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भक्तमाल का मूल सिद्धांत है भक्त, भक्ति, भगवंत, गुरू इसमें कोई अंतर नहीं है : श्री 108 श्री किशोर दास देव जू महाराज

भक्तमाल का मूल सिद्धांत है भक्त, भक्ति, भगवंत, गुरू इसमें कोई अंतर नहीं है : श्री 108 श्री किशोर दास देव जू महाराज 


तीनबत्ती न्यूज: 04 जुलाई, 2025
सागर : श्री भक्तमाल कथा के द्वितीय दिवस परम पूज्य श्री श्री 108 श्री किशोर दास देव जू महाराज श्री गोरेलाल कुंज श्री धाम वृन्दावन श्री महाराज जी ने भक्तमाल कथा में अपनी अमृतमयी वाणी से कहा कि कृपा मंगल स्वरूप, कृपा सर्वोपरि है। भक्ति साधन साथ नहीं है। अपने योग, ज्ञानबल, जपबल से तपबल से आदि आदि कितना भी प्रयास कर लें। बिना ठाकुर जी की कृपा से कुछ संभव नहीं है। उनकी कृपा से ही हम श्रीधाम वृन्दावन में हैं उनकी कृपा से कथा हो रही है। उनकी कृपा के बिना हम और आप यहां कथा भी नहीं सुनने आ सकते। हमारे भीतर इतना बल नहीं है कि हम अपने स्वयं बल पर कुछ कर सकते हैं। यदि नाम प्रिया जू और बिहारी जी से हमारा मन लग रहा है तो यह उनकी करूणा ही है और यदि इन सभी में हमारा मन नहीं लग रहा है तो हमारे पूर्व के जन्म के कारण हमारा मन भक्तिभाव में नहीं लग रहा है। ़लंड़ा चल नहीं सकता, गूॅंगा बोल नहीं सकता बहरा सुन नहीं सकता पर यदि कृपा जब होती है संतो की कृपा होती है तो हमें कथा सतसंग अच्छा लगता है और यह सभी कथा सतसंग सुनने चले आते हैं और श्री बिहारी श्री प्रिया जी की कृपा से सतसंग अच्छा लगने लगता है। 



उन्होंने कहा कि जब ठाकुर जी की कृपा प्राप्त हो जाती है तो जीव को यह सुख सदैव प्राप्त हो जाता है। संत चरण के दर्षन का फल क्या है? संत चरण के दर्शन का यह फल है कि अंतःकरण में सुख प्राप्त हो जाता है। संतों की कृपा अनंत है। भक्तमाल का मूल सिद्धांत है भक्त, भक्ति बापू रूप अनेक इनकी कृपा से ही हम कहने में सामर्थ्यवान हैं और इनकी कृपा से आप भक्तमाल कथा सुनने में समर्थवान हैं। जिनके अंतःकरण में श्री ठाकुर जी विराजमान हैं। उनका वर्णन करने की क्षमता मुझमें नहीं हैं और सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग चारों युगों का वर्णन श्री राधास्वामी जी ने किया है। भगवान बड़े हैं कि भगवान के भक्त बड़े हैं? चाहे श्री हनुमान जी महाराज हों, गोस्वामी तुलसीदास जी हों, स्वामी श्री हरिदास जी महाराज हों यदि ये नहीं होते तो हम आज कैसे इस लीला का रसमान करा पाते। संत चरण को ही सत्य कहा गया है और संतों की महिमा अनंत है। भगवान बड़े हैं या भगवान के नाम बड़े हैं? इसपर मंत्रणा हुई। एक महात्मा ने कहा कि प्रथ्वि सबसे बड़ी है दूसरे महात्मा ने कहा कि प्रथ्वि से बड़ा सिंधु जल है समुद्र बड़ा है क्योंकि प्रथ्वि एक जगह है और समुद्र तीन जगह है तब तीसरे महात्मा ने कहा कि ऐसा समुद्र जो समुद्र ही पी गये, वह कहाॅं बड़ा है। अगस्त जी महाराज तारा में विराजमान हैं। जब सूर्य भगवान प्रकाशित होते हैं तो तारा नहीं होता। पांचवे महात्मा ने कहा कि सूर्य कौन हैं? भगवान नारायण के नेत्र कमल हैं और घूम फिर के वहीं आ गये कि सबसे बड़े नारायण हैं। जिनके सूर्य जैसे नेत्र हैं। छठवें माहात्मा ने कहा कि मेरी दृश्टि से देखा जाये तो ऐसे नारायण जिनको अपने हृदय रूपी सिंहासन में विराजमान कर लिया तो इससे सिद्ध हो गया कि सबसे बड़ा तो भक्त ही है। भक्त, भक्ति, भगवंत, गुरू इनमें कोई अंतर नहीं है। नारद जी कहते हैं कि संतो को जो दो रूपों में देखता है वह नरक को जाता है। भगवान नारद श्री देव ऋशी से कहते हैं कि जो मेरे संतजनों से अंतर रखे वो नरक जाते हैं और कोई कितना निकट हो जो संतों का अपराध करेगा मैं उनको त्याग देता हूॅं। श्री वृन्दावान धाम के संत चरण जहाॅं-जहाॅं नगर,गाॅंव, षहर जहाॅं भी पड़ते हैं वहीं श्री वृन्दावनधाम बन जाता है। संत चरण की कृपा से गुरूजन की कृपा से ही व्यक्ति मुझे पाने का अधिकारी हो जाता है।

