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पत्रकारिता के जुनून को जिंदा रखने की जिद का माध्यम बना स्पीकिंग फार्म्स


पत्रकारिता के जुनून को जिंदा रखने की जिद का माध्यम बना स्पीकिंग फार्म्स

#अलग-अलग फील्ड के लोगों का सामूहिक प्रयास 
#उत्पादन से लेकर बनाने तक में प्राकृतिक प्रकिया और मानवश्रम का उपयोग

भोपाल । वक्त जब जब आजमाता है सारे रास्ते बंद लगते हैं तभी रोशनी का एक छोटा सा कण देखकर आगे बढ़ जाती हैं। नए रास्ते की तलाश में। पत्रकारिता में 18-19 साल का समय बीत जाने के बाद कोई ये कहे कि वो पत्रकारिता छोड़ रहा है तो वो झूठ बोलता है। क्योंकि पत्रकारिता पत्रकार को कभी नहीं छोड़ती। ये उस बेवफा प्रेमी या प्रेमिका की तरह होती है जिसे न छोड़ा नहीं जा सकता। वो चाहे लाख परीक्षा ले ले।। 
तो ऐसी पत्रकारिता को छोड़ने का तो ममता यादव भी सोच नहीं सकती थी। जब पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना हो और अपने ईमान को भी जिंदा रखना हो और वो भी एक महिला पत्रकार होने के बाद तो पत्रकारिता जैसा पेशा एक जूनून की दरकार रखता है ।

