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श्री भक्तमाल कथा : जिनके हृदय में भक्ति महारानी विराजमान हैं उन्हीं के पास श्री ठाकुर जी हैं : श्री श्री 108 श्री किशोर दास देव जू महाराज श्री गोरेलाल कुंज श्रीधाम वृन्दावन ▪️डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गवने लिया आशीर्वाद

श्री भक्तमाल कथा : जिनके हृदय में भक्ति महारानी विराजमान हैं उन्हीं के पास श्री ठाकुर जी हैं : श्री श्री 108 श्री किशोर दास देव जू महाराज श्री गोरेलाल कुंज श्रीधाम वृन्दावन

▪️डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और 0urv मंत्री गोपाल भार्गव ने लिया आशीर्वाद


तीनबत्ती न्यूज : 05 जुलाई, 2025

सागर : बिना भक्तमाल भक्ति अधिक दूर है जिनके हृदय में भक्ति महारानी विराजमान हैं उन्हीं के पास श्री ठाकुर जी हैं। भगवान कहते हैं, भाव ही प्रधान है। उपासना का भाव ही भक्ति है। भाव वह पूॅंजी है, भाव वह वस्तु है, महाराज श्री ने प्रसंग सुनाया दुर्योधन ने महल की साजसज्जा की कि श्री ठाकुर जी आ रहे हैं और उनको भोग प्रसादी के लिए छप्पन व्यंजनों का महाभोग बनवाया, पर देखा जाये तो याहॅॅं भाव नहीं है यही ठाकुर जी ने देखा कि जिनके घर पर एक दिन की भी भोजन की व्यवस्था नहीं है और उन्हीं विदुर जी के यहाॅं ठाकुर जी भोजन करने को जाते हैं और इसी प्रेमरस में विधुर रानी जी ठाकुुर जी को गोदी में बैठाकर इतने भाव से फल खिला रहीं है कि बोध ही नहीं है कि छिलका खिला रहीं हैं और वस्तु फेंक रहीं हैं और ठाकुर जी भी उसी प्रेमभाव में छिलके खाते जारहे हैं। क्योंकि वहाॅं चिंतन हो रहा है। जिनके यहाॅं कल की व्यवस्था नहीं पर भक्तिभाव बहुत है और अपने गोविंद जी को बुलाती हैं। नवनीत क्या है? नवनीत माखन है। जिनके घर में नौ लाख गायें दूध माखन दे रहीं हैं पर ठाकुर जी ब्रज में गोपियों के यहाॅं माखन मिश्री खा रहें हैं क्योंकि वहाॅं भाव में प्रेम है। न वैभव की महिमा है, न पैसे की महिमा है। आप कितने बड़े हो न इसकी महिमा है। देखा जाये तो मेरा ठाकुर तो यह देखता है कि व्यक्ति के भाव कैसे हैं? 


ठाकुर जी तो आॅसुओं पर रीझ जाते हैं। और उन आॅसुओं को हमारे ठाकुर जी नीचे गिरने नहीं देते। आॅंसु कौनसे? जो श्री ठाकुरा जी के चरणों में प्रीती के लिए हों, इसके लिए नहीं कि, किसी ने आप से कुछ कह दिया तो रोने लगे। केवल और केवल ठाकुर जी के चरणों में प्रीती के लिए आॅसु हों तो ठाकुर जी गिरने नहीं देते जिनके अंतःकरण में ठाकुर जी विराजे रहेते हैं, उनको कहीं आने जाने की सुध नहीं होती। जाना कहीं और, जाते कहीं और हैं क्योंकि ठाकुर जी में चित्त लगा है आनंद रस में डूबे हुए हैं। ये श्यामा शाम रंग जब तक नहीं लगा है। तभी तक हम संसार के हैं और जब ष्याम रंग चड़ जाता है तो केवल श्यामा श्याम ही नज़र आते हैं और कुछ याद नहीं रहता। कथा खूब डूबकर श्रवण करें। पता नहीं किस एक शब्द को हम छोड़ दिये जिससे हमारा कल्याण होना था। इसी भाव से कथा श्रवण किया करें। शांत चित्त होकर। मित्रता आपकी ही नहीं, संतों की भी मित्रता होती है। परंतु इस संसार की तरह संतों की मित्रता में कोई स्वार्थ नहीं होता अपितु सिर्फ ठाकुर जी के चरणोें के प्रति प्रीती होती है। पूर्व के समय में एक संत सैंकड़ों लोगों के साथ संत के साथ विचरण करते थे और हम जैसे लोगों को जगाते रहते थे। संतों का कार्य ही है लोगों को जगाते रहना। 



