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मीडिया का धर्म ' पर चर्चा सत्र के साथ शुरू हुआ खजुराहो लिट फेस्ट

'मीडिया का धर्म ' पर चर्चा सत्र के साथ शुरू हुआ खजुराहो लिट फेस्ट

खजुराहो।तीन-दिवसीय खजुराहो लिटरेचर फेस्टिवल (केएलएफ 2020) का बहुप्रतीक्षित दूसरा संस्करण 'मीडिया का धर्म ' विषय पर एक संवाद सत्र के साथ आज यहां मिंट बुंदेला रिजॉर्ट में शुरू हुआ, जिसमें देश के कुछ नामी पत्रकारों ने भाग लिया। 
मीडिया की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए, वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों ने देश के मौजूदा जटिल परिदृश्य में मीडिया के धर्म के बारे में बात की। वक्ताओं में समीर अब्बास, कार्यकारी संपादक, टीवी 9 भारतवर्ष; आलोक श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं गीतकार; प्रणय उपाध्याय, एसोसिएट एडिटर, एबीपी न्यूज़; प्रखर श्रीवास्तव, टीवी पत्रकार, स्वाति गोयल शर्मा और न्यू इंडिया जंक्शन की सुश्री प्रियंका देव शामिल रहीं, जबकि टीवी पत्रकार सुश्री प्रमिला दीक्षित ने सत्र का संचालन किया।

समीर अब्बास ने कहा, 'सोशल मीडिया मुख्यधारा की पत्रकारिता को बहुत हद तक प्रभावित कर रहा है। हालांकि, एक पत्रकार को पत्रकारिता के पेशे के प्रति पूरी तरह से ईमानदार रहना चाहिए।' जहां एक ओर, स्वाति शर्मा ने मीडिया उद्योग के विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया, प्रखर ने कहा कि मीडिया के मामले में सत्यवादिता और निष्पक्षता पहली शर्त है।

लेखकों व रचनाकारोंं का पहला सत्र अलाव के आसपास बैठकर चर्चा को समर्पित रहा। उपन्यासकार साईस्वरूपा कुमार, लेखक शांतनु गुप्ता और इंजीनियर व रचनाकार रामकृष्ण ने भी अपने विचार रखे। शांतनु ने कहा, 'सोशल मीडिया विचार प्रक्रिया में एक बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन उसमें लिखा क्षणिक होता है, जबकि पुस्तकों को संदर्भ के रूप में उपयोग किया जाता है और उनमें लिखे हुए का असर लंबे समय तक रहता है। इसलिए, मेरा मानना है कि सभी को अपने जीवनकाल के दौरान एक किताब तो जरूर से लिखनी चाहिए। ' 

एक पारंपरिक प्रदर्शनी भी उत्सव का हिस्सा थी। कार्यक्रम के अंत में मणिपुर के कलाकारों ने अपना प्रदर्शन करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। केएलएफ 2020 का आयोजन लोकनीति संस्था के तत्वावधान में किया जा रहा है। इसकी थीम है भारतीय संस्कृति का जश्न।
खजुराहो लिट फेस्ट के संलाचक और लोक नीति के संस्थापक सत्येंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'हम चर्चा सत्रों में देश के वैल्यू सिस्टम को शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके पीछे सोच यह है कि भारतीय विचार प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाये। यह भारत के असली समाज को जगाने का एक प्रयास है। '
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