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तीर्थ यात्रा कराने के बहाने शिवराज की श्रवण कुमार बनने की कोशिश .... ★ ग्राउंड रिपोर्ट : ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़

तीर्थ यात्रा कराने के बहाने शिवराज की श्रवण कुमार बनने की कोशिश ....

 ★ ग्राउंड रिपोर्ट : ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़


बोलो राम भजन सुखदाई जपो रे मेरे भाई जीवन दो दिन का,,
शिव का भजन सुखदाई जपो री मेरी माई जीवन दो दिन का। 

ये आवाजें किसी भजन संध्या से नहीं बल्कि भोपाल की रानी कमलापति स्टेशन पर बने भव्य पंडाल से आ रहीं थीं जहां बैठे पांच सौ से ज्यादा बुजुर्गों को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भक्ति में डूब कर भजन सुना रहे थे। मौका था मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना की कोरोना के बाद रीलॉन्चिंग का। रेलवे प्लेटफार्म पर वाराणसी जाने के लिये सजी धजी रेल गाड़ी तैयार खडी थी और प्लेटफार्म के बाहर तीर्थ पर जाने वाले यात्रियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने ख़ास अन्दाज़ में कमर पर हाथ रखकर घर के बड़े बेटे के  समान समझाइश दिये जा रहे थे। 
तो सुनो भैया लोग, देखो अब तीर्थों पर जा रहे हो तो घर गृहस्थी की चिंता यही छोड कर जाना नहीं तो रास्ते में सोचो मुन्ना का मुन्ना कैसे रह रहा होगा। घर की गईया को कौन खाना पानी दे रहा होगा ? और हां तीर्थ से लौट कर एक दो कामों के संकल्प जरूर ले लेना। पहला संकल्प तीज त्यौहार के मौकों पर गांव में पौधा लगाना लगाना और दूसरा नशाबंदी के लिये लोगों को प्रेरित करना। ठीक है आई बात समझ में तो चलो अब जाने से पहले भजन हो जाये और शिवराज सिहं पक्के भजन गायक के अंदाज में अपना दायां हाथ उठाकर सुर से में गाने लगे और इस भजन की टेक को आगे बढ़ाने का काम सामने बैठे बुजुर्ग कर रहे थे।
प्लेटफार्म के बाहर विशाल पंडाल में भजन दोपहर चल रही थी तो प्लेटफार्म पर भी अलग ही नजारा बिखरा था। कॉरिडोर में ट्रेन में सवार होने वालों की आवभगत के लिये पानी की बोतल, नाश्ते के डिब्बे, रुद्राक्ष की माला और भगवा पटका सब रखा हुआ था ये सब गाड़ी में सवार होने वालों को दिया जाने वाला था। प्लेटफार्म के अंदर बाहर कुछ लोग भगवा रंगा का धोती कुर्ता पहन कर मुंह पर शिवराज सिहं के चेहरे का मास्क पहन कंधे पर कांवर रखकर आज के युग के श्रवण कुमार बने हुये थे। वो श्रवण कुमार जो त्रेतायुग में अपने पिता शांतनु और माता ज्ञानवती को कांवर पर रखकर तीर्थ कराने निकले थे और अंजाने में राजा दशरथ के तीर का शिकार हो गये थे। आगे की कथा आप जानते होंगे। तो यहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को श्रवणकुमार बताया जा रहा था और गांव के बुजुर्ग उन श्रवण कुमारों के वेष में घूम रहे लोगों को बड़ी श्रद्धा से प्रणाम कर आशीर्वाद भी ले रहे थे।
उधर पंडाल में भाषण के बाद तीर्थ यात्रा पर जाने कुछ बुजुर्गों को शिवराज सिंह ने सांकेतिक तौर पर सम्मान करने बुलाया। बस फिर क्या था सारे फोटोग्राफर तैयार कि आज के दिन कहानी के फोटो तो यहीं से बनने थे। बुजुर्ग महिला मंच पर आती हैं तो शिवराज जी पहले शाल श्रीफल देते हैं जब तक वो कुछ समझती मुख्यमंत्री जी झट से पैर छूकर प्रणाम करते और तब फिर बारी आती उस सम्मान ग्रहण करने वाली अम्मा को जो शिवराज के कभी सर पर हाथ फेर कर तो कभी सीने से लगाकर दुलार करती ऐसा दुलार पाकर शिवराज मुस्कुराते और उधर हमारे कैमरामेन साथियों के कैमरे का हर क्लिक पहले से बेहतर फोटो देता जा रहा था। शिवराज जितनी सहजता से ये सब कर रहे थे तो उनके मंत्रिमंडल के साथी थोड़ी हिचक और झिझक के साथ इस काम में जैसे तैसे हाथ बंटा रहे थे। 

