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अभियोजन अधिकारियों ने 11 सूत्रीय मांगो के लिए अपर कलेक्टर को सौपा ज्ञापन


अभियोजन अधिकारियों ने 11 सूत्रीय मांगो के लिए अपर कलेक्टर को सौपा ज्ञापन
सागर। जिला अभियोजन कार्यालय सागर के अभियोजन अधिकारियों ने म.प्र. लोक अभियोजन अधिकारी ने अपनी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन अपर कलेक्टर मूलचंद्र वर्मा को दिया गया। जिसमें अभियोजन कार्यालय से अभियोजन अधिकारीगण अमित जैन, सौरभ डिम्हा, श्याम नेमा, सचिन गुप्ता, मनोज नायक, अशीष त्रिपाठी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहें।
जन संपर्क अधिकारी अमित जैन ने बताया कि नियमित संवर्ग के अभियोजन अधिकारी राज्य लोक सेवा आयोग राजपत्रित अधिकारी हैं, जिनका प्रमुख कार्य आपराधिक न्यायालय में पैरवी, अपील-रिवीजन, विभिन्न विभागों को विधिक सलाह, सजा के आंकडे, आपराधिक मामलों की मानीटरिंग, प्रशिक्षण व स्क्रूटनी  आदि है। राज्य के उक्त संवर्ग द्वारा हाल के वर्षोंे में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अधिकांश आपराधिक मामलों मे सजा कराई गई है, जिसमें राज्य भर में हत्या बलात्संग, पाॅक्सों आदि के गंभीर मामलों में पिछले दो वर्षों में कराई गई 31 मृत्युदंड तथा लगभग 100 आजीवन कारावास की सजा भी है जो राष्ट्रªीय स्तर पर एक रिकार्ड हैं वर्तमान में उक्त संवर्ग के अभियोजन अधिकारी को मजिस्ट्रेट न्यायालयों तथा शासन स्तर पर मात्र चिन्हित जघन्य सनसनीखेज अपराधों, लोकायुक्त, म्व्ॅए च्व्ब्ैव्   तथा कुछ जिलों में ैब्ैज् तथा छक्च्ै  के विशेष न्यायालयों में ही पैरवी के अधिकार दिए गए है, जिनमें नियमित संवर्ग के पैरवी के परिणाम स्वरूप अधिकांश मामलो में सजा कराने में सफलता मिली है तथा सजा का प्रतिशत हाल के वर्षों में लगभग 70 प्रतिशत रहा है। यह संवर्ग अपने सतत कार्य-अनुभव व प्राप्त विभिन्न प्रशिक्षण तथा स्थाई सेवा व गृह जिले से बाहर पदस्थापना के कारण अत्यंत प्रभावी व उत्तरदाई तथा विश्वसनीय अभियोजन संवर्ग है विटनेस-हेल्पडेस्क तथा प्राॅसीक्यूशन पोर्टल के माध्यम से यह संवर्ग साक्षियों तथा पीडित व्यक्तियों  की मदद भी करता है व जानकारी उपलब्ध कराता है हाल के वर्षो में राष्ट्रªीय व अन्तरराष्ट्रªीय स्तर पर अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार-अवार्ड भी इस संवर्ग को मिल चुके है। प्राॅसीक्यूसन मोबाइल एप के द्वारा प्रत्येक अभियोजन अधिकारी के कार्याें की निरंतर समीक्षा भी की जाती है तथा  उनके कार्यों की माॅनिटरिंग विभाग द्वारा सतत रूप से होती है।
 नियमित संवर्ग के अभियोजन अधिकारियों की लंबे समय से मांग रही है कि सेशन स्तर के न्यायालयों में लोक अभियोजक व अतिरिक्त लोक अभियोजकों के पद दिए जांए जिससे गंभीर अपराधों  में प्रभावी पैरवी की जाकर अपराधियों को सजा दिलाई जा सके। किंतु नियमित सेवा, उत्कृष्ट प्रदर्शन व उत्तरदायित्व से जुडे होने के बाबजूद नियमित सेवा के इस संवर्ग के अभियोजन अधिकारियों की निरंतर उपेक्षा की जाती रही है तथा योग्य, अनुभवी व उत्तरदाई होने के बावजूद मुख्यतः निचली अदालतों में ही कार्य का अवसर दिया जाता है जबकि इसके विपरीत बिना योग्यता परीक्षण के गैर नियमित संवर्ग को अस्थाई रूप से गृह जिले के भीतर ही, स्थानीय स्तर पर लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक  के रूप में नियुक्ति कर दी जाती है जहां लोकल संपर्क, निजी प्रैक्टिस, उत्तरदायित्व के अभाव तथा कार्य अनुभव की कमी आदि के कारण गंभीर आपराधिक मामलों में समुचित पैरवी तथा अपील-रिवीजन की कार्यवाही नहीं हो पाती। गैर संवर्ग के अभियोजकों पर शासन का कोई नियंत्रण नही होता तथा उन पर सिविल कंडक्ट रूल्स लागू नही होता। उनकी इस स्थिति का नुकसान पीडित पक्ष को उठाना पडता है और सजा का प्रतिशत गिरता है। यह आपराधिक न्याय प्रशासन व जनहित में भी नही है। इस विषय सहित कुल 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आज नियमित संवर्ग के अभियोजन अधिकारियों द्वारा पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर कलेक्टर महोदय के माध्यम से प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।   
11-सूत्रीय मांगें

1. सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी का वेतनमान छठवें वेतन आयोग में ग्रेड पे 5400 रूपये पर निर्धारित किया जाये।

2. लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक के पद नियमित संवर्ग के लिए आरक्षित की जाए।

3. संवर्ग के अधिकारियों का लंबित समयमान अविलंब स्वीकृत किया जाए।

4. जिला स्तर पर प्रत्येक अभियोजन कार्यलय हेतु कम से कम एक शासकीय एसयूवी वाहन हेतु 30000 रूपये मासिक बजट स्वीकृत किया जाए।

5. कार्य के दौरान आवश्यक स्टेशनरी, विधिक पुस्तकों, समाचार पत्रों व पत्रिकायों हेतु लाइब्रेरी एलाउंस 1000 रूपये मासिक प्रत्येक अभियोजन अधिकारी को स्वीकृत किया जाए।

6. संचालनालय लोक अभियोजन तथा जिला व तहसील लोक अभियोजन कार्यालय भवन हेतु समुचित राशि स्वीकृत की जाए।

7. न्यायालय में पैरवी के दौरान निर्धारित गणवेश हेतु प्रत्येक अभियोजन अधिकारी को ड्रेस एलाउंस 8000 रूपये वार्षिक स्वीकृत किया जाए।

8. प्रत्येक जिला व तहसील में पदस्थ अभियोजन अधिकारियों को शासकीय आवास उपलब्ध कराए जाए अथवा बाजार दर पर मकान किराया भत्ता प्रदान किया जाए।

9. सभी जिलों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रकरणों हेतु उपसंचालक स्तर के विशेष लोक अभियोजक के पद स्वीकृत किए जाएं।

10. प्रत्येक संभाग में प्रशासनिक नियंत्रण हेतु संयुक्त संचालक अभियोजन के तािा जिला स्तर पर पर्याप्त संख्या में क्क्च्ध्।कण् क्च्व् के पद स्वीकृत किये जाये।

11. अन्य समकक्ष सेवाओं के अनुरूप चार स्तरीय समयमान और काडर रिव्यू की जाकर पदोन्नत पदों क्च्व् तथा क्क्च् की संख्या, फीडर काडर के 50 तक की जानी चाहिए। साथ ही संचालनालय लोक अभियोजन का पुनर्गठन भी किया जावे।
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