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बड़ा आदमी जब झुकता है तो कुछ राज अवश्य होता है : स्वामी हृषीकेष जी महाराज▪️कथा में समापन दिवस पर रूकमणी विवाह और सुदामा चरित्र का मंचन


बड़ा आदमी जब झुकता है तो कुछ राज अवश्य होता है :  स्वामी हृषीकेष जी महाराज

▪️कथा में समापन दिवस पर रूकमणी विवाह और सुदामा चरित्र का मंचन


सागर। राजघाट रोड पर ग्राम मझगुवां अहीर में नीरज तिवारी फार्म हाऊस पर आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में कथा में समापन दिवस पर सोमवार को कथा मंच पर रूकमणी विवाह और श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसंग का सजीव प्रस्तुतिकरण किया गया। इस अवसर पर कथा व्यास राजघाट धाम के महंत श्री हृषीकेष जी महाराज ने कंस द्वारा श्रीकृष्ण को निमंत्रित किये जाने का उल्लेख करते हुए बताया कि बड़े आदमी के झुकने का भी राज होता है। बड़ा आदमी कभी भी ऐसे ही नहीं झुकता है। इसी तरह अहंकारी कंस ने भी श्रीकृष्ण को अक्रूर को भेजकर निमंत्रित किया था।
स्वामी हृषीकेष जी महाराज ने कहा कि आनंदरूपी श्रीकृष्ण सभी के हैं। भक्ति का द्वार खोलना है। श्रीकृष्ण आनंदघन हैं इनके बिना हम आगे के लाखों साल में भी भक्ति प्राप्त नहीं कर सकते। भजन करने पर आप सभी का समान अधिकार है और प्रथम कर्तव्य भी है। भगवान की लीला देखिए कि ब्रज में सौन्दर्य की देवी लक्ष्मीजी का प्रवेश नहीं है जबकि कंडे थापने वाली गोपियों का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि धरती पर भक्ति सुलभ है और स्वर्ग में भक्ति दुर्लभ है। हम विषय रस में डूबे जल रहे हैं। श्रीकृष्ण कथा जो सुलभ है उसका पान नहीं कर रहे हैं।


स्वामी हृषीकेष जी महाराज ने कहा कि जो हमसे प्रेम करे उससे हम प्रेम करें यह तो व्यापार ही हुआ। प्रेम न करने वाले से प्रेम करने वाले माता-पिता और संत होते हैं। जो किसी से भी प्रेम नहीं करते वे आत्मरूप में मस्त अथवा अद्वैत अवस्था, पागल टाइप अथवा जानबूझकर ऐसा करने वाले होते हैं।
स्वामी हृषीकेष जी महाराज ने कहा कि भगवान पूर्ण हैं हम भी पूर्ण के अंश ही हैं, इसलिए हमें भी पूर्णता को प्राप्त करना होगी तभी पूर्ण शांति मिलेगी। प्रत्येक को यह मानकर चलना है कि माता-पिता भगवान हैं और धन-वैभव भगवान को ही अर्पण करना है। भगवान अंदर की बात जानते हैं, ऊपरी स्वरूप नहीं देखते। इसलिए मथुरा में उन्होंने कुब्जा को भी सुन्दरी संबोधित किया तो वह भगवान को चन्दन लगाने लगी, उसे भगवान मिले तो कंस का भय दूर हो गया। इसी तरह हमारा भय भी भगवान दूर कर देते हैं। जो भगवान के समक्ष आत्मसमर्पण करता है भगवान भी उसको समर्पण कर देते हैं।
कथा समापन पर मुख्य यजमान रामशंकर तिवारी, विधायक शैलेन्द्र जैन, कमलेश बघेल, विक्रम सोनी, सुखदेव मिश्रा, याकृति जडिय़ा आदि ने आरती की। इस अवसर पर श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह और सुदामा चरित्र पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।


भण्डारा 27 दिसंबर, आएंगे संतजन :

सात दिवसीय कथा के समापन उपरान्त २७ दिसंबर को विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर श्री परमहंस आश्रम अमृत झिरिया से परमहंस स्वामी श्री मुक्तानंद जी महाराज एवं अमझिरा आश्रम से श्री गोपालानंद जी महाराज का आगमन पूर्वान्ह ११ बजे होगा। भण्डारा शाम तक जारी रहेगा। यजमान श्री रामशंकर तिवारी ने सभी भण्डारे में शामिल होकर परसादी ग्रहण करने की अपील की है।




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एडिटर: विनोद आर्य
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