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अपराधशास्त्र की शिक्षा सार्वभौमिक न्याय के लिये : कुलपति प्रो. मेहराजुद्दीन मीर

अपराधशास्त्र की शिक्षा सार्वभौमिक न्याय के लिये:कुलपति  प्रो. मेहराजुद्दीन मीर
सागर। अपराधशास्त्र एवं न्यायिक विज्ञान विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर द्वाराआयोजित 42 वा अखिल भारतीय अपराधशस्त्र में सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. मेहराजुद्धीन मीर, कुलपति कश्मीर केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने कहा  है कि अपराधिक न्याय व्यवस्था में यह नितान्त आवश्यक है कि मामलों का निराकरण अतिशीघ्र किया जावें जिससे पीड़ित व्यक्ति को समय पर न्याय मिल सके।अपराधशास्त्र की शिक्षा सार्वभौमिक न्याय को स्पष्ट करती है अतः अपराधिक न्याय प्रशासनको अपराधशास्त्र के सैद्धान्तिक ज्ञान को अपने व्यवहार रूप में उपयोग करना चाहिये।

अपराध नीति पाठ्यक्रमो में शामिल हो:प्रो चौहान

समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रो. बलराज चौहान, कुलपति, धर्मशस्त्र नेशनल लॉ
यूनिवर्सिटी जबलपुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अपराधशास्त्र की शिक्षा द्वारा
मिलने वाले न्याय से समाज में सुखद वातावरण बनता है, समाज में निर्धारित होने वाली जन
कल्याणकारी लोक योजनाओं में अपराधशास्त्र विषय का व्यवाहरिक उपयोग किया जाना चाहिये जो कि समाज के सुखद एवं विधिमार दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है। आज के समय कीआवश्यकता है कि अपराधशास्त्र विषय में अपराधिक कानूनों के साथ-साथ लोक नीतियों सेसंबंधित विषयों एवं अपरधिक नीति जैसे-विषयों को पाठयक्रम में शामिल किया जाना चाहिये। भारत वर्ष में वर्तमान में लगभग तीन करोड मामले न्यायालय में लम्बित है जिससे पीड़ितो कोन्याय मिलने में विलम्ब होता है। मामलों के शीघ्र निराकरण हेतु अपराधशास्त्र विशेषज्ञों कासहयोग लिया जाना आवश्यक है।

