अनंत श्री विभूषित श्री रविशंकर जी महराज प्राकट्य महोत्सव : वैदिक मंत्रों की अनुगूंज सुनाई दी आश्रम परिसरमें
तीनबत्ती न्यूज : 30 जून ,2025
सागर : सागर के वेदांती परिसर स्थित श्री रावतपुरा सरकार आश्रम में चल रहे श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव के द्वितीय दिवस का शुभ आरम्भ ब्रह्म मुहूर्त में प्रारम्भ हुए अनुष्ठानों से हुआ। माँ अन्नपूर्णा एवं श्री गौरी गणेश पूजन अर्चन एवं अभिषेक के साथ यह क्रम प्रारम्भ हुआ, श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के साथ प्रातःकालीन प्रार्थना सभा में वैदिक मंत्रों की अनुगूंज आश्रम परिसर में सुनाई दी, श्री रावतपुरा सरकार आश्रम के आचार्यों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वान आचार्यों द्वारा अनुष्ठान सम्पन्न कराए जा रहे हैं।
श्रमद भागवत कथा के माध्यम से श्री श्याम बिहारी जी महाराज ने बताया कि सद्गुरु भगवान का प्रकट होना होता है ज्ञान का प्रकट होना और भागवत जी भी क्या है, ज्ञान है!जीवन में संतुलन के लिए महापुरुषों का आशीर्वाद, सानिध्य बहुत आवश्यक है क्योंकि उनके सानिध्य में सतसंग से जीवन को एक नई दिशा और लक्ष्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ईश्वरीय कृपा की अनुभूति कर पाता है।
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सायंकालीन बेला में प्रार्थना सभा के माध्यम से गुरु पादुका पूजन, श्री ललिता सहस्त्रनाम, लिंगाष्टकम, भैरवाष्टकम के साथ ही विभिन्न पाठ सम्पन्न हुए। इसके साथ ही महाराज श्री के मंगल सानिध्य में नगर पालिका निगम सागर एवं सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा गंगा आरती का आयोजन किया गया।
सांस्कृतिक संध्या में कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने शब्दों के संयोजन से सृजित काव्य लहरियों के साथ ओज, हास्य, श्रृंगार, राष्ट्र एवं वर्तमान समय को परिभाषित करतीं विभिन्न रचानाओं से उपस्थित जनमानस का मन भी मोहा और राष्ट्र जागरण का संदेश भी दिया। कवि राव अजातशत्रु, बुद्धिप्रकाश दधीच, शम्भू शिखर, डॉ रुचि चतुर्वेदी, शशि श्रेया, योगेंद्र शर्मा जी के साथ संयोजक कवि सुमित ओरछा के काव्य रंग से श्री रावतपुरा सरकार आश्रम सराबोर नज़र आया।
पूज्य महाराज श्री ने अपने संदेश देते हुए कहा..... कि जुलाई अगस्त माह का समय वृक्षरोपण का सबसे अनुकूल समय है, इसलिए आप सभी अपनी क्षमता के अनुसार एक या अधिक संख्या में पौधारोपण कर उसके रोपण, पोषण, संवर्धन का उत्तरदातित्व लें और एक अभिभावक की भांति उसका ध्यान रखें। पर्यावरण के हित में किया गया प्रत्येक कार्य ईश्वर की सेवा है। इस सृष्टि की रचना ईश्वर ने की है इसलिए इसकी स्वच्छता का ध्यान ठीक उसी प्रकार रखें जैसे आप एक मंदिर का रखते हैं। नदी, पेड़, वायु सभी देवताओं के जीवंत विग्रह हैं इसलिए हमारी सनातनी संस्कृति में प्रत्येक के पूजन का विधान है, यह हमें सेवा और परमार्थ का संदेश देते हैं। इस संदेश को आत्मसात करिए आपके जीवन को नई दिशा और मार्ग मिलेगा।
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