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नन्दोत्सव में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, पंडाल पड़ा छोटा: बालाजी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिवस संपन्न

नन्दोत्सव में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, पंडाल पड़ा छोटा:  बालाजी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिवस संपन्न


तीनबत्ती न्यूज: 22 नवंबर, 2026

सागर। श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में मुख्य यजमान श्रीमती अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन एवं विधायक सागर के आतिथ्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं नन्दोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव के अवसर पर श्रद्धा और उत्साह का ऐसा माहौल बना कि पंडाल छोटा पड़ गया, चारों ओर श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। पंडाल बढ़ाने के बाद भी बड़ी संख्या में लोग खड़े होकर कथा और भजनों का आनंद लेते हुए झूमते नजर आए,महाराज श्री स्वयं व्यास पीठ से उतरकर बनाए गए रैंप पर जनता के बीच पहुंचे,लोगों ने बहुत ही भाव और उत्साह से महाराज जी के साथ दही हांडी खेली।




अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य पंडित इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज ने कथा प्रसंगों के माध्यम से बताया कि मनुष्य रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण से प्रभावित होकर अपना स्वभाव एवं प्रकृति का निर्माण करता है। उन्होंने निमंत्रण और आमंत्रण का अंतर बताते हुए कहा कि “निमंत्रण में आना न आना व्यक्ति की इच्छा है, लेकिन आमंत्रण में आना ही पड़ता है।” महाराज जी ने कहा कि जिस घर में हम रहते हैं, उसके असली मालिक ठाकुर जी हैं और हम किराएदार हैं। जब तक मनुष्य अपने भाव और विचार पूरी श्रद्धा से भगवान को समर्पित नहीं करता, तब तक भाव सफल नहीं होता।



उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि “जीवन भी एक परीक्षा है, कथा का सार जीवन में उतारेंगे तो कभी भटकेंगे नहीं, गलत निर्णय नहीं लेंगे। प्रतिदिन 15 मिनट एकाग्र चित्त होकर कथा सुनने की आदत डालें।”

महाराज श्री ने कहा कि सत्य आचरण बहुत कम लोग करते हैं। ज्ञान दान, भक्ति दान और व्यवहार का दान — धन दान से श्रेष्ठ है। व्यक्ति नहीं, उसके विचार और भाव याद रहते हैं। शारीरिक सुंदरता कुछ दिन की है, लेकिन मन और आत्मा की सुंदरता अमर होती है।

युवाओं पर मोबाइल फोन के बढ़ते प्रभाव पर उन्होंने कहा “सतयुग का राक्षस रावण, द्वापर का कंस और कलयुग का राक्षस मोबाइल फोन है।”


कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस कठिन समय में रिश्तों की सच्चाई सामने आ गई, कई लोगों ने अपने ही माता-पिता को त्याग दिया।उन्होंने सत्य, दान और दया के महत्व को समझाते हुए कहा दया का अर्थ व्यक्ति की अवस्था देखकर नहीं, उसके हृदय की स्थिति देखकर करना चाहिए। व्यक्ति को प्रतिदिन एकांत में जाकर स्वयं को देखने की आदत विकसित करनी चाहिए।

ये हुए शामिल

कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, राव मंजू सिंह, पशुपालन मंत्री लखन पटेल, सांसद दमोह राहुल सिंह लोधी, राजघाट वाले महंत जी, चंद्रशेखर शुक्ला (आईएएस), सुनील देव, जवाहरलाल जैन, सुरेश जैन, हरिराम सिंह ठाकुर, कृष्णवीर सिंह, अनिरुद्ध पिंपलापुरे, जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन, सोना बाई अहिरवार, अरविंद हार्डेकर, प्रदीप पाठक, संतोष साहू, शिल्पी भार्गव, राजेंद्र जारोलिया, स्नेहलता साहू, अनूप उर्मिल, दीना भाई मेहता, राजकुमार नामदेव, गौरव नामदेव, राघवेंद्र सिंह, नितिन सोनी, प्रासुख जैन, राजीव हजारी, राजेंद्र सिलाकारी, अर्पित पांडे सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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