विषय का उपयोग हो: कुलपति

सागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी ने समापन सत्र की अध्यक्षता करते
हुए कहा कि अपराधशास्त्र एक व्यवाहरिक विषय है जिसका समाज में अधिक से अधिक
उपयोग होना चाहिये। एवं कुलपति ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन में पधारे हुए समस्त अपराधविज्ञानियो एवं सहभागियों का अभिनन्दन करते हुए हार्दिक साधुवाद प्रस्तुत किया।
समापन सत्र के दौरान प्रो. माधवा सोमा सुन्दरम, चैयरमेन, इण्यिन सोसायटी ऑफ क्रिमिनोलॉजी
ने बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड की घोषणा की। एवं विजेता विद्यार्थियों को अतिथियों द्वारा गोल्ड
मेडल, सिल्वर मेडल एवं प्रशस्ति भेंट कर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में कुलपति  प्रो. तिवारी द्वारा अतिथियों का शाल श्रीफल से सम्मानकिया गया। 
अंतिम सत्र में हुए व्याख्यान
कान्फ्रेंस के तीसरे एवं अंतिम दिन सामान्य सत्र के दौरान प्रो. बलराज चौहान नेअपराधशास्त्र सार्वभौमिक कल्याण के लिये विषय पर अपना मार्गदर्शीय व्याख्यान प्रस्तुत किया।प्रो. ममता पटेल विभागाध्यक्ष अपराधशास्त्र एवं न्यायिक विज्ञान विभाग, कॉन्फ्रेंस आयोजकसचिव ने कान्फ्रेंस में पधारे हए समस्त अतिथियों एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त किया ।
तकनीकी सत्र में प्रो. मेहराजुद्धीन मीर, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कश्मीर ने नवीन नीतियों
एवं पीडितो के विषय पर अपराधी व्यक्ति के लिये कानून विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत
किया ।इस सत्र के दौरान पीडित व्यक्ति के अधिकार एवं न्याय के लिये न्याय व्यवस्था का
योगदान विषय पर डॉ मुकेश कुमार चौरसिया ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें निशुल्क
विधिक सेवा के योगदान विषय पर महत्वपूर्ण तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की गई।एक अन्य तकनीकी सत्र में भी सुधीर साही अतिरिक्त पुलिस महानिर्देशक कारागारमध्यप्रदेश ने कारागारों के लिये सुधारात्मक कार्यक्रम विषय पर विश्लेषणात्मक एवं तथ्यात्मकजानकारी प्रस्तुत की जिसमें उन्होने बंदियों के लिये जेल में चलने वाले सुधारात्मक कार्यक्रमों जैरो- अनुशासन, शिक्षा, परामर्श, निर्देशन, व्यवासायिक प्रशिक्षग, योगशिक्षा, सामाजिक
सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा विषय पर अपने विचार याक्त किये सुधारात्मक संस्थायों ने
सुधारात्मक प्रशासन अन्र्तगत अधिकारी एवं कर्मचारियों की सीमित संख्या योजनाओं को प्रभावीढग से लागू करने में बाधक होती है। राष्ट्रीय स्तर पर किये गये सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि50 हजार कैदियों की पर केवल छ: सौ कारागर अधिकारी कर्मचारी तैनात है। कारागारों के संस्थागत सुधार एवं सहयोग विषय पर तकनीकि सत्र में डॉ शिवा प्रसाद रानी चेंनम्मा
युनिवर्सिटी त्रिवेली ने सत्र को चयन किया एवं डॉ. दीपक गुप्ता सागर विविद्यालय ने कोचेयर
का दायित्व संभाला इससत्र में कारागार, सुधार एवं पूर्नावास विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किये
गये। कान्फ्रेंस के दुसरे दिन तकनीकि सत्र में आर्थिक अपराधो के लिये आतरिक सुरक्षा प्रवध
विषय पर संचालित होने वाले सत्र के दौरान प्रो. आर एन. मंगोली कर्नाटक युनिवर्सिटी धारवाड़
ने चेयर एवं डॉ. मुकेश चौरसिया सागर विश्वविद्यालय कोचेयर का दायित्व संभाला जिसमेंनारकोटिक ड्रग, हयूमन ट्राफिकींग, आंतगवाद आदि विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गये।प्रो. ममता पटेल विभागाध्यक्ष अपराधशास्त्र एवं न्यायिक विज्ञान विभाग, कॉन्फ्रेस आयोजकसचिव ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में देश एवं विदेश से लगभग 200 सहभागी एवं विषय विशेषज्ञ शामिल हए कॉन्फ्रेंस के दौरान कुल 70 शोध पत्रों का प्रस्ततीकरण किया गया। यहहम सभी के लिये गौरव का विषय है कि कॉन्फ्रेस का मुख्य विषय अपराधशास्त्र का ज्ञानसार्वभौमिक कल्याण के लिये की सभी ओर सराहनीय की गई एवं शोध पत्रो से प्राप्त होनेवाले निष्कर्ष को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ग्रह मंत्रालय भारत सरकार को प्रेषितकिया जावेंगा।
इनकी रही हिस्सेदारी
कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से प्रो. एन. प्रभा उन्नीथन, यू.एस.ए. प्रो. बलराज चौहान कलपति धर्मशास्त्रनेशनल लॉ युनिवर्सिटि जबलपुर, प्रो. मेहराजुद्वीन मीर कुलपति कश्मीर केन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर प्रो. माधवा सोमा सुन्दरग मनोमेनियम सुन्दरनार युनिवर्सिटि त्रिनेलवेली तमिलनाडु, प्रो.अरविंद तिवारी टाटा इंस्टीटूयट ऑफ सोसल साइंस नुम्बई, प्रो. जी.एस.वाजपेई कुलसचिवनेशनल लॉ युनिवर्सिटि नई दिल्ली प्रो. आर.एन.मंगोली धारवाड़, प्रो. मनसोली धारवाड़, डॉ.सयैद उगर त्रिनेलवेली. डॉ. स्वीकार लामा जोधपुर, श्री अभिषेक अवध अहमदाबाद सागरविश्वविद्यालय से प्रो. आर. पी. मिश्रा डीन, स्कूल ऑफ एप्लाइंड साइसेंस, प्रो. ए.एन.शर्मा डीनऑफ एकेडमिक अफेयर, प्रो. देवाशीष बोस, डॉ.नवजोत कौर कनवल, डॉ. राजेश सिंह यादव डॉ.वंदना विनायक, डॉ. महेन्द्र कर्णा, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. विवेक मेहता, डॉ. मुकेश चौरसिया,सुनील जर्मन, पंकज चौबे, रूपेश उपाध्याय, समस्त विभागीय शोधार्थी एवं स्नातक स्नाकोत्तर छात्र छात्रायें उपस्थित रहे।
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