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गाय राष्ट्र की उन्नति का मूल आधार : आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज

गाय राष्ट्र की उन्नति का मूल आधार : आचार्य श्री धर्मेंद्र जी महाराज

★ गौ सेवा संघ के शताब्दी वर्ष समारोह में आचार्य स्वामी श्रीधर्मेन्द्र जी महाराज की धर्मसभा एवं गोपाष्टमी कार्यक्रम हुआ

★ विधायक निधि से निर्मित बाऊन्ड्री वाल का लोकार्पण सम्पन्न 

सागर। आचार्य  स्वामी श्री धर्मेन्द्र  महाराज के सानिध्य में  गौ सेवा संघ सागर के 100वें वर्ष में प्रवेश के  अवसर पर तीन दिवसीय शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के उपलक्ष्य में  धर्मसभा आयोजित की गई । इसमें गौ सेवा संघ के सौ वर्षो के लगातार संघर्ष एवं विकास पर प्रकाश डालते हुये  आचार्य जी ने वर्तमान में विश्व के कल्याण हेतु गौमाता की शरण में जाने का सुझाव दिया । उन्होंने गाय माता के आधार पर की जाने वाली पारंपरिक खेती का पक्ष लेते हुये गाय को राष्ट की उन्नति का मूल आधार बताया । भारत की सनातनी परम्परा को बनाये रखने के लिये शिक्षा पद्धति को संस्कृति आधारित होने पर जोर देते हुये 'अंग्रेजियत मुक्त भारत' बनाने का संकल्प लेने पर जोर दिया । उद्बोधन को आगे बढ़ाते हुये उन्होंने नया संदेश दिया कि देश की समस्त समस्याओं का कारण देश भक्ति की कमी का होना है अतः देश की समस्याओं के निराकरण के लिये मूल मंत्र होना चाहिये "देशभक्तों का साथ, देशभक्ति का विकास"।उन्होंने कहा कि भारत भूमि पुण्य भूमि है, स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है, 14  वर्ष के वनवास के दौरान  सोने की लंका को जीतने के बाद वे लक्ष्मण जी से कहते हैं मुझे मेरी जन्मभूमि स्वर्ग से भी प्रिय है और यह स्वर्णनगरी लंका मुझे तनिक भी नहीं भाती ।

अपि स्वर्णमयी लंका मो न लक्ष्मण रोचते ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।।

गोपष्टमी मनाई आचार्य श्री के सानिध्य में

गौ सेवा संघ परिसर मोतीनगर में आचार्य श्री के सानिध्य में गोपाष्टमी कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमेें गौपालकों का सम्मान किया गया । गौ माता के निमित्त विशिष्ट सेवायें प्रदान करने पर नगर विधायक शैलेन्द्र  जैन एवं श्री कमल पाहवा जी को "गौ भक्त" का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया ।इस अवसर पर भावपूर्ण वातावरण में आचार्य श्री 'गौशाला' का काव्यात्मक पाठ कर श्रावकों को धन्य कर दिया ।
विधायक निधि से निर्मित राशि 2.75 लाख की बाउन्ड्री वाल का लोकार्पण कार्यक्रम पंचखंड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी श्रीधर्मेन्द्र जी महाराज एवं सागर नगर विधायक शैलेन्द्र जैन के कर कमलों से सम्पन्न हुआ । 
दोनों कार्यक्रम जयपुर विराट नगर से पधारे संत ब्रजमोहन जी शर्मा एवं रामगोपाल शर्मा सम्मिलित रहे । गौ सेवा संघ के संरक्षक संतोषी सोनी मारूति, सुरेश सोनी एडवोकेट, अध्यक्ष लोकनाथ मिश्र, उपाध्यक्ष कमल पाहवा, कोषाघ्याक्ष अरविंद घोषी, सचिव रूपकिशोर अग्रवाल, सहसचिव जगदेवसिंह ठाकुर, सदस्य महेन्द्र गुप्ता, प्रभात मिश्रा, अनिल अवस्थी, जितेन्द्र  साहू एडवोकेट, प्रेम घोषी, राजेन्द्र घोषी, पप्पू तिवारी शिवसेना प्रदेश उपप्रमुख, गणेश सोनी, रणछोड़ी सोनी, प्रदीप राजौरिया, अनिल रजक, राजेन्द्र जारोलिया, शिवनारायण सोनी, बद्रीविशाल रावत, अवतार सिंह राजपूत सहित सैकड़ो गौभक्त सम्मिलित रहे।  महाराज जी कल सुबह 10 बजे गौ सेवा संघ के संरक्षक श्री लालचंद घोषी के निवास पर समस्त शिष्य मंडल एवं आमजन से मुलाकात करेंगे ।