पत्रकारिता, ईमान और इस जुनून को जिंदा रखने के लिये जरूरी होता है एक फ़ायनेंसियल बैकअप। जो कि ईमानदार निष्पक्ष पत्रकारिता में सम्भव नहीं। दिक्कत ये है कि समाज को अच्छे ईमानदार निष्पक्ष निडर पत्रकार तो चाहिए पर ये पत्रकार जिंदा कैसे रहें इसके बारे में समाज कभी बात नहीं करता। ऐसी ही जद्दोजहद के बीच दिमाग में आया क्यों न जैविक सब्जियों की खेती की जाए? पर इसके लिये भी जमीन के लिये भी पैसा नहीं था। ऐसे में सम्पर्क में आया एक नैचुरल फार्मिंग ग्रुप और उनके उत्पादों के आइडिया। गुड़ की इतनी वैरायटी थीं और हर वैरायटी का औषधीय महत्व था। शहद इतने प्रकार का भी हो सकता है पता नहीं था। फिर औषधीय गुणों वाली गुड़ की राव  का पता चला। जो कि शुगर पेशेंट तो उपयोग कर ही सकते हैं और थायराइड की अचूक औषधि है। चावल ज्वार सरNसों हर चीज़ की खेती में जीवामृत पद्धति (गाय का गोबर गौमूत्र मठा, बेसन पीपल या बरगद के नीचे की मिट्टी और पानी) से की जाती है। 
तो इसमें जिज्ञासा भी जागी। ऐसे एक आजीविका  का साधन खोजते-खोजते पत्रकारिता का एक नया विषय मिला। काम में मजा आने लगा। लोगों तक उत्पाद पहुंचे और उनके चेहरे पर संतुष्टी की मुस्कान देख लगा कुछ अच्छा कर रहे हैं। ऐसे बनी स्पीकिंग फार्म्स नैचुरेल प्रोडक्ट मार्केटिंग कम्पनी।
स्पीकिंग फार्म्स क्यों इसका जवाब आपको नीचे मिलेगा।
स्पीकिंग फार्म्स की टीम अपने आप मे अनोखी टीम है। एक पत्रकार, एक भारत की पहली थर्ड जेंडर धनंजय, महेंद्र मुद्गल बिजनेस मेन (मॉल एंटरप्रेन्योर) अरविंद सिंह जो कि खुद कृषक हैं और नैचुरल खेती की पुरानी परम्परा के प्रयोगों, देशी बीज की खोजों और दूसरी रिसर्च में लगे रहते हैं। 
#Speaking_Farms 
खेत भी बोलते हैं कि मुझमें जहर मत छिड़को, खेत भी कहते हैं कि मुझमें घटिया GMO/BT बीज मात डालो, खेत भी बोलते हैं कि हमसे प्रेम करो, खेत कहते हैं कि हम तुम्हें स्वाद, शुध्दता और असीमित प्रेम करेंगे, खेत बोलते हैं कि तुम हमारे किनारों पे पेड़ लगाओ हम तुम्हें फल देंगे, छाया देंगे। 
हाँ खेत बोलते हैं, कहते हैं कि कृषि एक यज्ञ है, हम खेत यज्ञ का कुंड और जो खाद बीज दोगे वो हवन की समिधा है। 
हां खेत यह बोलते हैं, और ये हमने सुना है, पशु पक्षी बोलते हैं, हमने सुना है इसलिए #देशी_गौवंश आधारित, प्रकृति के साथ साथ सहअस्तित्व की भावना के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। 
#Speaking_farms ऐसे ही बोलने वाले खेतों और सुनने वाले कृषकों का समूह के उत्पादों को आप तक पहुंचाने वाला नाम है। इस परिवार में 10 से अधिक किसान एवं ग्रामोद्योग समूह और उनके संस्थान जुड़े हैं। 
#speaking_farms इस बात का हमेशा प्रयास करेगा कि आपकी थाली तक नैतिकता पूर्वक उत्पादों के सप्रेम भेजता रहे। 
#Speaking_farms  नैसर्गिक/ प्राकृतिक कृषि पद्धति में विश्वास करता है। इस पद्धति का सबसे पहला नियम है बीजों में शुद्धता अर्थात पुरातन देशी बीजों से कृषि करना। बीज का जीवन में बहुत महत्व है, हम ऐसे बीजों (GMO/BT) का प्रयोग नहीं करते जो बीज से बीज तैयार नहीं होते, क्योंकि जी बीज स्वयं उत्पत्ति नहीं कर सकता उसे खाने से क्या लाभ होंगे क्या हानि ये आपको स्वयं सोचना है। हम अपनी कृषि पद्धतियों में यह सुनिश्चित करते हैं कि मीथेन का उत्सर्जन नहीं हो। देशी गाय के गौमूत्र और गोबर के प्रयोग से तैयार तरह तरह के अमृत समान घोल खेतों के भोजन है। हम SPNF पद्धति को भी प्रयोग में ला रहे हैं। 
ORGANIC  सर्टिफिकेशन अमेरिका के USDA का प्रमाणीकरण है। यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के अनुसार बना ORGANIC  वहां की जलवायु और कृषि पद्धति के अनुसार काम करता है। इसमें बीजों की शुद्धता का कोई कठोरतम नियम नहीं है। इसमें मीथेन का उत्सर्जन है। आप इंटरनेट पे तमाम आलेख पढ़ सकते हैं। हमारा उद्देश्य किसी की बुराई करना नहीं है। 
हम बीजों की शुद्धता के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मीथेन के उत्सर्जन के नियंत्रण के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। हम आपके साथ इस विश्वास को कायम करने के लिए काम कर रहे हैं कि खेत और पेट का विश्वास फिर से कायम हो सके। आपको दिनोंदिन गुणवत्ता में सतत विकास महसूस होता जाएगा, क्योंकि प्रकृति को नाराज करने में हम सबकी भूमिका है, हम अपने रूठे हुए खेतों को मनाने में सफल हो रहे हैं । आशा है आप भी साथ आएंगे और हम सब खेतों के साथ मिलकर प्रकृति के गीत गुनगुनायेंगे। 
 परिवार के सभी सदस्यों में मुख्य भूमिका में 
सुश्रीममता यादव Mx धनंजयसिंह चौहान
श्रीमहेंद्र कुमार मुदगल श्रीअरविंद
प्रोडक्शन फार्मिंग टीम
हमारे TEFO ग्रुप के परिवार में (TEFO - THE ETHICAL FARMERS ORGANIZATION) जो अन्य विशेषज्ञ हैं वे
श्री_अनूप_सिंह_परमार 
श्री_आर_डी_त्यागी
श्री_रंजीत_रंधावा
श्री प्रफुल्ल श्रीवास्तव
MGSA_JOURA
Doceza_organics
ESJ_FARMERS 

