Editor: Vinod Arya | 94244 37885

Sagar News: चिकित्सकों की तत्परता से बची एक माह के बच्चे की जान : आपातकालीन सर्जरी सफल

Sagar News: चिकित्सकों की तत्परता से बची एक माह के बच्चे की जान :  आपातकालीन सर्जरी सफल



तीनबत्ती न्यूज :  19 दिसम्बर 2025

सागर: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) सागर में चिकित्सकों की तत्परता और समन्वित प्रयास से एक माह के नवजात शिशु की जान बचाई गई। 12 दिसंबर 2025 को गंभीर अवस्था में शिशु को भर्ती कराया गया था। बच्चे को लगातार उल्टियाँ हो रही थीं। जाँच के दौरान एक्स-रे में पाया गया कि उसकी आंतें उलझ गई हैं तथा उसे अवरोधित (ऑब्सट्रक्टेड) इन्गुआइनल हर्निया था। चिकित्सकों के अनुसार यदि समय पर सर्जरी नहीं की जाती, तो आंतों में गैंग्रीन व सेप्टिसीमिया जैसी घातक स्थिति उत्पन्न हो सकती थी, जिससे शिशु की जान को गंभीर खतरा था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत वरिष्ठ चिकित्सकों को सूचित किया गया।



इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. सत्येंद्र उईके के निर्देशन में पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विशाल गजभिये एवं डॉ. सौरभ जैन ने त्वरित जाँच कर आधे घंटे के भीतर इमरजेंसी सर्जरी का निर्णय लिया। लगभग 2.5 से 3 घंटे तक चली जटिल आपातकालीन सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक शिशु की जान बचा ली गई। इस जटिल ऑपरेशन में निशचेतना विभाग की टीम—डॉ. सर्वेश जैन एवं डॉ. मोहम्मद इलियास—ने विशेष सावधानी के साथ सफल एनेस्थीसिया प्रदान किया, जिससे सर्जरी सुचारु रूप से संपन्न हो सकी।


सर्जरी के उपरांत शिशु को एनआईसीयू में रखा गया, जहाँ एक दिन वेंटिलेटर तथा उसके बाद तीन दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया। प्रारंभ में शिशु को दूध नहीं दिया गया, किंतु चौथे दिन से धीरे-धीरे फीडिंग शुरू की गई, जिससे उसकी स्थिति में निरंतर सुधार हुआ। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी. एस. ठाकुर ने इमरजेंसी मेडिसिन, पीडियाट्रिक एवं निश्चेतना विभाग की टीम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की जटिल सर्जरी बीएमसी में पूर्णतः निशुल्क उपलब्ध है। अधीक्षक डॉ. राजेश जैन ने भी सफल ऑपरेशन पर प्रसन्नता व्यक्त की।


शिशु विभाग की टीम में डॉ. आशीष जैन, डॉ. रूपा अग्रवाल, डॉ. अंकित जैन, डॉ. अजीत आनंद असाठी, डॉ. महेंद्र सिंह चौहान, डॉ अंकित जैन ( यस.आर) डॉ. नरेंद्र परमार, डॉ. पियूष गुप्ता  एवं डॉ. सौम्या व्यास शामिल रहे। इसके अतिरिक्त इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. प्रियांशु जैन तथा ओटी स्टाफ विनोद कुमार शर्मा  सहित अन्य का भी सराहनीय योगदान रहा। इस प्रकार, विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय, त्वरित निर्णय और चिकित्सकीय दक्षता से नवजात शिशु को समय पर उपचार मिला और उसकी जान बचाई जा सकी।


Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

www.Teenbattinews.com

Archive