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भगवान का भजन हमेशा कृपा पाने के लिए करें:- देवदास जी▪️श्री महालक्ष्मी यज्ञ, दिव्य सत्संग का आयोजन▪️ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने देवदास महाराज से ली गुरू दीक्षा


भगवान का भजन हमेशा कृपा पाने के लिए करें:- देवदास जी
▪️श्री महालक्ष्मी यज्ञ,  दिव्य सत्संग का आयोजन
▪️ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने देवदास महाराज से ली गुरू दीक्षा


सागर,27 फरवरी,2023। भगवान का भजन हमेशा कृपा के लिए होना चाहिए तो वह फलीभूत होता है। भजन के बाद भी यदि कष्ट होता है तो यह सोचो कि हम चिंतन किसका कर रहे हैं?  हम भजन तो करते हैं लेकिन उसमें कामना, वासना यानी कि यह हो जाए, वह हो जाए की इच्छा समाहित होती है, तो वह कष्ट कारक हो जाता है।  हम भगवान के समक्ष शर्त रखकर उनका भजन,गुणगान करते हैं, तो यह कष्ट ही है।  जिस चीज का ध्यान करेंगे तो वह फलीभूत होगा।  संसारिक मोह, माया कष्टदाई है और प्रभु कृपा सुखदाई है । इसलिए भजन सिर्फ कृपा पाने के लिए करें। उक्त सरगर्मित वचन श्री देवदास जी बड़े महाराज ने पंडित अजय दुबे के फार्म हाउस पर आयोजित श्री महालक्ष्मी यज्ञ एवं दिव्य सत्संग के दौरान श्रोता श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए।

 दिव्य सत्संग में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान के भजन में कृपा मांगोगे तो उसी में सब कुछ आ जाएगा । जब हम बिना किसी कामना, वासना के भगवान के समक्ष समर्पण कर देंगे तो उसको हमारे कष्टों को हरना ही पड़ेगा।

राम का नाम वेद का सार है:=



श्री देव दास जी महाराज ने कहा कि राम का नाम ही सभी वेदों का सार है । राम नाम सर्वदा सुख देने वाला, कल्याणकारी, शुभ है । राम का नाम लेने से प्राणी जन्म, मरण,  संसार के सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है । अंतर्मन से भगवान राम का जप करोगे तो वह भी तुम्हारे सारे कष्टों को हरने से पीछे नहीं हटेगा। भगवान शंकर ने खुद कहा है कि सहस्त्रनाम की तुलना में मनुष्य यदि राम नाम का जप करेगा तो वह मोक्ष का भागी होगा।

गुरु को हमेशा दंडवत करें :=

देवदास जी महाराज ने कहा कि आजकल गुरु को प्रणाम करने का तरीका बदल गया है ।लोग सिर को गुरु के पैर के अंगूठे में रगड़ते हैं कि ज्ञान मिल जाए । जबकि ऐसा नहीं है।  गुरु का आशीर्वाद पाने, उनकी कृपा पाने के लिए हमेशा उन्हें दंडवत होकर प्रणाम करना चाहिए । यह सभ्यता का भी प्रतीक है । चतुर शिष्य वह होता है जो गुरु के समक्ष हमेशा जय गुरुदेव, प्रभु जी, नारायण कहकर दंडवत प्रणाम करता है, तो गुरु की दृष्टि उस पर अपने आप पड़ जाती है । गुरु का आशीर्वाद चाहिए तो प्रार्थना करो । संत,  गुरु की प्रार्थना, अनुकंपा से भगवान तक पहुंचने का मार्ग सहज एवं सुगम बन जाता है।



आत्मसमर्पण ही गुरु दक्षिणा है:=
 संत श्री देव दास जी महाराज ने कहा कि गुरु मंत्र अनमोल है। उसका कोई मोल नहीं हो सकता। अपने गुरु के लिए जो फल, फूल, मिष्ठान ले जाते हैं वह व्यवहार कहलाता है । जब हम दीक्षा लेते हैं तो गुरु के समक्ष हमें आत्मसमर्पण कर देना चाहिए । गुरु मंत्र की तरह आत्मा भी अनमोल है और आत्मा का समर्पण ही गुरु दक्षिणा है । गुरु के प्रति यदि आप का समर्पण है तो वह भी तुम्हारी अंतर भावना को समझेगा और कृपा अवश्य करेगा।