#SPEAKING_FARMS के उत्पाद 
घी
शुद्ध भारतीय नश्ल कीबदेशी गाय (गिर/शाहीवाल/थारपारकर/हरियाणा आदि) का पुरातन बिलौना पद्धति से प्राप्त देशी घी।
गायें अपने चारे में  पेस्टिसाइट फ्री चारा ही ग्रहण करती हैं, एवं उनके पास वाकिंग स्पेस बहुत है। 
घी उच्च गुणवत्ता युक्त  है।

देशी गाय का घी सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है, आप अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसके लाभ जानें
शहद
चम्बल अंचल में मीठी क्रांति के जनक कहे जाने वाले श्री प्रफुल्ल श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में Speaking farms आपको उपलब्ध करवाते हैं शुद्धतम शहद,
अहिंसक प्रक्रिया से तैयार यह शहद खाते समय आप महसूस करेंगे कि आपके शहद के लिए एक भी लार्वा या मधुमक्खी 
की हत्या नहीं हुई है, न किसी मधुमक्खी का घर उजाड़ा है और न उसके भोजन के हिस्से को चुराया है। 
प्रिजर्वेटिव फ्री शहद,
नो एडेड शुगर
नो एडेड फ्लेवर
सभी फ्लेवरों का चयन मधुमक्खी ही करती है, ये सभी फ्लेवर प्राकृतिक हैं। 
वर्सेम_शहद ,अजवाइन_शहद ,खैर_शहद
#सरसों_शहद
#जामुन_शहद
#नीम_शहद
#सौंफ_शहद
#धनिया_शहद
#मल्टीफ्लोरा_शहद
सरसों_तेल 
कई दशकों पुराने शुद्ध देशी बीज से पेस्टिसाइट मुक्त, रासायनिक खाद मुक्त सरसों के बीज से लकड़ी की घाणी में तैयार कोल्ड प्रोसेस्ड शुद्धतम सरसों का तेल जिसमें एसेंसियल ऑयल की मात्रा सामान्य शुद्ध तेल से लगभग दोगुनी है एवं  एसिड वेल्यु लगभग 0.90% मात्र है।  किसी भी तेल की एसिड वेल्यु 1.5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बाजार में उपलब्ध तेल या सरकारी मानक एसिड वेल्यु को मेंशन ही नहीं करवाते। 
इसी तरह हमारे पास आपके लिए जो तेल हैं वो 
#सरसों_तेल
#अलसी_तेल
#तिल_तेल
#SPEAKING_FARMS_premium_jaggery गुड़_की_मिठास 
हम, गन्ने की सभी प्रजातियां IISR (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सुगरकेन रिसर्च) प्रमाणित ही प्रयोग में ला रहे हैं, गुड़ का निर्माण करते समय किसी भी केमिकल के प्रयोग को हम नैतिक नहीं मानते एवं पूर्णतः केमिकल फ्री प्रक्रिया का पालन किया जाता है। गुड़ के सभी फ्लेवर प्राकृतिक एवं शुध्द होते हैं एवं उन्हें एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना होता है, तब जाकर आपको शानदार स्वाद और शुध्दता मिल पाती है। 
हम सभी किसी न किसी रूप में कोइ न कोई स्वाद के प्रशंसक होते हैं और किसी न किसी औषधि को नित्य जीवन मे ग्रहण करते ही हैं। इसलिए 20 से अधिक फ्लेवरों में आपके लिए गुड़ तैयार किया जाता है। यह गुड़ एकदम प्रीमियम क्वालिटी का होता है। #Speaking_Farms अपने फ्लेवरों के तत्व एवं गन्ने की विशेष वैरायटी, का चयन कर इसे बेहद विशेष कठिन प्रक्रिया से तैयार कर उच्च गुणवत्ता की पैकिंग में आप तक पहुंचाता है। 
गुड़ के फ्लेवर
#ड्रायफ्रूट्स_गुड़
#गोंद_गुड़
# चोको_पीनट्स_गुड़
#साबूदाना_गुड़
#चॉकलेट_गुड़
#इलायची_गुड़
#अलसी_गुड़
#हल्दी_गुड़
#आंवला_गुड़
#धनिया_गुड़
#सौंफ_गुड़
#मैथी_गुड़
#अजवाइन_गुड़
#सोंठ_गुड़
#नारियल_गुड़
#एलोवेरा_गुड़
#तिल_गुड़
#मीठा_नीम_गुड़
#सादा_गुड़
गुड़_की_राव /#खांड/ शीरा 
#सादा_राव
#ड्रायफ्रूट्स_राव
#पान_की_राव
#देशी_घी_की_राव
#इलायची_राव

