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बाघ 'किशन' को ट्रैंक्यूलाइज कर पहनाया गया नया वीएचएफ रेडियो कॉलर

बाघ 'किशन' को ट्रैंक्यूलाइज कर पहनाया गया नया वीएचएफ रेडियो कॉलर

#पन्नाा टाइगर रिजर्व व जबलपुर राज्य वन अनुसंधान से आई थी टीमें
#वन मंडल के अफसरो ने पहनाया वीएचएफ

@चैतन्य सोनी (नवदुनिया से)
सागर।नौरादेही अभयारण्य में लगातार दो दिन तक वैज्ञानिकों और वन विभाग की टीमों को छकाने के बाद आखिरकार सोमवार को वनराज किशन (एन-2) मिल ही गया। पन्नाा टाइगर रिजर्व व राज्य वन अनुसंधान जबलपुर से आए विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम ने उसे ट्रैंक्यूलाइज कर सफलता पूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया। बाघ की पिछले तीन दिन से नौरादेही के जंगलों की सर्चिंग की जा रही थी। तीसरे दिन सोमवार सुबह बाघ की लोकेशन मिली और विशेषज्ञों की टीम ने बाघ को करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद बेहोश कर रेडियो कॉलर पहनाया है।
       बाघों की सुरक्षा को लेकर राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक चिंतित रहती है। सागर के नौरादेही अभयारण्य में मौजूद बाघ-बाघिन की लोकेशन ट्रेस करने के लिए उनके गले में वेरी हाई फ्ररिक्वेंसी रेडियो कॉलर पहनाने का निर्णय लिया गया था। शुक्रवार को पन्नाा टाइगर रिजर्व से बाघ चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता व उनकी टीम एवं राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर से रेडियो कॉलर पहनाने में एक्सपर्ट डॉ. अंजना राजपूत व उनकी टीम के तीन सदस्य सागर आए थे। नौरादेही वन मंडल अधिकारी नवीन गर्ग, नौरादेही बरमान रेंज के एसडीओ सुशील कुमार प्रजापति सहित मैदानी अमला शनिवार व रविवार से नौरादेही रेंज में बाघ को तलाशने में जुटा हुआ था। टीम लगातार जंगल में वनराज किशन की लोकेशन ट्रेस करने में जुटी रही, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया।
करीब ढाई घंटे चला वीएचएफ कॉलर पहनाने का अभियान
सोमवार को नौरादेही में मैदानी अमले ने डीएफओ नवीन गर्ग को सूचना दी कि बाघ किशन नौरादेही रेंज में ही मौजूद है। उसे देखा गया है। तत्काल विशेषज्ञ व चिकित्सकों की टीम मौके के लिए रवाना हो गई। करीब 10 बजे बाघ नजर आ गया। फिर शुरू हुआ बाघ को बेहोश (ट्रैंक्यूलाइज) करने का अभियान। दो घंटे की मशक्कत के बाद करीब 12 बजे बाघ किशन को बेहोश कर वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता की टीम ने पास पहुंचकर उसका परीक्षण किया। उनकी अनुमति के बाद डॉ. अंजना गुप्ता की टीम ने बाघ के गले में वीएचएफ रेडियो कॉलर सफलता पूर्वक पहनाया। चिकित्सकों की टीम ने फिर एक बार किशन का स्वास्थ्य परीक्षण कर सबकुछ ठीक होने के बाद उसे बेहोशी की दवा का असर खत्म करने के लिए दवा दी। इसके बाद एक निश्चित दूरी बनाकर टीम बाघ के होश में आने का इंतजार करती रही। करीब आधे घंटे बाद बाघ किशन को होश आया और वह कुछ देर इधर-उधर देखने के बाद खड़ा हुआ और धीरे-धीरे जंगल में चला गया।
साल 2018 में अप्रैल और मई में आए थे बाघ-बाघिन
नौरादेही में बाघ-बाघिन को करीब डेढ़ साल पहले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर बसाया गया था। पहले कान्हा टागर रिजर्व से युवा बाघिन राधा और फिर मई में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ किशन को लगाया गया था। बाघिन को एन-1 और बाघ को एन-2 नाम दिया गया था। दोनों की लाइव लोकेशन ट्रेस करने के लिए रेडियो कॉलर पहनाए गए थे। जोरदार बारिश और अन्य कारणों से यह खराब हो गए थे और बीते कई महीनों से दोनों की लोकेशन ट्रेस करने में काफी मशक्कत करना पड़ रही थी। बाघ नौरादेही अभयारण्य के लंबे चौड़े जंगली क्षेत्र में जब-तब गायब हो जाता रहा है। वन विभाग ने उसके गले में नया रेडियो कॉलर पहनाने का निर्णय लिया था।
एन-2 बाघ को वीएचएफ कॉलर पहनाया 
राज्य वन अनुसंधान जबलपुर और पन्नाा टाइगर रिजर्व से विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम ने नौरादेही रेंज में बाघ को ट्रैंक्युलाइज कर सफलता पूर्वक वीएचएफ रेडियो कॉलर पहना दिया है। बाघ का परीक्षण भी किया गया है। वह बिलकुल स्वस्थ्य है। उस पर हमारा मैदानी अमला नजर बनाए हुए है। बाघिन और शावक भी सुरक्षति हैं। तीन दिन पहले बाघिन की लोकेशन भी ट्रेस हुई है।
- नवीन गर्ग, वन मंडल अधिकारी, नौरादेही अभयारण्य, सागर

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