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आचार्य श्री ने दिए संकल्प सूत्र

1. गौरीशंकर शिखर एवं कैलास मानसरोवर सहित सम्पूर्ण हिमालय से कन्याकुमारी (सेतुबंध रामेश्वर) तक एवं केकय प्रदेश, गंधार से ब्रम्हदेश (म्यांमार) तक, प्रकृति निर्मित अखण्ड अविभाज्य भारत भूमि में अविजेय एवं अविभाजित हिन्दू-राष्ट्र की पुर्नप्रतिष्ठापना. पाकिस्तान, आजाद-कश्मीर या बांग्लादेश जैसे अनावश्यक, अप्राकृतिक, आतंकी, घृणामूलक उपनिवेशों की सम्पूर्ण सम्पूर्ण समप्ति.

2. भारत वर्ष अथवा "हिन्दुस्थान" को विदेशी साम्राज्यवादियों द्वारा दिये गये, अपमानजनक नाम 'इंडिया' को विधिवत् हटाकर भारतवर्ष और "हिन्दुस्थान" नामों का संविधान सम्मत अधिकृत प्रचलन.

3. धर्मनिरपेक्षता के भ्रमपूर्ण, भ्रांतिजनक तथा अनैतिक सिद्धांत का विसर्जन करके, सर्वकल्याणकारी धर्मनिष्ठ लोकतंत्र की स्थापना.
4. प्रातःकाल प्रकट होते हुए भगवान सूर्य के दिव्य दीप्त वर्ण  की द्विभुज पताका को भारत के राष्ट्रध्वज की मान्यता.
5. अंग्रेजी भाषा, भूषा, भोजन और जीवन-पद्वति के स्थान पर भारतीय भाषाओं, संस्कृति, सभ्यता एवं शिक्षा-प्रणाली का व्यापक प्रचलन तथा सर्वाधिक प्रचलित हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा की व्यावहारिक मान्यता.  भारतीय कला, संगीत साहित्य एवं चिकित्सा पद्वति का संरक्षण प्रचलन एवं विस्तार.
6. सम्पूर्ण भारत में गोवंश की हत्या पर कठोर प्रतिबंध एवं गोहत्यारों को मृत्युदंड का प्रावधान, औद्योगिक प्रदूषण एवं रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा हेतु गो-आधारित कृषि तथा ग्रामोद्योगों, गृहोद्योगों का संरक्षण संवद्र्वन और प्रचलन.
7. मातृ-पूजा की सनातन परम्परा का व्यापक विस्तार, नारी-उत्पीड़न और बलात्कार जैसे जघन्य दुराचारों पर शीघ्रतम एवं कठोरतम दंड-विधान की व्यवस्था.  नारी देह प्रदर्शन और अश्लीलता के विरुद्व देशव्यापी वातावरण का निर्माण. 
8. मांसाहार मद्यपान एवं सभी प्रकार के दुव्र्यसनों से मुक्त भारतीय समाज की रचना हेतु व्यापक जनचेतना-जागरण.
9. उपासना और भक्ति को आवरण में फैले पाखंड के उन्मूलन हेतु व्यापक जनचेतना जागरण. 
10. भारत के दो अरब वर्षो के महान इतिहास के प्रामाणिक स्वरूप के शोध, प्रकाशन और प्रचार-प्रसार की योजना.
11. श्रीराम-जन्मभूमि, श्रीकृष्ण-जन्मस्थान, श्रीकाशी-विश्वनाथमंदिर, और धारानगरी-भोजशाला जैसे तीर्थो एवं मंदिरों की इस्लामी अतिक्रमण से मुक्ति और उद्धार.