गुड़_की_शक्कर
Jaggery Broun suger 
चावल_____बासमाती____
बिना किसी केमिकल का स्प्रे किया, बिना फर्टिलाइजर का इस्तेमाल किये उगाया गया बासमाती चावल का हमारा प्रयोग सफल हुआ और हमें जो प्राप्त हुआ वो शानदार उपहार है #speaking_farms का। 
हम इसे आगे और शानदार स्तर पर ले जाने के लिए एवं अन्य सभी देशी किस्मों को आप तक पहुंचाएंगे। 
ज्वार -----Sorghum 
पहाड़ों से चुनी गई ज्वार, जो एकदम नैचुरल है वो आपके लिए उपलब्ध है। 
ज्वार आटा,
ज्वार दलिया 
गेंहूँ
#बंशी_गेंहूँ
#कठिया_गेंहूँ
गेहूं का दलिया एवं आटा उपलब्ध रहेगा
दालें
देशी बीज की तूअर/ अरहर दाल
देशी मूंग की दाल
देशी उडद की दाल 
देशी चने की दाल
हमें लगता था, पत्रकारिता में राजनीतिक प्रशासनिक एजुकेशन या अन्य मुद्दों पर रिपोर्टिंग करके तीर मार रहे हैं। इससे सिस्टम को करीब से जाना। पर अब जो राह पकड़ने जा रहे हैं कुछ सार्थक कर जाएंगे। पत्रकारिता होगी पर विषय बदलेंगे अब। अमरकंटक के एक दौरे ने पर्यावरण पत्रकारिता की तरफ रुचि और जिज्ञासा दोनों बढ़ाई है।  सम्भवतः कुछ ठीकठाक कर जाएंगे पर पिछले 2 महीनों में कृषि क्षेत्र को जितना जाना है उससे यह समझ आया कि इसकी रिपोर्टिंग में भी एक ढर्रा है। हम सिर्फ समस्याओं पर बात करते हैं समाधान की तरफ न तो देखते हैं न खोजने की कोशिश करते हैं। मैं समस्याओं पर बात करती हूं सुनती भी हूँ पर मैं सिर्फ यही नहीं कर सकती। इसलिए जो सिर्फ समस्या की बात करता है समाधान नहीं बताता उसे दोबारा सुन नहीं पाती हूँ। नकारात्मकता में ही सकारात्मकता छुपी होती है। बहुत छोटा सा रोशनी का कण ही मिलेगा शुरुआत में पहाड़ नहीं। कोशिश होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ बेहतर छोड़ जाएं। बेहतर की, गुणवत्ता की तलाश सबको है पर आगे चलना कोई नहीं चाहता। पिछले कुछ महीनों में दो एक लोगों से मिली हूँ जो 80-85 कि उम्र में भी सक्रिय हैं सामान्य जीवन जी रहे हैं आइडियल बने हैं।।लोगों को राह दिखा रहे हैं। महाराष्ट्र में सुभाष पालेकर के नाम से पूरी कृषि पद्धति ही चल रही है। उत्तरप्रदेश से लेकर गुजरात बिहार मध्यप्रदेश आंध्रा सभी जगह के किसान इसे अपना रहे हैं। गई थी समझने दो दिन की कांफ्रेंस थी। पर एक दिन में ही लौटना पड़ा। मध्यप्रदेश में बाबूलाल दाहिया जी का अपना पैटर्न है। इन्हें और इनके जैसे लोगों की पद्धतियों को प्रचारित कर अमल में लाने की जरूरत है। वरना पेस्टीसाइड यूरिया का जहर तो जिंदाबाद है ही। तय आपको करना पड़ेगा आत्मनिर्भरता या निर्भरता?

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