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कुशल शिक्षक ही नही कर्मकांडी पंडित भी थे भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी

कुशल शिक्षक ही नही कर्मकांडी पंडित भी थे भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी

सागर । पण्डित भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी शास्त्री पुण्य स्मृति समारोह का आयोजन  संस्कृत महाविद्यालय धर्मश्री में  सभागार में समाज सेविका डॉ मीना ताई पिम्पलापुरे   की अध्यक्षता तथा पूर्व सांसद  लक्ष्मी नारायण यादव के मुख्यातिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन तथा सरस्वती वन्दना से हुआ।
    पूर्व सांसद  लक्ष्मी नारायण यादव ने तिवारीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे समाज के जिस श्रेणी के व्यक्ति से मिलते थे उसी के अनुरूप सहजता से वर्ताव करते थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही मीना ताई ने श्री तिवारी जी के विराट व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए बताया कि तिवारीजी मेरे समस्त पारिवारिक कार्यक्रमों के हिस्सा हुआ करते थे। उनका हमारा पारिवारिक संबन्ध सदैव बना रहा। समारोह में सागर विधायक शैलेन्द्र जैन ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति देकर शास्त्री जी को याद किया।
           इस मौके पर  शुकदेव तिवारी ने बताया कि तिवारी जी ने संस्कृत महाविद्यालय के छात्र रहे।फिर इसी महाविद्यालय के मंत्री भी रहे।कुशल शिक्षक रहते हुए वे कर्मकाण्ड के अच्छे पण्डित बने रहे।ज्योतिष में भी वे सिद्धहस्त थे।समाज में उनकी न केवल अच्छे पण्डित के रूप में प्रतिष्ठा थी वरन वे समाज के हर वर्ग के लोगों से प्रेम से मिलते थे। उनके व्यक्तित्व पर पण्डित जे पी पाण्डेय ने उन्हें अच्छा पण्डित, अच्छा मित्र, सहज, सरल, मिलनसार अध्ययनशील व्यक्ति बताया।पण्डित शम्भू दयाल पाण्डे ने उन्हें अच्छा वरिष्ठ साथी/सहपाठी बतलाते हुए श्रद्धाञ्जलि दी।पेंशनर समाज के अध्ययक्ष जे.पी.पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।समारोह के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता  चतुर्भुज सिंह को उनके सामाजिक सरोकारों तथा कृतित्व के लिए सम्मानित किया गया।ज्ञातव्य है कि चतुर्भुज सिंह के अथक प्रयासों से ही सागर में तीनबत्ती पर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ सर हरि सिंह गौर की प्रतिमा स्थापित हुई।के के सिलाकारी जी ने भी तिवारीजी के व्यक्तित्व पर  प्रकाश डालते हुए उन्हें संस्था का निष्ठावान मंत्री बताया।प्रोफेसर सुरेश आचार्य ने तिवारी जी को अपनी प्रथम कक्षा का शिक्षक बतलाते हुए चतुर्भुज सिंह जी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की।उन्हें आचार्यजी ने एक खुशनुमा शिक्षक बताया। इसके उपरांत नगर के व्यवसायी सुरेश सेठ ने भी तिवारीजी के साथ दादा डालचन्द जी के सम्बन्धों को स्मरण करते हुए श्रद्धाञ्जलि दी। 
       अंत में ब्रह्मलीन तिवारीजी के सुपुत्र अवधेश तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया। समारोह का संचालन मणिकांत चौबे ने किया। इस अवसर पर योगाचार्य  विष्णु आर्य, उमा कान्त मिश्र,रमेश दुबे, वैद्य घनश्यामजी आर.के.तिवारी,डा.भुवनेश्वर तिवारी, वासुदेव द्विवेदी, टी.आर.त्रिपाठी, गिरीश कान्त तिवारी, पूरनसिंह राजपूत,एम.डी.त्रिपाठी,डा.महेश अग्निहोत्री,स्व.तिवारी के परिजन व संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य व विद्यार्थियों की उपस्थित थे।
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