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SAGAR : रिश्वतखोर बैंक मैनेजर और उसके सहयोगी को कठोर कारावास, किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के एवज में ली थी रिश्वत

SAGAR  : रिश्वतखोर बैंक मैनेजर और उसके सहयोगी को कठोर कारावास, किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के एवज में ली थी रिश्वत


सागर। न्यायालय आलोक मिश्रा विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर के न्यायालय ने रिश्वत की मांग करने वाले एवं अपने सहयोगी के माध्यम से रिश्वत राशि ग्रहण करने वाले बैंक के प्रबंधक अभियुक्त परमेश्वर को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं रू 5000/- अर्थदण्ड एवं धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं रू 5000/-का अर्थदण्ड और अभियुक्त राजेन्द्र को धारा 12 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं रू 5000/- के अर्थदंड से दंडित किया गया है। राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक विपुस्था लोकायुक्त सागर रामकुमार पटेल के द्वारा की गई।


क्या है मामला

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक-01.03.2016 को आवेदक राजेश यादव ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक लिखित शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया कि उसने युनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा खुरई से क्रेडिट कार्ड बनवाने हेतु समस्त दस्तावेज बैंक में जमा कर दिये हैं उसको अनापत्ति भी मिल गई है उसके बाद भी बैंक मैनेजर परमेश्वर किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के एवज में 7000 रूपये की रिश्वत की मांग कर रहा है। आवेदक बैंक मैनेजर को रिश्वत नहीं देना चाहता था।


7 हजार की ली थी रिश्वत

शिकायत किये जाने पर शिकायत का सत्यापन कराया गया। आरोपी परमेश्वर बैंक मैनेजर के द्वारा आवेदक से रिश्वत राशि की मांग की जाना और रिश्वत राशि लेने के लिए सहमत पाये जाने पर धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया और टेªप आयोजित किया गया। ट्रेप दिनांक-10.03.2016 को आरोपी परमेश्वर बैंक मैनेजर के निर्देशन पर आरोपी राजेन्द्र ने आवेदक राजेश से 5000 रूपये की रिश्वत राशि ग्रहण की। तत्पश्चात् आरोपी राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ा गया। आरोपी बैंक मैनेजर परमेश्वर की आवाज के नमूने लिये जाकर रिश्वत मांग वार्ता में दर्ज आवाज से उसका मिलान कराया गया जो मिलान होना सही पाया गया।


        संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। आरोपी के द्वारा विचारण की मांग किये जाने पर माननीय न्यायालय में विचारण प्रारंभ किया गया। विचारण दौरान अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य तथा अभियोजक द्वारा किये गये तर्कों से सहमत होते हुए विद्वान न्यायाधीश महोदय ने आरोपीगण के विरूद्ध संदेह से परे मामला प्रमाणित पाया। फलतः आरोपीगण को कठोर कारावास से दंडित किया गया।




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