शिष्य मंडल के सदस्य डाॅ. अनिल तिवारी एवं अनिल दुबे ने बताया कि, शनिवार को परम पूज्यनीय श्री राम अनुग्रह दास जी महाराज छोटे सरकार एवं मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं सागर जिला प्रभारी मंत्री पं. श्री राजेन्द्र शुक्ल जी एवं खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत जी का भी कथा में आगमन होगा। 08 जुलाई को श्री राधाकृष्ण जी महाराज श्रीधाम वृन्दावन का भक्तमाल कथा में आगमन होगा। 

निःशुल्क बस सेवा

श्री भक्तमाल कथा में प्रतिदिन निशुल्क बस सेवा समय दोपहर 02ः45 से पद्माकर सभागार मोती नगर चौराहा से कथा स्थल तक निशुल्क रहेगी। द्वितीय दिवस कथा आरती में पूज्य पंडित श्री रमेश पांडे जी, बमबम महाराज शारदा पीठ उपस्थित रहे एवं कथा की आरती की। 

ये रहे मोजूद

आरती करने वालों में श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह विधायक पन्ना, प्रताप नारायण दुबे, अजय दुबे, डाॅ. अनिल तिवारी, अमृत मिश्रा, अंकित पांडे, जगदीश तिवारी, पप्पू तिवारी, अंकित दुबे, विनय मिश्रा ने आरती की। व्यास पीठ से आषीर्वाद लेने वालों में रामावतार पांडे, प्रदीप राजौरिया, प्रहलाद प्यासी, वैभव दुबे (बीना), विवके मिश्रा (बंडा), जितेन्द्र खटीक पार्षद, मृदुल पन्या, अतुल तिवारी, शिवम दुबे, अदित्य पांडे, गिरीश कांत तिवारी, आषीश गोस्वामी, तनु नेमा।  श्री गोपाल महायज्ञ में श्रीमती प्रमिला-अनुराग प्यासी, श्रीमति अंजु-अनिल नायक, अरूण नायक, महेंद्र दुबे ने यज्ञ में आहुतियां दीं।  रावतपुरा सरकार से शिष्य मंडल के श्री अजय दुबे  एवं डाॅ. अनिल तिवारी  ने आषीर्वाद लिया एवं  भक्तमाल कथा में आने का आग्रह किया।
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