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बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए महात्मा गांधी के आदर्शों को बुनियादी शिक्षा की जरूरत

बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए महात्मा गांधी के आदर्शों को बुनियादी शिक्षा की जरूरत
सागर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती वर्ष के अवसर पर बीटीआईई कॉलेज में "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधीजी की  बुनियादी शिक्षा की भूमिका" पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मुख्य वक्ता कांग्रेस प्रवक्ता डॉ संदीप सबलोक एवं विशिष्ट वक्ता के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के शिक्षा शास्त्री डॉ डी पी सिंह की उपस्थिति रही। अध्यक्षता डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय बायो टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ सुबोध कुमार जैन ने की। आभार संस्था के प्राचार्य डॉ राजू टंडन ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आमंत्रित अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पूजा-अर्चना कर सेमिनार का विधिवत शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत कॉलेज प्रिंसिपल डॉ राजू टंडन डॉ महेश कठल यशवंत शर्मा आदि ने किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था के प्राचार्य डॉ राजू टंडन द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ने हुमा खान ने किया।
सेमिनार में डॉसबलोक ने कहा कि वर्तमान समय में महात्मा गांधी के आदर्शों को बुनियादी शिक्षा के रूप में अंगीकार करने की बेहद आवश्यकता है। आज समाज देश और दुनिया जिस हिंसक दौर से गुजर रही है ऐसे समाज के ताने-बाने को जोड़े रखने के लिए महात्मा गांधी की अहिंसा की शिक्षा बुनियादी जरूरत के रूप में सामने आती है। यही एक ऐसा हथियार है जिसने इस देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के बाद शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में भारत को स्थापित किया है। 
 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के शिक्षा शास्त्री डॉ डीपी सिंह ने कहा कि शिक्षा समाज की मूलभूत आवश्यकता है जिसके बिना समाज के ढांचे को मजबूत नहीं किया जा सकता और यही मजबूत राष्ट्र की भी बुनियाद है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की वकालत भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी और स्वदेशी आंदोलन के द्वारा जनता को स्वावलंबन और स्वयं के रोजगार से जोड़ने का काम किया था।
अध्यक्षीय उद्बोधन में बायो टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ सुबोध जैन ने कहा कि गांधी एक ऐसा विचार और दर्शन है जिसमें भारत की आत्मा बसती है। उन्होंने कहा कि खादी के माध्यम से स्वदेशी और स्वावलंबन का आंदोलन आज लोगों का फैशन बन रहा है और लोग इस स्वदेशी भावना के साथ एक बार फिर खादी को अपनाने लगे है।
 कार्यक्रम में महाविद्यालय शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति बड़ी संख्या में रही जिनमें प्रमुख रूप से साबिर आजाद अंजली कुमारी रेखा केशरवानी हितेश पटेल डॉ सुरेश  कोरी अलका असाटी मधु सिंह आकाश  राकेश सेन ज्योति सिंह रिचा ठाकुर भूपेंद्र पांडे अपर्णा पांडे रितु दवे सुमन चौरसिया प्रीति पटेल रामकरण रजक  केके तिवारी मनोज जैन शामिल रहे।        
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