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SAGAR : नाबालिग बालक से अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को 20 साल की सजा, पीड़ित को एक लाख का प्रतिकर देने के आदेश

नाबालिग बालक से अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को 20  साल की सजा, पीड़ित को एक लाख का प्रतिकर देने के आदेश


सागर। नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी विपिन बाल्मिकी पिता छोटे लाल बाल्मिकी उम्र 23 वर्ष निवासी थाना अंतर्गत भानगढ़ जिला सागर को श्री हेमंत कुमार अग्रवाल विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट बीना जिला सागर की न्यायालय ने भादवि की धारा 363 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास व 500 रुपए अर्थदंड तथा  5/6 पोक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास व  1000 रुपए का अर्थदंड तथा पीड़ित बालक को ₹100000 का प्रतिकर दिये जाने का आदेश दिया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्याम सुंदर गुप्ता विशेष लोक अभियोजक/सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने की।
जिला अभियोजन के सहायक मीडिया प्रभारी अमित जैन ने बताया कि दिनांक 17 मार्च 2020 के करीब 6:00 बजे फरियादिया का छोटा लड़का पीड़ित बालक लंगड़ा कर चल रहा था उसने पूछा कि क्या हुआ तब पीड़ित बालक ने बताया कि कल दिन के करीब 1:00 बजे वह विपिन के घर के पास बनी पुलिया के पास खेल रहा था। तभी विपिन आया और उसे अपने साथ अपने घर जबरदस्ती ले गया । 




घर के अंदर ले जाकर उसके कपड़े उतारकर पीछे तरफ जबरदस्ती बुरा काम किया। उसे दर्द हुआ तो वह चिल्लाया तब विपिन वहां से भाग गया। फिर पीड़ित बालक अपने कपड़े पहन कर अपने घर वापस आ गया। यह बात पीड़ित बालक ने फरियादिया को बताई फिर फरियादिया ने यह बात अपने परिवार के चाचा को और भाई को बताई जो बदनामी के डर से रिपोर्ट कराने नहीं गए। लेकिन 18 मार्च 2020 को पीड़ित बालक को गुप्तांग में दर्द हो रहा था व चलने में परेशानी हो रही थी तो फरियादिया रिपोर्ट कराने गई। फरियादियों की रिपोर्ट पर से आरोपी के विरुद्ध थाना भानगढ़ में अपराध पंजीबद्ध किया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। लगभग 2 वर्ष तक न्यायालय में विचारण चला। जहां अभियोजन ने मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी विपिन वाल्मीकि को 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा से दंडित करने का आदेश दिया। साथ ही न्यायालय ने पीड़ित बालक को ₹100000 का प्रतिकर दिए जाने का आदेश दिया। प्रकरण में विशेष बात यह रही कि डी.एन.ए. रिपोर्ट नकारात्मक होने पर भी अभियोजन ने अन्य साक्ष्यों को प्रमाणित किया और आरोपी को सजा हुई।
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