 जाने सात ठाकुर जी को

इसके पश्चात् महाराज श्री ने ब्रज के साथ ठाकुरों का वर्णन किया। उनहों ने कहा कि, जयपुर के श्री गोविंद देव जी साधारण नहीं हैं इन्हें प्रकट किया गया है, यह प्रथम दर्शन है। दूजे श्री मदन मोहन देव जू महाराज। तीजे श्री गोपीनाथ जी, चैथे श्री राधरमण देव जी महाराज, पाॅंचवे श्री राधावल्लभ जी, छठें श्री जुगल किशोर जी और सातवें श्री वृन्दावन बिहारी लाल जी। जिनमें से तीन ठाकुर जी तो श्री बाॅंके बिहारी जी, श्री राधावल्लभ जी और श्री राधारमण लाल जी जो श्रीधाम वृन्दावन में ही विराजमान हैं। बुंदेलखण्ड में पन्न्ना में साक्षात श्रीधाम वृन्दावन के श्री जुगलकिषोर जी ही विराजमान हैं। महाराज श्री ने व्यास पीठ से कहा कि, 2025 की गुरूपूर्णिमा महामहोत्सव का यह उत्सव श्री देवराहा बाबा सिद्ध धाम प्रांगढ में मनाया जा रहा है वैसे ही 2026 में गुरूपूर्णिमा महामहोत्सव पन्ना और 2027 में छतरपुर को मिला है।

ये हुए शामिल


आज की कथा में व्यास पीठ से व्यास पीठ पर जाकर पूज्य महाराज श्री को मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं सागर जिले के प्रभारी मंत्री श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, रहली विधायक पं. गोपाल भार्गव, विधायक शैलेन्द्र जैन, भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम तिवारी, पूर्व जिला अध्यक्ष गौरव सिरोठिया, अजय दुबे, डाॅ. अनिल तिवारी, संजीव दुबे, अनुराग प्यासी, शैलेष केशरवानी, प्रभात सिंह बामोरा, हरिराम सिंह ठाकुर ने व्यासपीठ पर जाकर महाराज जी का पुष्पमाला पहनाकर का स्वागत किया व आषीर्वाद लिया। आज की कथा की आरती में नरयावली विधायक प्रदीप लारिया, प्रतापनारायण दुबे, अजय दुबे, डाॅ. अनिल तिवारी, संतोष पांडे, राजकुमार सुमरेड़ी, अनुराग प्यासी ,अनिल जैन, शरद जैन, रामावतार पांडे, कपिल उपाध्याय, राहुल समेले, सानिध्य तिवारी, रियार्थ दुबे, विकास तिवारी, संजय चैबे, जयनारायण तिवारी (बंडा), वीरू दुबे (गढाकोटा), भरत तिवारी, पप्पु तिवारी।  

आज की कथा में महाराष्ट्र, अमृतसर, मुरैना, ग्वालियर से बड़ी संख्या में शिष्य मंडल के सदस्य एवं भक्तजनों ने कथा श्रवण की। कल दिनांक 06 जुलाई को सतना से कथा में संतजन पधार रहे हैं। शिष्य मंडल के सदस्य अनिल दुबे और राहुल समेले ने बताया कि हजारों की संख्या में प्रतिदिन कथा आये हुऐ सभी श्रद्धालुओं को आयोजन समिति की ओर से भोजन प्रसादी भी करायी जा रही है।

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