दान हजम करना मुश्किल:==
 देवदास जी बड़े महाराज ने दान की महिमा का बखान करते हुए कहा कि दान का पैसा कोई हजम नहीं कर सकता। जो दान लेकर भजन नहीं करेगा उसका जीवन अत्यंत कष्टकारी होगा। पहले दान लेने वाले ब्राह्मण त्रिकाल संध्या करते थे । जिससे उन्हें दान फलीभूत होता था । अब ब्राह्मण दान चट कर जाते हैं और उनका जीवन कष्टदायक हो जाता है । दान अवश्य लें ,लेकिन उसे सदकर्म में लगाएं ।vदान हमेशा ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो उसे भगवत सेवा में लगाए, धर्म में लगाए।

परिश्रम से कमाने धन से कुछ दान अवश्य करें :=

देवदास जी महाराज ने कहा कि मनुष्य परिश्रम तो करता है परंतु वह अध्यात्म को समय नहीं दे पाता है । ऐसे व्यक्ति को धर्म के लिए अपनी आय का दस पैसा धर्म में लगाना चाहिए । इससे उसका धर्म, सदकर्म का बैलेंस बना रहता है और जीवन कष्ट रहित मार्ग पर चलता है । यदि आकस्मिक धन मिले तो 50 प्रतिशत और चोरी करके कोई आपको धन दे तो मैं 95 प्रतिशत धन दान कर देना चाहिए । दान  हमेशा ऐसी जगह करें जहां भक्ति सदकर्म का प्रवाह हो ।
 
रेखा भार्गव ने लिया आशीर्वाद :=


भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती रेखा भार्गव ने आज महालक्ष्मी यज्ञ  स्थल पहुंचकर श्री देवराहा बाबा सहित नव प्रतिष्ठित श्री विग्रह के दर्शन किए एवं  देवदास जी बड़े महाराज से आशीर्वाद लिया। यज्ञ स्थल की परिक्रमा की ।



महालक्ष्मी यज्ञ में 21 हजार आहुति 

पंडित अजय दुबे के फार्म हाउस पर आयोजित नौ कुंडीय श्री महालक्ष्मी यज्ञ में यज्ञाचार्य श्री केशव जी महाराज के सानिध्य में विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ में आहुतियां दी जा रही हैं। सोमवार को यजमानो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 21 हजार आहुतियां दी गई ।  पंडित शिव प्रसाद तिवारी ने कहा कि हवन में आहुति देने से वातावरण शुद्ध हो जाता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है । सकारात्मक शक्तियों का उदय होता है। हवन से निकला धुआं वायुमंडल में समाहित होकर वायु को शुद्धता प्रदान करता है ।

श्री महालक्ष्मी यज्ञ के दौरान सुबह के समय सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्री देवदास जी महाराज से गुरु दक्षिणा ली । यज्ञ के मुख्य यजमान साधना अजय दुबे, शिवानी संजय चौबे, प्रतिभा डॉ अनिल तिवारी, रजनी मनमोहन शर्मा, कोमल प्रसाद जोशी, कामना अभिषेक शर्मा, हितेश अग्रवाल ,सुनीता श्याम मनोहर पचोरी, लक्ष्मीबाई कडोरी लाल विश्वकर्मा, वंदना मनीष सोनी, रोहिणी निर्भय घोषी, साधना देवनारायण दुबे, गिरजा बाई रामदयाल प्रजापति, के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में आहुति दे रहे हैं एवं परिक्रमा कर धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं ।  सत्संग के दौरान  पप्पू गुप्ता, विनोद गुरु,मुकेश गंगेले,धर्म सिंह राजपूत,राजेश दुबे, भरत तिवारी, गोलू अग्रवाल,रामचरण शास्त्री सुशील रामकृष्ण तिवारी, अमित कटारे , राम शर्मा,अरविंद दुबे,अंकित दुबे, देवव्रत शुक्ला, श्याम मनोहर पचौरी, कुलदीप दुबे, शिव नारायण शास्त्री, संतोष पांडे, राघवेंद्र नायक,  मुरारी नायक, सुरेंद्र शास्त्री, श्याम पचौरी के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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