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MP : 17 मिनिट में गुरुवाणी से 101 जोड़ों का हुआ दहेज मुक्त विवाह▪️432 यूनिट हुआ रक्तदान, 4265 देहदान के फार्म भी भरे गए▪️चार दिवसीय दिव्य समागम में पहुंचे 13 राज्यों के श्रद्धालु

MP : 17 मिनिट में गुरुवाणी से 101 जोड़ों का हुआ दहेज मुक्त विवाह
▪️432 यूनिट हुआ रक्तदान, 4265 देहदान के फार्म भी भरे गए
▪️चार दिवसीय दिव्य समागम में पहुंचे 13 राज्यों के श्रद्धालु

        (सादे कपड़ों में वरवधू )

▪️मयंक भार्गव, बैतूल से
तीनबत्ती न्यूज : 19 फरवरी,2024
बैतूल : बैतूल जिले के ग्राम उड़दन स्थित सतलोक आश्रम ( SATLOK ASHRAM) में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के 506वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में महाविशाल समागम चल रहा है। जिसमें संत गरीबदास जी की अमरवाणी के खुले पाठ, महाविशाल भंडारे, आध्यात्मिक सत्संग, रक्तदान, देहदान, आध्यात्मिक प्रदर्शनी व दहेज़ रहित शादी का आयोजन 17 से 20 फरवरी तक किया जा रहा है। जिसमें 13 राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 

बिना आडम्बर के सादे कपड़ों में बैठे जोड़े

इस महाविशाल चार दिवसीय महासमागम के तीसरे दिन 19 फरवरी सोमवार को आश्रम में अंतर्जातीय सामूहिक दहेज रहित शादी का भी आयोजन किया गया। जिसमें मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी द्वारा 101 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह में किसी प्रकार का आडंबर देखने को नहीं मिला। विवाह के सभी जोड़े साधारण कपड़ों में बैठे रहे व अपने गुरुदेव की अमरवाणी को सुनकर सादगीपूर्ण तरीके से विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। 

 अनुयायियों द्वारा बैतूल जिला अस्पताल को गरीबों के लिए 432 यूनिट रक्त का दान भी किया गया व 4265 देहदान के फार्म भी भरे गए। समागम के तीसरे दिन तक संत रामपाल महाराज का ज्ञान समझकर 2185 लोगों ने संत जी से निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त कर अपना मानव जीवन सफल बनाया। 


बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है 17 फरवरी

समाजसेवी सतीश पारख ने बताया 17 फरवरी 1988 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल महाराज को स्वामी रामदेवानंद से नाम दीक्षा प्राप्त हुई थी, इस दिन की याद बनाए रखने और लोगों को सतभक्ति का संदेश देने के लिए प्रतिवर्ष 17 फ़रवरी को बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्राह्मणों ने भ्रांति फैला रखी थी कि "काशी में मरने वाला स्वर्ग और मगहर में मरने वाला नरक में जाता है व गधा बनता है।"


 उस समय कबीर परमेश्वर ने ब्राह्मणों की इस भ्रांति को मिटाने के लिए वि. स. 1575 (सन् 1518) माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को सहशरीर सतलोक गए थे।
 उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले, जिन्हें आपस में बांटकर हिन्दू व मुसलमानों ने उसी स्थान पर 100-100 फिट की दूरी पर दो यादगार बना लीं थी, जोकि आज भी मगहर (वर्तमान जिला संत कबीर नगर, उत्तरप्रदेश) में विद्यमान हैं। इन्हीं दोनों दिनों का दिव्य संयोग इस साल एक साथ हुआ है जिसके कारण ही यह दिव्य समागम एक साथ मनाया जा रहा है। समागम में प्रशासन के आला अधिकारी एसडीएम, तहसीलदार, एएसपी, नगर निरीक्षक, जनप्रतिनिधिगण व शहर के गणमान्य लोग पहुंचे थे। उन्होंने आश्रम की व्यवस्था व साफ सफाई को देखकर कार्यक्रम की खूब सराहना की।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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