ष घोरेला इन्क्लोजर में रहने उपरांत 2 वर्ष 3 माह की उम्र में उसे नौरादेहीमें छोड़ा गया था एवं उसने वर्ष 2019 में 3 शायकों को जन्म दिया था। खुद मानवों के द्वारा परवरिश पाई बाधिन द्वारा अपने तीनों शावकों का एक अनुभवी जंगली बाघिन के जैसालालन-पालन करते हुए इस आयु तक ला पाना एक बड़ी उपलब्धि है। उक्त बाधिन अपीने शावकों की सुरक्षा के लिये अत्यंत सजग है। इसी कारण से विगत अवधि में तमाम प्रयासोंबाद भी उक्त शावकों के चित्र नौरादेही प्रबंधन को नहीं मिल पा रहे थे। जनवरी प्रथम सप्ताहशायकों के मिले चित्र से स्पष्ट होता है कि तीनों शावक पूर्णतः स्वस्थ हैं और अपनी मां से जंगली जीवन में सफलता के गुर सीख रहे हैं।

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