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लॉकडाउन दे रहा है खुद को जीने का मौका

लॉकडाउन दे रहा है खुद को जीने का मौका

@डॉ (सुश्री) शरद सिंह ,वरिष्ठ साहित्यकार

यह आपदा का ऐसा अवसर है जो ज़िंदगी के मायने समझा रहा है। जिस सामाजिकता से हम दूर होते जा रहे थे आज सोशल डिस्टेंसिंग ने हमें सामाजिकता के महत्व की मूल्यवत्ता समझा दी है। यानी परिवार के सदस्यों को परस्पर एक-दूसरे के और अधिक क़रीब ला दिया है। साथ ही हमें अपने उन सब कामों को करने का अवसर मिल रहा है जो हम भागमभाग के जीवन में फंसकर कर नहीं पा रहे थे। यानी जिन्हें हम घर में रहकर कर सकते थे लेकिन वह शौक़ या काम हम से छूटते जा रहे थे। 
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन बेहद ज़रुरी है।  इन दिनों सभी को घर पर रहना चाहिए और लॉकडाउन के नियमों का पालन करना चाहिए। मैं भी पालन कर रही हूं और पूरे समय घर में रहने का लाभ उठाते हुए मैं वे दो काम कर रही हूं जो बहुत समय से करना चाह रही थी मगर कर नहीं पा रही थी। उनमें एक काम है सिलसिलेवार अपने जीवन से जुड़े संस्मरण लिखना। यह अपने अतीत में यात्रा करने जैसा बहुत ही रोचक साबित हो रहा है। 
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@डॉ. वर्षा सिंह

अनेक छोटी-बड़ी घटनाओं और कई पुरानी सहेलियों की यादें ताज़ा हो रही हैं। दूसरा काम जो मैं कर रही हूं, वह है उन किताबों  का पुनर्पाठ जिन्हें मैं समयाभाव के कारण फिर से नहीं पढ़ पा रही थी। तो, इनदिनों मैंने शिवाजी सावंत की "मृत्युंजय" पढ़ डाली है। अद्भुत कृति है। जितनी बार पढ़ती हूं उतनी बार मुझे और भी अच्छी लगती है। इसी क्रम में सआदत हसन मंटो की कहानियों की पीडीएफ इंटरनेट से आज ही डाउनलोड की है। अब इन कहानियों को पढ़ूंगी। इंटरनेट पर ऐसी बहुत सी पठनीय सामग्री उपलब्ध है जिन्हें डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है।
मुझे लगता है कि घर में रहने के इस समय का लाभ उठाते हुए सभी को अपनी वे इच्छाएं पूरी कर लेना चाहिए जो बाहरी व्यस्तताओं के कारण पूरी नहीं हो पा रही थीं। इससे आपदा भरा यह विपरीत समय आसानी से गुज़र जाएगा।
रहा शेष काम, तो सुबह उठ कर पानी भरती हूं। वाशिंग मशीन पर कपड़े धो डालती हूं। फिर कपड़े छत पर सुखाने के बाद वहां गमलों में लगे पौधों को पानी सींचती हूं। तब तक सुबह की चाय का समय हो जाता है। चाय पीते हुए ताज़ा समाचार पढ़ती हूं। स्नान और पूजन के बाद अपनी वर्षा दीदी के साथ मिल कर भोजन बनाती हूं। इस दौरान हम दोनों दुनियाभर की चर्चाएं भी करते रहते हैं। जिसमें घरगृहस्थी की चिंता से लेकर साहित्य और वर्तमान माहौल पर भी चर्चा शामिल होती है। टीवी देखना और गाने सुनना भी इनदिनों दिनचर्चा में शामिल है। देखा जाए तो ये घर के एहसास को जीने के दिन हैं।

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 यूं भी स्थानीय प्रशासन ने दूध, राशन और सब्जियों की होमडिलेवरी की व्यवस्था कर दी है, इसलिए कोई दिक्कत नहीं है। हमारा सागर शहर यूं भी शांत शहर है। यहां लोगों में आत्मीयता है, समाजसेवा की भावना है। उस पर प्रशासन की तत्परता ने स्थिति को बड़ी कुशलता से सम्हाल रखा है। लॉकडाउन हमारी जीवनरक्षा के लिए है, इस तथ्य का सभी को ध्यान रखते हुए प्रशासन को सहयोग करना चाहिए। जब भी कोई संकट आता है तो वह हमें बहुत कुछ सिखा कर ही जाता है। बेहतर होगा कि संकट दूर होने के बाद भी हम घर, परिवार और किताबों से खुद को जोड़े रखें। लॉकडाउन ने जो मौका दिया है हमें खुद को जीने का, तो खुद को जिएं और अपनी भावी ज़िन्दगी में भी खुद को जीने की इस भावना बनाए रखें। क्योंकि जब व्यक्ति का मन खुश रहता है तो वह दूसरों को भी खुशियां बांटता है।
 बेशक़, तब दुख होता है जब लोगों को लॉकडाउन का उल्लंघन करते देखती हूं। सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि धैर्य और सतर्कता से ही हम कोरोना को मात दे सकते हैं। 
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