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खजुराहो लिट फेस्ट के दूसरे दिन सहूलियत की सियासत पर चर्चा रही दिलचस्प

खजुराहो लिट फेस्ट के दूसरे दिन सहूलियत की सियासत पर चर्चा रही दिलचस्प

#,व्यापार के लिए अंग्रेजी, लेकिन व्यवहार में देसी भाषाएं प्रयोग करने पर जोर 
खजुराहो।  खजुराहो लिटरेचर फेस्टिवल (केएलएफ 2020) के दूसरे दिन देश  में चल रही 'जुगाड़ वाली राजनीति' की विचारधारा पर विस्तार से चर्चा हुई, जिसमें वैज्ञानिक एवं लेखक आनंद रंगनाथन, स्तंभकार अभिनव प्रकाश, टीवी 9 भारतवर्ष के कार्यकारी संपादक समीर अब्बास तथा न्यूज 24 के आउटपुट हेड, प्रकाश श्रीवास्तव ने भाग लिया। जुगाड़ की राजनीति सत्र का संचालन दिल्ली यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर डॉ. नेहा सिंह ने किया। 
साहित्य उत्सव स्थानीय मिंट बुंदेला रिजॉर्ट में चल रहा है। चर्चा के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए, सरपंच भक्ति शर्मा ने कहा कि महज दो-तीन विश्वविद्यालयों के छात्रोंं के चलते सभी युवाओं पर सवालिया निशान नहीं लगाना चाहिए। अभिनेता प्रकाश बेलावडी ने कहा कि इंडिया का विचार भले ही नया हो, लेकिन भारत का विचार प्राचीन है। हमें सोचने के अपने देसी तरीके को तवज्जो देनी चाहिए, साथ ही नये तरीकों से भी सोचना चाहिए। भाषा के बारे में उन्होंने कहा कि अंग्रेजी पर निर्भरता के साथ हम मस्तिष्क का उच्च विकास नहीं कर सकते। व्यापारिक कार्यों के लिए अंग्रेजी ठीक हो सकती है, लेकिन समझने समझाने के लिए हमें अपनी देसी भाषा ही प्रयोग करनी चाहिए।

अभिजीत अय्यर मित्रा ने भारत में क्षति नियंत्रण के बारे में बोलते हुए कहा कि हम हर साल 16 अरब डॉलर ऊर्जा की चोरी झेलते हैं। अपराधों के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत को रेप कैपिटल कहना गलत है, क्योंकि आंकड़े गवाह हैं कि बलात्कार की सर्वाधिक दर दक्षिण अफ्रीका और स्वीडन में है। सरकार के बारे में उनका कहना था कि भारत सरकार एकाकी तरीके से काम कर रही है, हालांकि विकास सही दिशा में हो रहा है।     
दिन की शुरुआत नये भारत में विकासात्मक राजनीति के बदलते पैटर्न पर एक चर्चा सत्र से हुई, जिसमें देश के कुछ जाने-माने चिंतकों और पत्रकारों ने भाग लिया। इनमें शामिल थे- आईपीसीएस के फैलो अभिजीत अय्यर मित्रा, स्वराज्य पत्रिका की वरिष्ठ पत्रकार सुश्री स्वाति गोयल शर्मा, लेखक गौतम चिंतामणि, सरपंच सुश्री भक्ति शर्मा और लेखक व आईआईएम काशीपुर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन संदीप सिंह। 
इसके बाद, अनेकता में एकता विषय पर हुए एक चर्चा सत्र में, अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक प्रकाश बेलावडी, लखनऊ के एक वैज्ञानिक विवेक मौर्या और जी मध्यप्रदेश के प्रधान संपादक दिलीप तिवारी ने भाग लिया। विवेक मौर्या ने कहा कि विविधता में एकता के लिए भाषा एक महत्वपूर्ण टूल है।
जुगाड़ की राजनीति के बारे में बोलते हुए समीर अब्बास का कहना था कि भारत एक देश नहीं, बल्कि एक सभ्यता है। विविधता ही हमारी एक सबसे बड़ी शक्ति है, लेकिन यही भारत के लिए एक बड़ी चुनौती भी है। 
उद्घाटन सत्र में, जिन विद्वानों ने अपने विचार साझा किये, उनमें प्रमुख थे- मणिपुर सरकार के शिक्षा मंत्री राधेश्याम सिंह, फिल्म निर्देशक एवं लेखक विवेक रंजन अग्निहोत्री और चिश्ती फाउंडेशन अजमेर के सैयद सलमान चिश्ती के नाम उल्लेखनीय हैं।
शाम को समकालीन भारतीय राजनीतिक संवाद में हिंदुत्व की वापसी पर एक सत्र हुआ। दिन का समापन कविताओं एवं संगीत के  साथ हुआ।
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