भाषण, भजन, सम्मान के बाद के बाद बारी आती है गाड़ी में सवार होने की। तो जैसे ही यात्री गाडी में अपनी अपनी बर्थो पर बैठते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह फिर प्लेटफार्म पर आते है साथ में है आगे पीछे कैमरे माइक मीडिया और सुरक्षा कर्मियों की भारी भीड। मुख्यमंत्री का प्रण था कि वो हर डब्बे में जाएंगे और प्रत्येक जाने वालों को माला पहनाकर विदा करेंगे। ऐसे किसी इवेंट में लगातार एक के बाद एक्शन कैद करना हम टीवी रिपोर्टर और कैमरामैन के लिये बडी चुनौतीपूर्ण होता है। रेल का सकरा सा डिब्बा उसमें अंदर आते सीएम पीछे उनके सुरक्षाकर्मी और हमारे कैमरे और माइक वाले कुल मिलाकर अजीब सी हालत हो गयी थी। 

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टीवी रिपोर्टर को अपने वॉकथ्रू करने थे तो कैमरामैन को उस संकरे डिब्बे में ही शिवराज को दिखाते हुये बेहतर विजुअल्स बनाने थे। डिब्बे के अंदर कहीं कैमरामैन ऊपर और किनारे की बर्थ पर हाथ में कैमरा पीठ पर बैक पैक टांग कर सवार थे तो उनके रिपोर्टर तीर्थयात्रियों के बीच में माइक लेकर यात्रियों के परिजन सरीखे बनकर बैठे हुये थे कि शिवराज जी आयेंगे और एक दो सवाल के जवाब हो जायेंगे तो कहने को रहेगा मुख्यमंत्री ने फला चैनल से खास बातचीत में कहा। 

मगर मुख्यमंत्री तो अपनी धुन में थे उनको कई डिब्बों मे जाना था और सभी से मिलना था इस तेजी में कहीं रिपोर्टर के सवाल हो रहे थे तो कहीं नहीं हो पा रहे थे। मगर इस भागदौड धक्का मुक्की की हालत में भी डिब्बे में बैठे यात्रियों की खुशियों का ठिकाना नहीं था। उन सब ने कभी सोचा नहीं था कि इस धूमधाम के साथ काशी विश्वनाथ के दर्शन को जायेंगे कि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल और मीडिया स्टेशन पर विदाई देने खडा होगा। 
अब बारी आती है तीर्थ यात्रा को जाने वाली गाड़ी को झंडी दिखाकर विदा करने की तो यहां भी मीडिया के फोटोग्राफर और कैमरामैन इंजन के सामने पटरी पर खडे होकर विजुअल्स बनाने में मस्त थे बिना इस बात की परवाह किये कि गाडी उसी पटरी पर चलनी है जिसके कुछ मीटर की दूरी पर वो खडे थे। कैमरामैन हटें तो गाडी चले क्योंकि शिवराज जी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हरी झंडी तो बडी देर से दिखा ही रहे थे। खैर थोडी देर बाद मीडिया के साथियों की समझ में आयी तो वो पटरी से हटे और गाड़ी रवाना हुई। और सबने एक साथ राहत की साँस ली..
चलती गाडी में अंदर किसी डिब्बे से आवाज आयी बोलो बाबा विश्वनाथ की जय,,,, और अपने भैया शिवराज की भी जय,,,,। 

★ ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़ , भोपाल
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