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शरीर नश्वर है कीर्ति काया अमर है - डॉ. सुरेश आचार्य◾कवि स्व. निर्मल चंद्र निर्मल की प्रथम पुण्यतिथि पर डॉ. सीरोठिया निर्मल साहित्य अलंकरण से विभूषित

शरीर नश्वर है कीर्ति काया अमर है - डॉ. सुरेश आचार्य

◾कवि स्व. निर्मल चंद्र निर्मल की प्रथम पुण्यतिथि पर डॉ. सीरोठिया निर्मल साहित्य अलंकरण से विभूषित

सागर। ख्यातनाम कवि स्मृति शेष निर्मल चंद निर्मल की प्रथम पुण्यतिथि पर श्यामलम्‌ संस्था एवं निर्मल परिवार द्वारा स्मरण पर्व का गरिमामय आयोजन आदर्श संगीत महाविद्यालय में  किया गया।इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि निर्मल चंद निर्मल स्मृति सम्मान समारोह एक श्रेष्ठ अकादमिक पहल है। सागर के साहित्य समाज द्वारा दिवंगत साहित्यकारों की स्मृति में किए जाने वाले इस तरह के आयोजनों को उन्होंने पूरे देश में अनोखा और एकमात्र कहा।

 उन्होंने दादा निर्मल जी के जीवन को कविता का पर्याय व्यक्त करते हुए उसे गंगा की तरह निर्मल और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओत-प्रोत, समाज के भीतर सच्चाई और इंसानियत की प्रतिष्ठा की खोज बताते हुए उनके सादगी भरे व्यक्तित्व और सहज लेखन को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत कहा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. सुरेश आचार्य ने कहा निर्मल जी अपनी

कविताओं में सदा जीवित रहेंगे। शरीर नश्वर है कीर्ति काया अमर है। उन्होंने निर्मल जी की पुस्तक अंतिम किस्त का उल्लेख करते हुए कहा कि उसकी अंतिम पंक्तियों में उनकी अंतिम कुंडली रचना जीवन का सत्य उद्घाटित करती है। उनके काव्य संग्रह श्रृंखला के इस 23 वें अंक में उनकी सार्थिक उपस्थिति है।
उनके ऊपर केंद्रित "सत्य से साक्षात्कार का कवि निर्मल"  उनका महत्वपूर्ण स्मरण है।
    कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि साहित्यकार टीकाराम त्रिपाठी ने निर्मल की रचनाधर्मिता की चर्चा करते हुए कहा कि वे सहृदय और सरल मन के बड़े गीतकार थे। छंद पर उन्हें असाधारण अधिकार था यद्यपि उन्होंने अतुकांत कविताएं भी लिखी हैं। 

वे अहंकार शून्य थे और वास्तव में निर्मल मन के, प्रेम और करुणा के कवि थे। राष्ट्रीयता से ओतप्रोत उनकी अनेक कविताएं हैं। उन्हें अभिधा शब्द शक्ति में प्रचलित भाषाभाव बोध की कविता प्रिय थी।

कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों, परिजनों और उपस्थित जन द्वारा स्व.निर्मल के चित्र पर पुष्पांजली से हुआ। आयोजक संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत उद्बोधन दिया। सुप्रसिद्ध बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने निर्मल जी की रचना का मधुर गायन किया। इस अवसर पर स्वर्गीय निर्मल चंद निर्मल की अंतिम कृति काव्य संग्रह "अंतिम किस्त" का विमोचन भी मंच द्वारा किया गया।स्व. निर्मल के पुत्र डॉ. नलिन जैन ने उनका जीवन परिचय दिया। इस अवसर पर नगर के ख्यात गीतकार कवि डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया को पुष्पहार, शाॅल,श्रीफल, सम्मान निधि एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर "निर्मल साहित्य अलंकरण" 2022 से विभूषित किया गया। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने अभिनंदन पत्र वाचन किया।

निर्मल साहित्य अलंकरण से विभूषित गीतकार कवि डॉ. श्याम मनोहर सीरोठिया‌ ने अपने वक्तव्य में निर्मल को हिंदी के बड़े हस्ताक्षर बताते हुए उन्हें अजातशत्रु कहा। वे सभी तरह के बाद विवादों से परे थे एवं उनका धर्म मानव धर्म था ।कार्यक्रम का सुचारू और सराहनीय संचालन म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया तथा श्यामलम् सह सचिव संतोष पाठक ने आभार व्यक्त किया।

 कार्यक्रम में नगर के प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे जिनमें श्रीमती कौशल्या निर्मल चंद जैन, शुकदेव प्रसाद तिवारी, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, कृष्ण मुरारी नायक, मणिकांत चौबे, डॉ गजाधर सागर,मुन्ना शुक्ला, सुबोध मलैया,चंद्रशेखर चौबे, डॉ आशीष द्विवेदी, अंबिका यादव,डॉ संदीप श्रीवास्तव, डॉ अरविंद गोस्वामी, रमेश दुबे, हरिसिंह ठाकुर,राघवेंद्र नायक, डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ अनिल जैन, डॉ अमर जैन, डॉ. सुश्री शरद सिंह, श्रीमती सुनीला सराफ, निरंजना जैन, डॉ. कविता शुक्ला, डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी, ममता भूरिया, देवकी नायक, वीरेंद्र प्रधान, ज.ला. राठौर प्रभाकर, सतीश पांडेय, हरी शुक्ला, रमाकांत शास्त्री, मुकेश तिवारी, डॉ विनोद तिवारी, के एल तिवारी, के के बख्शी, वृंदावन राय सरल, सीताराम श्रीवास्तव, पूरन सिंह राजपूत, शिखर चंद शिखर, प्रभात कटारे,अशोक तिवारी अलख, डॉ बी डी पाठक, ऋषभ जैन, दामोदर अग्निहोत्री, डॉ अतुल श्रीवास्तव, पैट्रिस फुस्केले, असरार अहमद, पवन रजक, अमित आठया, जगदीश लारिया, दामोदर चक्रवर्ती, एम शरीफ, चंद्रकुमार जैन, बिहारी सागर,अमित चौबे सहित स्वर्गीय निर्मल के परिजन शामिल हैं।




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