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नौरादेही अभयारण्य की बर्ड वाचिंग साइट अद्भुत, यहां दिखते हैं कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी★ अभ्यारण्य की सीमा से एक किलोमीटर का क्षेत्र इको सेंसेटिव जो़न घोषित


   
नौरादेही अभयारण्य की बर्ड वाचिंग साइट अद्भुत, यहां दिखते हैं कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी

★ अभ्यारण्य की सीमा से एक किलोमीटर का क्षेत्र इको सेंसेटिव जो़न घोषित



सागर 5 मई 2022।जैव विविधता के लिए मशहूर नौरादेही अभयारण्य सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों में फैला हुआ प्राकृतिक दृष्टि से एक अत्यंत मनोरम स्थल है। हाल ही में बाघों की तीसरी पीढ़ी से सुसज्जित हुए इस अभयारण्य की वर्ड वाचिंग साइट भी अद्भुत है, जहां कई अनोखे और दुर्लभ पक्षी देखने मिलते हैं।

गुरुवार को संपन्न हुई नौरादेही इको सेंसिटिव जोन के तहत निगरानी समिति की बैठक में निगरानी समिति के अध्यक्ष एवं सागर संभाग आयुक्त श्री मुकेश शुक्ला ने कहा कि इस अभ्यारण्य की बर्ड वाचिंग साइट अद्भुत है। यहां कई प्रकार के दुर्लभ पक्षी देखने मिलते हैं। अभ्यारण्य की इस विशेषता को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यहां विभिन्न प्रकार के जीव जंतु , फ्लोरा और फौना के संरक्षण तथा संवर्धन के साथ ही टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है।

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संभागायुक्त श्री शुक्ला ने कहा कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत नौरादेही अभयारण्य के 1 किलोमीटर क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। निगरानी समिति की बैठक में इस ईको सेंसिटिव जोन में प्रतिबंधित



क्रियाकलापों तथा संवर्धित क्रियाकलापों पर विस्तृत चर्चा की गई जिसके बाद समिति ने निर्णय लिया कि पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र में ऐसे किसी भी प्रकार की गतिविधि को प्रतिबंधित किया जाएगा जिससे वहां की जैव विविधता, फ्लोरा, फौना एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़े।

उल्लेखनीय है कि ईको सेंसेटिव जोन के तहत आबादी वाले कुल 80 ग्राम आ रहे हैं। जिसमें सागर जिले के 49, दमोह जिले के 17, नरसिंहपुर जिले के 11 एवं जबलपुर जिले के 3 ग्राम शामिल हैं। संभागायुक्त श्री मुकेश शुक्ला ने कहा कि अभ्यारण के समुचित विकास और संरक्षण के साथ-साथ गांव वासियों की आवश्यकताओं , उनकी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से विभिन्न जरूरतों का भी ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड की ओर से आए प्राइवेट कंसलटेंट ऑन अर्न्स्ट एंड यंग और मेटा कंसलटेंट  प्रतिनिधियों को उक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान बनाने के लिए निर्देशित किया।

उन्होंने कहा कि, ईको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत तैयार किये जा रहे विस्तृत मास्टर प्लान में जो भी विकास होगा वह निगरानी समिति की अनुमति के आधार पर ही होगा। किसी भी प्रकार के नव निर्माण एवं अन्य प्रकार के संसाधनों के लिए निगरानी समिति की अनुमति आवश्यक होगी। समिति को बताया गया कि 80 ग्रामों के विकास में सर्वप्रथम मूलभूत सुविधाएं जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, आवास, होटल, खाना , स्वल्पाहार,  सड़क सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाना प्रस्तावित हैं। कमिश्नर श्री शुक्ला ने कहा कि संपूर्ण ज़ोन का विकास और संरक्षण इस प्रकार से किया जाए कि, पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थानीय लोग आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें और पर्यटकों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

निगरानी समिति की बैठक में सागर कलेक्टर श्री दीपक आर्य, नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ श्री सुधांशु यादव, कंसल्टेंसी के सदस्य और निर्माण विभागों के संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
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