12. 'राष्ट्रपिता' की असंवैधानिक और असत्य अवधारणा का उन्मूलन, भारतीय मुद्रा (करेंसी) पर राष्ट्र की गौरवमयी विभूतियों और प्रतीकों का प्रकाशन, श्रीराम, कृष्ण, बुद्व महावीर, नानक, कबीर, दुर्गावती, लक्ष्मीबाई, तिलक, रवीन्द्र, प्रताप, शिवाजी, भगतसिंह, सुभाष, अशफाक, अम्बेडकर, डाॅ. ए.पी.जी अब्दुल कलाम, प्रभति विभूतियों का यथोचित सम्मान.
13. भारतीय तीर्थो एवं नगरों के ऐतिहासिक नामों की पुनप्र्रतिष्ठा 'इलाहाबाद' को 'प्रयाग', फैजाबाद को 'साकेत', गाजियाबाद को 'हुतात्मानगर' शाहजहाँपुर को 'बिस्मिलनगर', अहमदाबाद को 'कर्णवती', हैदराबाद को 'भाग्यनगर', दिल्ली को 'इन्द्रप्रस्थ' एवं मिर्जापुर को 'मीरजापुर' जैसे गौरवपूर्ण नामांे से विभूषित करना.
14. भिक्षावृति का आमूल उन्मूलन, करोड़ों गृहविहीन भारत-संतानों को आजीविका और अपने निजी घर की छाया उपलब्ध कराना.
15. 'सबका साथ, सबका विकास' की भ्रांति का निवारण करके देशभक्तों का साथ, देशभक्ति का विकास, को लक्ष्य बनाना.
16. हिन्दू समाज में कोई दलित, अपवित्र या अस्पृश्य नहीं है. भारत-माता की सभी संतानें एक विराट आत्मीय परिवार का अंग है. इस भावना का विकास. अस्वच्छता अपवित्रता का त्याग करके शुचिता और पावनता को जीवन का पर्याय बनाने की इच्छाशक्ति का निर्माण.
17. जातिगत आरक्षण के अभिशाप से मुक्ति और सबको योग्यताअर्जन और उन्नति के अबाध अवसर प्रदान करने की सामाजिक एवं शासकीय संरक्षण व्यवस्था की स्थापना. 
18. 'लवजिहाद' के षड्यंत्र से हिन्दू कन्याओं की सुरक्षा. 
19. अपने सनातन धर्म एवं संस्कृति में प्रत्यावर्तन की इच्छाशक्ति और संकल्प, भटकी हुई हिन्दू संतानों के हृदयों में जाग्रत करना.
20. प्रत्येक हिन्दू को शिखा और तिलक से विभूषित करना.
21. 'वन्देमातरम्' को भारत का राष्ट्रगान घोषित करना.
22. भारतीय संगीत, नृत्य एवं ललित कलाओं का संपोषण और संवर्द्धन.
23. मनोरंजन के नाम पर अनैतिकता, चरित्रहीनता और पथभ्रष्टता पर प्रतिबंध, स्वस्थ मनोरंजन को मौलिक अधिकार की मान्यता.
24. 'मेक इन इंडिया' की भ्रांति से मुक्ति श्रेष्ठ भारतीय उत्पादनों के सम्पूर्ण विश्व में उचित मूल्य पर निर्यात की नीति का अवलम्बन. 
25. विदेशनिष्ठ समुदायों या व्यक्तियों का भारत से यथाशीघ्र बलपूर्वक निष्कासन.
                    सब मिल बोलो मंत्र महान !
                     हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्थान  !!
स्मरण रखिये ! आपको अपने समाज और राष्ट्र का कायाकल्प करना है. इस महान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्वयं दलगत राजनीति से दूर रहना है । मुक्त करना है तो स्वयं मुक्त रहिए.


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