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SAGAR : दो साल की मासूम के साथ दुष्कर्म , नाबालिग आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

SAGAR : दो साल की मासूम  के साथ दुष्कर्म , नाबालिग आरोपी को आजीवन कारावास की सजा


सागर। विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट/नवम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा सागर के न्यायालय ने अपचारी बालक को नाबालिग अभियोक्त्री के साथ बलात्कार करने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित करने का आदेश दिया। राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक/अति. जिला अभियोजन अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह तारन ने की।
मामला इस प्रकार है 
 दिनांक-01.08.2017 को समय 03.45 बजे के लगभग पीड़िता के पिता ने थाना मोतीनगर सागर में देहाती नालसी लेख कराई कि दिनांक-31.07.2017 की रात को वह अपनी पत्नि, बच्चों सहित सोया था, टपरिया के बाहर उसके पिता सो रहे थे, उसकी दो वर्षीय छोटी बच्ची अभियोक्त्री उसकी लड़की के साथ सो रही थी। उसकी दो वर्षीय लड़की अभियोक्त्री को कोई अज्ञात व्यक्ति उठा कर ले गया है। घटना की पड़ताल के दौरान फरियादी के पिता ने बताया कि लाल रंग के कपड़े पहने हुये कोई जाता हुआ दिखाई दिया था। पीड़िता के परिजनों एवं मोहल्ले के लोगों की मदद से पीड़िता को तलाश किया गया तब पीड़िता पहाड़ी पर मिली जो खून से लथपथ थी। जिसे इलाज हेतु अस्पताल पहुंचाया गया। फरियादी की रिपोर्ट के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान पीड़िता का मेडीकल परीक्षण कराया गया। पीड़िता के पिता, मां, दादा, बहन व अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये गये। साक्षीगण के कथन के आधार पर अपचारी बालक को तलाश किया गया जिसे मुखबिर की सूचना व जनता की मदद से गिरफ्तार किया गया। घटनास्थल से जप्त की गई वस्तुओं को परीक्षण हेतु एफएसएल भेजा गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण को चिन्हित एवं जघन्य सनसनीखेज प्रकरण की श्रेणी में रखा गया।

न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किये जिनसे अपचारी बालक द्वारा अभियोक्त्री के साथ बलात्कर करना प्रमाणित पाया गया। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित पाये जाने पर माननीय न्यायालय द्वारा अपचारी बालक को भादवि की धारा 366 के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000 रूपये का अर्थदण्ड तथा भादवि की धारा 376(2) के तहत आजीवन कारावास व 5000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित करने का दंडादेश पारित किया। अपचारी बालक की उम्र 16 वर्ष से अधिक व 18 वर्ष से कम है।


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