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संवाद पुरुष मुन्ना शुक्ला संस्मरण ग्रंथ का हुआ विमोचन

संवाद पुरुष मुन्ना शुक्ला संस्मरण ग्रंथ का हुआ विमोचन 


तीनबत्ती न्यूज: 18 दिसम्बर, 2025

सागर। श्रुतिमुद्रा एवं बुनियाद सांस्कृतिक समिति के संयुक्त तत्वावधान में “संवाद पुरुष” स्व. मुन्ना शुक्ल संस्मरण ग्रंथ का  विमोचन समारोह रविन्द्र भवन सभागार, सागर में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य स्व. मुन्ना शुक्ला के वैचारिक योगदान, सामाजिक संवाद और सांस्कृतिक चेतना को स्मरण करते हुए नई पीढ़ी तक उनके विचारों को पहुँचाना था।

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कार्यक्रम की शुरुआत स्व. मुन्ना शुक्ला को समर्पित आदरांजलि कार्यक्रम से हुई, जिसमें उपस्थित अतिथियों एवं गणमान्य नागरिकों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। स्वागत वक्तव्य डॉ सिद्धार्थ शंकर शुक्ला ने प्रस्तुत किया। डॉ अलका शुक्ला ने आदरांजलि के क्रम में बताया कि कैसे मुन्ना शुक्ला जी ने परिवार को संस्कार और ज्ञान के दो आधारस्तम्भों का महत्व बताया। प्रबंध संपादक उमाकांत मिश्र ने पुस्तक प्रकाशन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी.

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ग्रंथ विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती संगीता तिवारी, महापौर ने बताया कि मुन्ना भैया को लगभग हर विषय पर अभीष्ट और तथ्यात्मक ज्ञान था । वे सही मायने में शहर के अभिभावक थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. हर्ष शर्मा (पूर्व निदेशक, स्टेट फॉरेंसिक लैब) ने सहभागिता की। उन्होंने मुन्ना शुक्ला जी से जुड़े रोचक संस्मरण साझा किए उन्होंने बता कि शुक्ला जी हर विषय को मनन चिंतन करने के बाद ही उस पर अपने विचार प्रस्तुत करते थे। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था । डॉ.शरद सिंह (प्रतिष्ठित लेखिका)ने सारगर्भित वक्तव्य देते हुए स्व. मुन्ना शुक्ला के संवादधर्मी व्यक्तित्व, सामाजिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला। समारोह की अध्यक्षता प्रो. दिनेश अत्रि (पूर्व अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय, विश्वविद्यालय, सागर)ने की, जिन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शुक्ला जी के विचार, उनके संदेश, उनका व्यवहार आज भी पूरे शहर को रोशन कर रहा है। संस्मरण ग्रंथ के सारे लेखों में एक ही बात निकालकर सामने आती है कि मुन्ना शुक्ला जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। चाहे गौवंश सेवा हो, स्वान प्रेम हो, या पौधों की विविध प्रजातियों के बारे में गहन अध्ययन हो , साहित्य हो, संगीत हो, या विज्ञान हो ..शुक्ला जी ने जीवन के विविध आयामों को पूरी जीवटता से जिया।  अत्रि जी ने मुन्ना भैया को शहर की अनमोल धरोहर बताते हुए उनकी प्रासंगिकता रेखांकित की।

डॉ शांभवी शुक्ला (प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना)ने संस्मरण ग्रंथ को अनुपम धरोहर बताया। उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ की रचना में अभिषेक ऋषि , टी आर त्रिपाठी , डॉ छबिल मेहर, डॉ लक्ष्मी पांडेय जी के विशेष योगदान को भुलाया नहीं जा सकता । उन्होंने "पिता" शीर्षक से एक मार्मिक कविता का पाठ किया जिसने सभागार में उपस्थित सुधिजनों को भावुक कर दिया ।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में “स्वरांजलि” सांगीतिक प्रस्तुति का आयोजन हुआ। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध सितार वादक डॉ. गोपाल कृष्ण शाह (नई दिल्ली) ने भावपूर्ण और उत्कृष्ट सितार वादन प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबले पर श्री उजित उदय कुमार (नई दिल्ली) ने सशक्त संगत प्रदान की।

ये हुए शामिल 

कार्यक्रम में शुक्ला परिवार से डॉ  कविता शुक्ला,सिद्धार्थ शुक्ला, शांभवी शुक्ला, अलका शुक्ला, गुंजन शुक्ला, सपना शुक्ला,पारंग शुक्ला, पी एन मिश्रा,डॉ मनीष झा,शिवरतन यादव, आरके तिवारी, हरी शुक्ला, आशीष ज्योतिषी, कुंदन पाराशर, अंबिका यादव, हरि सिंह,ठाकुर राघवेंद्र नायक,पी आर मालिया, डा रागिनी श्रीवास्तव, मुकेश तिवारी, टीकाराम त्रिपाठी,डा.अमर जैन, डा. राकेश सोनी, मनोज सोनी, सुमित दुबे, प्रफुल्ल हलवे, वीरेंद्र प्रधान सहित साहित्य, कला, संस्कृति से जुड़े अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ शशि कुमार सिंह एवं अमित मिश्रा ने किया।


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