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रोचक : बिजली में भी कोरोना इफ़ेक्ट, हमेशा नुकसान पहुचाता है विधुत प्रवाह में ,इसमे भी रखा जाता है डिस्टेंस

रोचक : बिजली में भी कोरोना इफ़ेक्ट,  हमेशा नुकसान पहुचाता है विधुत प्रवाह में ,इसमे भी रखा जाता है डिस्टेंस

*इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में खूब प्रचलित है शब्द "कोरोना" , कोरोना बिजली लाईन के लास होने का कारण भी है ,इसमे भी डिस्टेंस यानी दूरी रखी जाती है। 

जी हाँ । कोरोना वायरस महामारी के चलते कोरोना शब्द से ही ख़ौफ़ बढ़ जाता है । ऐसे में  शब्द कोरोना  इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के जानकारों के लिए बहुत पहले से सुना-जाना हुआ है- ये शब्द विद्युत टेक्नोलोजी से जुड़ा हुआ भी है। यह कोरोना हमेशा बिजली को नुकसान पहुचाती है। कोरोना इफेक्ट से  हमेशा विद्युत कम्पनियां  परेशान रहती है।
बिजली के पारेषण (ट्रांसमिशन) में भी एक कोरोना इफ़ेक्ट होता है । जो कि बिजली की हाई वोल्टेज लाइनों में  लाइन लॉस का कारण बनता है । दरअसल कोरोना एक प्रकार का एक अदृश्य विकिरण है । इससे निजात पाने के यूँ तो कई तकनीकी उपाय किये जाते रहे हैं । जैसे कन्डक्टर की साइज और उसका प्रकार आदि ।  इनमें से एक लाइन स्पेसिंग भी है । यानी दो हाई वोल्टेज कंडक्टरों के बीच  में निश्चित दूरी रखना । यानी डिस्टेंस। ट्रांसमिशन लाइन में जब हम ज्यादा वोल्टेज को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजते है, तब हमारे कंडक्टर (वायर) के आस पास वोल्वेट रंग की लाइट उत्पन होती है। उस लाइट के बनने को कोरोना इफ़ेक्ट कहा जाता है।यानी बिजली के दो कंडक्टरों की दूरी विद्युत के कोरोना इफेक्ट से बचाव और इंसानों के बीच की दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव का हथियार हुआ । 

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क्या है कोरोना इफेक्ट्स
.दरअसल कोरोना (Corona) शब्द बना कोरोनस (Coronas) से । सूर्य-चंद्रमा और दूसरी वस्तुओं  की चमकदार सतहें अपने आस पास की डस्ट और ड्रापलेट्स को एक रंगीन आभा देती हैं । जिसे कोरोनस कहते हैं ।  अन्य संदर्भों  में इसे औरा की तरह, जाना और समझा जाता है ।
विद्युत का प्रवाह एक ऊर्जा का प्रवाह है । बिजली की हाई टेंशन ट्रांसमिशन लाइनों में से हाई वोल्टेज का करेंट दौड़ता है । ये दौड़ता करेंट कंडक्टर के आस पास एक इंडक्शन बना देता है । यह बैंगनी रंग में देखा जा सकता है । इस फेक्टर को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में कोरोना इफ़ेक्ट कहते हैं ।
ये कोरोना इफेक्ट एक दूसरे से टकराकर बिजली के ट्रांसमिशन लॉस का कारण होते हैं । ट्रांसमिशन लाइनें, विद्युत वितरण लाइनों से पहले की तकनीक है ।
बिजली के ट्रांसमिशन लॉस को कम रखने के लिए अनेक तकनीकी युक्तियां अपनाईं जाती हैं । जिनमे से एक है- स्पेसिंग यानी तारो और कंडक्टरों में दूरी

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बिजली में कोरोना होने की वजह
1. Atmospheric Conditions
बारिश के समय कोरोना होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि बारिश के समय हवा में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, इस वजह से हवा में करंट आसानी से बहने लगता है।
2. Line Voltage
वोल्टेज ज्यादा होने से कोरोना इफ़ेक्ट ज्यादा होता है। अगर ट्रान्समिशन लाइन में वोल्टेज ज्यादा है तो इसके आस पास मैग्नेटिक फील्ड भी ज्यादा बनती है, इस वजह से भी कोरोना बढ़ता है।

3. Nature of Conductor Surface
कंडक्टर किस गिसजें का बना हुआ है इस बात पर भी कोरोना इफ़ेक्ट डिपेंड होती है। अगर कंडक्टर गोल होता है तो कोरोना इफेक्ट कम होता है। इस कारण से हम ट्रांसमिशन लाइन में ACSER कंडक्टर का ही उपयोग करते है।
4. Effect on Frequency
फ्रीक्वेंसी ज्यादा होने पर भी कोरोना ज्यादा होता है।
5. Effect of Air Conductivity
हवा की कंडक्टविटी पर भी कोरोना इफ़ेक्ट डिपेंड करता है। अगर हवा की कंडक्टविटी ज्यादा होगी तो कोरोना इफेक्ट भी भी ज्यादा होता है। इनके उपाय भी रोकने मेहै। 

@ डॉ नवनीत धगट ,अधिकारी,पूर्वीमध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी सागर 

★तीनबत्ती न्यूज़. कॉम

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